हैल्लो दोस्तो आज हम राजस्थान प्रदेश की भू-संरचना के बारे में जानकारी प्राप्त करने वाले है। जिसमें हम राजस्थान की भौगोलिक संरचना को समझने वाले है। जो आज हमारा विषय रहेगा। तो चलिए दोस्तो बढ़ते है आज के आर्टिकल की ओर।
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राजस्थान प्रदेश की भू-संरचना
⇒राजस्थान में अरावली पर्वत शृंखलाओं की उपस्थिति के फलस्वरूप सम्पूर्ण प्रदेश दो निश्चित भागों में बँटा हुआ है। इसके पश्चिमी भाग में अर्द्धशुष्क क्षेत्र है। जबकि पूर्वी भाग में कुछ वनस्पति पायी जाती है। यहाँ वर्षा बहुत कम होती है। राजस्थान के कुल भू-भाग का 90 प्रतिशत भाग वन है तथा वृक्षों से ढका हुआ सघन क्षेत्र 3 प्रतिशत ही है। इसमें अधिकांशतः वनस्पति विहीन पठार व पहाड़ियाँ है। इसमें 31150 वर्ग किमी क्षेत्र में 9250.40 वर्ग किमी प्राकृतिक वन है तथा 2679.94 वर्ग किसी क्षेत्र वन्य जीवों के लिए शिकार निषेध क्षेत्र के रूप् में वन्य जीव संरक्षण के अन्तर्गत विकसित किया गया है।
राजस्थान प्रदेश को भू-संरचना तथा मुख्य पारिस्थितिक तंत्रों के आधार पर चार भागों में बाँटा गया है।
- मरूस्थलीय क्षेत्र
- पूर्वी व मैदानी क्षेत्र
- दक्षिणी क्षेत्र
- पर्वतीय क्षेत्र
मरूस्थलीय क्षेत्र
राजस्थान का दो तिहाई भू-भाग मरूस्थलीय है। अतः यह मरु प्रदेश कहलाता है। यहाँ रेत के धोरे हैं तथा तेज हवा में ये एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानान्तरित हो जाते है। यहाँ वर्षा बहुत कम होती है। यहाँ औसत वार्षिक वर्षा 100 मिमी तक ही होती है। यहाँ की जलवायु शुष्क है। कम वर्षा के कारण यहाँ सेवन घास (लेसूरियस हिर्सुटस), बबूल (अकेशिया नीलोटिका), आक (केलोट्रोपिस), कैर (कैपेरिस डेसीडुआ), बेर (जिजिफस), फोग (कैलिगेनम पोलीगोनाॅइड्स) आदि झाड़ी एवं वृक्ष होते है। इन वनों में कृष्ण मृग, गोडावन, नील गाय, चिंकारा, मुख्य वन जीव है। मुख्य पक्षी गिद्ध, चील, बाज, कुर्जा, तिलोर है।
इस क्षेत्र में दो अभयारण्य है:
- ताल छापर अभयारण्य (चूरू)
- मरु उद्यान/जैव मण्डल रिजर्व (जैसेलमेर)
पूर्वी व मैदानी क्षेत्र
यह अरावली पर्वत माला के पूर्वी क्षेत्र मे स्थित है। यहाँ नदी-नालों व जल की उपलब्धता होने के कारण उपजाऊ क्षेत्र है। यहाँ पानी के छोटे-छोटे तालाब है। इन तालाबों में स्थानीय तथा प्रवासी पक्षी व जलचर निवास करते है। यहाँ की वनस्पति में मुख्यतः बबूल, इमली (टेमेरिन्डस इण्डिका), कदम्ब(एन्थोसेफेलस इण्डिकस), आम (मैन्जीफेरा इण्डिका), बरगद (फाइकस बैंगालेसिस), धोंकडा (एनोजिसस पेण्डुका), आदि है। यहाँ के वन्य जीव अजगर, जरख, जंगली सुअर, काले हिरण, नेवला, जंगली बिल्ली, टोडी कैट, सियार, लोमड़ी, सेही, खरहा, साम्भर, नीलगाय आदि प्रमुख है। यहाँ के मुख्य पक्षी-स्टार्क, इग्रेट, स्पून बिल, जल कौवे, प्लोवर, सैण्ड पाइपर, बार्बलर, वाईपिट, गिद्ध, ईगल्स, कोच व साइबेरियन क्रेन मुख्य है। जलीय जीवों में कछुए, ऊद विलाब, मेढ़क, जलीय सर्प, जोंक, घोंघे व अनेक प्रकार के कीट शामिल है।
इस क्षेत्र में मुख्य राष्ट्रीय पार्क एवं अभयारण्य है :
- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (भरतपुर)
- राष्ट्रीय चम्बल अभयारण्य (राणा प्रताप सागर कोटा)
- वन बिहार अभयारण्य (धौलपुर)
- जवाहर सागर अभयारण्य (कोटा)
- बंध बारेठा अभयारण्य (भरतपुर)
दक्षिणी क्षेत्र
राजस्थान के दक्षिणी क्षेत्र में विध्याचल व अरावली पर्वत शृंखलाओं के पठारी भाग सम्मिलित है। यहाँ काली मिट्टी पायी जाती है। यह आदिवासी बहुल क्षेत्र है। इस क्षेत्र में वार्षिक वर्षा 150-200 मिमी होने के कारण यहाँ सघन वन पाये जाते है। यहाँ की वनस्पति में मुख्यतः दुधी (यूफोर्बिया प्रोस्टेट), बांस (बम्बूसा अरुण्डिनेसिया), तेन्दु (डायोस्पाइरस मेलेनोजाइलाॅन), महुआ (मधुका इण्डिका), बहेड़ा (टरमिनेलिया), धावड़ा (एनौजिसस लैटिफोलिया) आदि है। यहाँ वर्षा अधिक होने के कारण सागवान (टेक्टोना ग्रन्डिस) के वृक्ष अधिक संख्या में है। यहाँ के मुख्य वन्य जन्तु है -बाघ, बघेरे, चीतल, सांभर, उड़न गिलहरी, चैसिंगा, चिंकारा, जंगली सुअर, भालू, सेही, नीलगाय, भेडिया, जरख, सियार, लंगूर, रीसस बंदर आदि।
इस क्षेत्र में आठ वन्य जीव अभयारण्य हैं:
- कुम्भलगढ़ अभयारण्य, राजसमंद
- सज्जनगढ़ अभयारण्य, उदयपुर
- फुलवार की नाल अभयारण्य, पाली उदयपुर
- बस्सी अभयारण्य, चित्तौडगढ़
- भैंसरोडगढ़ अभयारण्य, चित्तौडगढ़
- जयसमन्द अभयारण्य, जयसमन्द
- माउण्ट आबू अभयारण्य, सिरोही
- सीतामाता अभयारण्य, प्रतापगढ़
पर्वतीय क्षेत्र
राजस्थान के दक्षिण पश्चिम से उत्तर पूर्व तक फैली अरावली की शृंखला का विन्ध्याचल की पर्वत शंृखलाएँ मिलकर पर्वतीय क्षेत्र बनाती है। प्रदेश का मुख्य वन क्षेत्र पर्वतीय क्षेत्र में स्थित है। यहाँ औसत वार्षिक वर्षा 500-700 मिमी तक होती है। इस क्षेत्र में नीची पर्वत श्रेणियां हैं तो दूसरी ओर 1772 मीटर ऊँची चोटी गुरु शिखर की है जो माउण्ड आबू में स्थित है। इस क्षेत्र की मुख्य वनस्पति है-घास (सायनोडोन डेक्टाइलाॅन), धोक, साल (शोरिया रोबस्टा), तेन्दु, आम, पलाश (ब्यूटिया मोनोस्पर्मा) आदि। यहाँ के मुख्य वन्य जन्तु हैं- बाघ, बघेरा, रीछ, जरख, चीतल, चिंकारा, सियार, साँभर, कृष्णा मृग, नीलगाय, जंगली सुअर, खरगोश, नेवला, गोह, लोमड़ी, उड़न लोमड़ी, सर्प, चैसिंगा, गिरगिट, स्किन्क आदि। इनके अलावा स्टार्क, स्पूनबिल, बत्तखें, जैसानरा, फ्लाई कैचर, बटेर, भटतीतर उललू, ईगल, मोर आदि पक्षी भी पाये जाते है।
इस क्षेत्र में 10 वन्य जीव अभयारण्य तथा राष्ट्रीय उद्यान है:
- सरिस्का अभयारण्य, अलवर
- रणथम्भौर, राष्ट्रीय उद्यान, सवाई माधोपुर
- दर्रा अभयारण्य, कोटा
- नाहरगढ़ अभयारण्य, कोटा
- रामगढ़ अभयारण्य, बँूदी
- जमवा रामगढ़ अभयारण्य, जयपुर
- शेरगढ़ अभयारण्य, बांरा
- सवाई मानसिंह अभयारण्य, सवाई माधोपुर
- कैलादेवी अभयारण्य, करौली
- टाॅडगढ़, रावली, अभयारण्य अजमेर
तो दोस्तो आज हमने राजस्थान प्रदेश की भू-संरचना के बारे में जानकारी प्राप्त की अगर आपको आर्टिकल अच्छा लगा तो काॅमेट में बताए। और अपना किमती सूझाव अवश्य देवें।
धन्यवाद !
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