वायरस क्या है : संरचना, प्रकार, लक्षण, रोग और उपयोग | Virus in Hindi

Virus in Hindi

नमस्कार दोस्तो! आज हम विषाणु अर्थात् वायरस (Virus in Hindi) के बारे में जानकारी प्राप्त करने वाले है। जिसमें हम वायरस क्या है, विषाणु के लक्षण, विषाणु की संरचना, विषाणु के उपयोग और विभिन्न प्रकार के विषाणु जनित रोगों के बारे में पढ़ेंगे।

वायरस (Virus in Hindi)

वायरस
वायरस

वायरस क्या है ?

वाइरस अति सूक्ष्म, अविकल्प परजीवी, अकोशिकीय तथा विशिष्ट न्यूक्लियो प्रोटीन कण हैं, जो किसी जीवित परपोषी के अन्दर रहकर प्रजनन करते है। ये सजीव एवं निर्जीव के मध्य की कड़ी हैं।

वायरस के लक्षण

विषाणुओं में सजीवों के लक्षण अधोलिखित हैं:

  • आनुवंशिक पदार्थ की उपस्थिति।
  • गुणन।

विषाणुओं में निर्जीवों के लक्षण अधोलिखित हैं:

  • जीवद्रव्य व कोशिकांगों का अभाव।
  • अनेक जैविक क्रियाओं-श्वसन, उत्सर्जन आदि का अभाव।
  • निर्जीवों के समान इनके भी क्रिस्टल बनाए जा सकते हैं।
  • गुणन केवल पोषी कोशिका के अन्दर।

आजकल कोशिका को जीवन का मूलभूत आधार माना जाता है। सभी जीवधारी कोशिकाओं के बने होते हैं। किन्तु विषाणुओं में कोशिकीय संगठन का पूर्णतः अभाव होता है तथा जीवित पोषी के बाहर ये निर्जीव पदार्थों की भांति व्यवहार करते हैं, परन्तु साथ ही, जब ये पोषी की कोशिका के अन्दर पहुँच जाते हैं, तो अन्य जीवों के समान गुणन करते हैं तथा इनकी आनुवंशिक निरन्तरता बनी रहती है।

इस प्रकार यदि देखा जाए तो ये जीवधारियों का एक प्रमुख गुण, प्रजनन, प्रदर्शित करते हैं। अतः यह सत्य है कि विषाणु ‘‘जीवों तथा निर्जीवों के बीच की कड़ी हैं।’’

दूसरी ओर, कुछ वैज्ञानिकों की धारणा है कि विषाणु आद्य या प्राचीन कण नहीं है, अपितु ये अत्यन्त विशिष्ट अधिपरजीवी हैं। अभी भी इस विवाद का समुचित समाधान नहीं हो सका।

विषाणु की संरचना

विषाणु की संरचना
विषाणु की संरचना

वाइरस रचना में प्रोटीन के आवरण से घिरा न्यूक्लिक अम्ल होता है। बाहरी आवरण या Capsid में बहुत सी प्रोटीन इकाइयाँ होती हैं। पूरे कण को ‘विरिऑन’ कहते हैं। इनका आकार 10-500 मिलीमाइक्रान होता है। विषाणुओं में न्यूक्लिक अम्ल आर.एन.ए. तथा डी.एन.ए. दो में से एक होता है।

न्यूक्लिक अम्ल, ‘विरिऑन’ का 6 प्रतिशत भाग बनाता है। जबकि प्रोटीन का कवच 94 प्रतिशत भाग बनाता है। प्रोटीन कवच अक्सर एक पतली पूंछ के रूप में होता है।

वायरस कितने प्रकार के होते हैं ?

परपोषी प्रकृति के आधार पर विषाणु तीन प्रकार के होते है। जो निम्न है:

  1. पादप विषाणु
  2. जन्तु विषाणु
  3. बैक्टीरियोफेज/जीवाणु भोजी

पादप विषाणु

इनका न्यूक्लिक अम्ल आर.एन.ए. होता है।

जैसे : टी.एम.वी., पीला मोजैक विषाणु आदि।

जन्तु विषाणु

इनमें डी.एन.ए. या कभी-कभी आर.एन.ए. भी पाया जाता है। ये प्रायः गोल होते है।

जैसे : इन्फ्लूएंजा, मम्पस वाइरस आदि।

बैक्टीरियोफेज या जीवाणु भोजी

ये केवल जीवाणुओं के ऊपर आश्रित रहते हैं। इनमें डी.एन.ए. पाया जाता है।

जैसे : टी2 फेज।

विषाणु जनित रोग

विषाणु जनित रोग
विषाणु जनित रोग

पौधों में होने वाले विषाणु जनित रोग

फसल का नामरोग का नाम
 चुकन्दरऐंठा हुआ शिरोभाग
 भिण्डीपीली नाड़ी मोजेक
 गन्नातृण समान प्ररोह
 पपीतामोजेक
 केलामोजेक
 तिलफिल्लोडी
 सरसोंमोजेक
 बादामरेखा पैटर्न
 नींबूनाड़ी का ऊतक क्षयन
 टमाटरपत्तियों की ऐंठन

पशुओं में होने वाले वाइरस जनित रोग

पशुवाइरसरोग
 गायवैरियोला वैक्सीनियाचेचक
 भैंसपाक्स विरिडोआर्थोपाक्सचेचक
 चैपायारैण्डोविरिडी कैसोक्यूलोज्वर
 गायब्लू टंगब्लूटंग
 गायहर्पोजहर्पोज
 गाय एवं भैंसपैरामिक्सोविरीडीमोर विलीरिण्डरपेस्ट
 गाय एवं भैंसपिकोरनाविरीडी एफथोमुंहपका एवं खुरपका
 चैपाया (कुत्ता)स्ट्रीटरैबीज

मनुष्य में विषाणुओं द्वारा उत्पन्न रोग

रोगकारक विषाणु
 चचेकवैरिओला वाइरस
 हरपीजहरपीज वाइरस
 रैबीजरैब्डोवाइरस
 पोलियोमेलाइटिसएन्टीरोवाइरस
 एड्सएच.आइ.वी.-3 वायरस
 इन्फ्लुएंजा (फ्लू)ऑर्थोमिक्सो वाइरस
 वाइरल एन्सिफेलाइटिसआरबोवाइरस
 डेंगू फीवरअरबोवाइरस
 सर्दी-जुकामराइनोवाइरस
 मम्पसमम्प वाइरस
 मीजिल्सपैरामिक्सो वाइरस
 चिकेनपाॅक्सवैरिसेला वाइरस

विषाणुओं के उपयोग

यद्यपि विषाणुओं का नाम लेते ही भयानक रोगों की याद आने लगती है, फिर भी विषाणुओं का उपयोग लाभदायक कार्यों में भी सम्भव है। इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार है।

  • साइनोफेज (वे विषाणु जो साइनोबैक्टीरिया अर्थात् नीलहरित शैवाल में रोग उत्पन्न करते हैं) का उपयोग अनेक स्थानों पर अवांछित नीलहरित शैवालों को साफ करने में किया जाता है।
  • हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करने के लिए बैक्टीरियोफेज का प्रयोग किया जाता है। इनके द्वारा जल को सड़ने से बचाया जा सकता है। गंगा के पानी में जीवाणु भोजियों की उपस्थिति से यह क्रिया स्वतः होती रहती है।
  • बैक्टीरियोफेज की सहायता से जीवाणुओं के विभिन्न विभेदों को पहचाना जा सकता है।

वाइराॅइड क्या है ?

डियनर एवं रेयमर ने 1967 में अत्यधिक साधारण संक्रामक कारकों को खोजा व इनको वाइराॅइड्स नाम दिया। वाइराॅइड्स मात्र छोटे आर.एन.ए. के खण्ड होते हैं तथा इन पर प्रोटीन का आवरण भी नहीं होता है। परन्तु इनमें संक्रमित कर, रोग उत्पन्न करने की क्षमता होती है। ये पादप रोग के संक्रमण हेतु सबसे छोटे कारक होते हैं।

नारियल में ‘कदंग-कदंग’ नामक रोग क्रिसेन्थिमम स्टन्ट, साइट्रस एग्जिकोर्टिस वाइरस तथा आलू में ‘तर्कु कंद’ रोग इन्हीं के कारण होता है।

प्रिऑन क्या है ?

ऐसे रोग संक्रामक कारक जिनमें केवल प्रोटीन होता है तथा न्यूक्लिक अम्ल का अभाव पाया जाता है; प्रिऑन की संज्ञा से अभिहित किया जाता है। इसकी खोज स्टैनले प्रूसीनर ने की, जिसके लिए उन्हें 1997 में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।

ध्यातव्य है कि इन प्रोटीन कारकों में गुणन की व संक्रमित करने की क्षमता होती है। अतः अब वैज्ञानिकों के समक्ष प्रश्न-चिन्ह है कि आनुवंशिक पदार्थ तो न्यूक्लिक अम्ल ही होते हैं तो इन प्रोटीन में यह क्षमता कैसे पाई जाती है।

भेड़ों में स्क्रेपी रोग इन्हीं के कारण से होता है। इस रोग में भेड़ विचलित होकर किसी आधार से अपने शरीर को रगड़ती रहती है। गत वर्षों में ब्रिटेन में गायों के पगलाने के रोग के पीछे इन्हीं को कारण माना जा रहा था।

अभी हाल ही में स्विस वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि उन्होंने मानव को संक्रमित करने वाली प्रिऑन प्रोटाॅन की त्रिविमीय संरचना का पता लगा लिया है।

वायरस से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1. वायरस की खोज किसने किया था ?
उत्तर: रूसी वनस्पति शास्त्री इबानोवस्की ने 1892 में खोज की।


प्रश्न 2. वे पदार्थ जो वायरस को नष्ट कर देते हैं, कहलाते है ?
उत्तर: Virucide जैसे – इन्टरफेराॅन।


प्रश्न 3. वायरस संक्रमित कोशिकाएं आत्मरक्षा हेतु किस पदार्थ को उत्पन्न करती हैं ?
उत्तर: इन्टरफेराॅन


प्रश्न 4. प्रथम प्रकाश-संश्लेषी जीव किसे माना जाता है ?
उत्तर: साइनोबैक्टीरिया को


प्रश्न 5. वायरस को क्रिस्टल के रूप में सबसे पहले पृथक करने का श्रेय किसे प्राप्त है ?
उत्तर: डब्ल्यू.एम. स्टैनले


प्रश्न 6. गंगा नदी को शुद्ध करने में अपमार्जक का कार्य कौन करता है ?
उत्तर: जीवाणुभोजी


प्रश्न 7. प्रिऑन बने होते है ?
उत्तर: केवल प्रोटीन के


प्रश्न 8. वायरस किसके बने होते है ?
उत्तर: न्यूक्लियोप्रोटीन


प्रश्न 9. द्विनाम पद्धति का जन्मदाता कौन था ?
उत्तर: कैरोलस लीनियस (पहला शब्द वंश एवं दूसरा जाति का)

तो दोस्तों आज हमने विषाणु/वायरस के बारे में समझा। अगर आपको अभी भी किसी प्रकार का डाउट है तो आप काॅमेन्ट बाॅक्स में पूछ सकते है। हम आपको अवश्यक जवाब देंगें। अगर आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगी तो इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें और इसी तरह की बेहतरीन जानकारी के लिए हमारे साथ बने रहें।

धन्यवाद!

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