हैल्लो दोस्तो आज हम कुपोषण क्या है ? कुपोषण से कौन-कौनसी बीमारियाँ उत्पन्न होती है और कुपोषण के कारणों के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने वाले है तो चलिए बढ़ते है। आज के आर्टिकल की ओर।
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कुपोषण (Malnutrition in Hindi)

दोस्तों हमारे शरीर को दिन-प्रतिदिन आवश्यक खनिज लवणों, कार्बोहाइड्रेट, वसा एवं अन्य आवश्यक तत्त्वों की आवश्यकता होती है। जिन्हें हम अपने भोजन के रूप में हर दिन ग्रहण करते रहते है। इस प्रकार हमारे शरीर को विभिन्न प्रकार के पोषक तत्त्वों की आवश्यकता होती है। अगर हम उपरोक्त तत्वों को उचित मात्रा में ग्रहण नहीं करते है। तो हम इसका शिकार हो सकते है। इसलिए हमें आवश्यक मात्रा विभिन्न खनिज लवणों और कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन ग्रहण करना चाहिए।
कुपोषण क्या है ?
अगर हम लम्बे समय तक आवश्यक पोषक तत्त्वों को अपने भोजन के रूप में ग्रहण नहीं करते है। तो कुपोषण हो सकता है। अगर आपको नहीं पता की आवश्यक पोषक तत्व कौन-कौन से है। तो ये निम्न प्रकार है:
- कार्बोहाइड्रेट
- वसा
- खनिज लवण
- प्रोटीन
- जल
इन्हें हम अपने दैनिक जीवन में अपने भोजन के रूप में ग्रहण करते है। जो बहुत ही आवश्यक है।
कुपोषण का अर्थ
अर्थ : बिना पोषण के।
ऐसे पोषण तत्त्वों से रहित भोजन को कुपोषित भोजन कहा जाता है। जिसके कारण व्यक्ति कुपोषण का शिकार हो जाता है।
कुपोषण की परिभाषा
‘‘शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी या उनकी अधिकता कुपोषण कहलाता है।’’
नोट : अल्प पोषण से शरीर के अन्दर कैलोरी न्यूनता रोग हो जाता है।
कुपोषण सम्बन्धी व्याधियाँ
दोस्तो विभिन्न पोषक तत्त्वों से भिन्न-भिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते है। जो निम्न प्रकार है:
- कार्बोहाइड्रेट के कारण कुपोषण
- प्रोटीन के कारण कुपोषण
- वसा के कारण कुपोषण
तो चलिए अब हम इन कुपोषण से उत्पन्न होने वाली व्याधियों/रोगों के बारे में जानकारी प्राप्त करते है।
कार्बोहाइड्रेट के कारण कुपोषण
कार्बोहाइड्रेट की कमी से शरीर कमजोर हो जाता है। थकान का अनुभव होता है। इसकी अधिकता भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है क्योंकि भोजन में शर्करा की मात्रा अधिक होने से भोजन ठीक से नहीं पचता। अजीर्णता के कारण कभी-कभी दस्त आते हैं। पेट बढ़ जाता है रुधिर में शर्करा की प्रतिशत मात्रा बढ़ जाती है।
प्रोटीन के कारण कुपोषण
प्रोटीन की कमी से बच्चों में निम्न रोग हो जाते है:
- क्वाशरकोर
- मेरेस्मस
क्वाशरकोर क्या है ?
यह रोग मुख्यतः प्रोटीन की कमी से होता है। इस रोग में बच्चों की शारीरिक वृद्धि रुक जाती है। भूख कम लगती है। शरीर में सूजन आ जाती है। बाल रूखे एवं चमक रहित हो जाते हैं। त्वचा रूखी और कान्तिहीन हो जाती है तथा उस पर काले चकत्ते पड़ जाते हैं। इस रोग से वे बच्चे पीड़ित हो जाते हैं जिनको उचित मात्रा में दूध नहीं मिलता है। भारत में 1 प्रतिशत बच्चे इस रोग से पीड़ित हैं। इस रोग से बचने के लिए रोगी बच्चे को नियमित रूप से उसके दैनिक आहार में प्रोटीन युक्त भोजन दिया जाना चाहिए।
मेरेस्मस क्या है ?
यह रोग प्रायः भोजन में प्रोटीन तथा कैलोरी दोनों की कमी से होता है। इस रोग से पीड़ित बच्चों में शारीरिक वृद्धि रूक जाती है। उनका शरीर दुबला एवं आँखें कान्तिहीन हो जाती है। त्वचा पर झुरियाँ पड़ जाती हैं। यह मुख्यतः एक साल के बच्चों में होता है।
नोट : प्रोटीन की आवश्यक से अधिक मात्रा पाचनतंत्र तथा गुर्दे के कार्यो को प्रभावित करती है।
वसा के कारण कुपोषण
- वसा की कमी से शरीर की मांसपेशियाँ कमजोर पड़ जाती हैं।
- शरीरिक थकान का अनुभव होता है।
- त्वचा रूखी हो जाती है।
- वसा की अधिक मात्रा शारीरिक मोटापा बढ़ाती है जिससे शरीर को अनावश्यक भार ढोना पड़ता है।
- एथेरोक्लीरोसिस – संतृप्त वसाओं के अधिक सेवन से रुधिर वाहिनियों की दीवार के भीतरी स्तर पर वसा का जमाव होने लगता है। इससे सामान्य रुधिर-संरचण बाधित होने लगता है। इस रोग को ऐथरोक्लीरोसिस की संज्ञा प्रदान की गई है। इसके कारण हृदय गति रुकने से रोगी की मृत्यु हो सकती है।
कुपोषण का उपचार/निवारण
दोस्तो इससे बचाव का एक ही उपाय है जो है संतुलित भोजन करना जिसमें सभी पोषक तत्व विधयमान हो। संतुलित आहार ग्रहण करके ही कुपोषण से बचा जा सकता है।
तो दोस्तो इस प्रकार हमने आज कुपोषण के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की। इसी प्रकार की बेहतरीन जानकारी के लिए हमारे साथ बने रहें। अगर आपका कोई प्रश्न है तो आप नीचे काॅमेंट बाॅक्स में पूछ सकते है। हमें आपकी सहायता करके खुशी होगी।
धन्यवाद!
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