हैल्लो दोस्तो ! क्या आपने अम्लीय वर्षा के बारे में सुना है। अगर नहीं, तो चलिए जानते है कि अम्लीय वर्षा क्या है? (Acid Rain in Hindi) इसके क्या प्रभाव है। यह कैसे उत्पन्न होती है। और इसकी रोकथाम कैसे की जा सकती है। तो चलिए बढ़ते है। आज के आर्टिकल की ओर।
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अम्लीय वर्षा
अम्लीय वर्षा, काली वर्षा भी कहलाती है क्योंकि यह वायुमण्डल में सल्फर डाईऑक्साइड तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड की अधिकता के कारण होती है। ये वायुमण्डलीय जलवाष्प से क्रिया करके क्रमशः सल्फ्यूरिक अम्ल नाइट्रिक अम्ल बनाते है। थोड़ी मात्रा में कार्बन डाईऑक्साइड के कारण कार्बोलिक अम्ल भी बन जाता है। ये अम्ल वर्षा जल में घुलकर बूँदों के रूप में पृथ्वी पर गिरत हैं तब इसे अम्लीय वर्षा जल में घुलकर बूँदों के रूप में पृथ्वी पर गिरते हैं तब इसे अम्लीय वर्षा (Acid Rain in Hindi) कहते है। इसे निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है –
- सल्फर डाईऑक्साइड + जलवाष्प = सल्फ्यूरिक अम्ल वर्षा
- नाइट्रोजन ऑक्साइड + जलवाष्प = नाइट्रिक अम्ल वर्षा
- कार्बन डाई ऑक्साइड + जलवाष्प = कार्बोलिक अम्ल वर्षा
अम्ल वर्षा के कारण
पर्यावरण प्रदूषण उत्पन्न करने वाली प्रमुख गैसें SO2 तथा NO2 अम्लीय वर्षा का मुख्य कारण है। इनका उत्सर्जन मोटर वाहनों, बिजली, घरों, तेल शोधन कार्यशालाओं एवं अन्य उद्योगों से होता है। ये गैसें हजारों किलोमीटर के वायुमण्डल में फैल सकती है। ये जितने समय तक वातावरण में रहती हैं उतनी ही अधिक इनकी अम्लीय अवस्था में परिवर्तित होने की सम्भावना रहती है। अम्लीय वर्षा के प्रमुख संघटक H2SO4 तथा HNO3के बनने का मुख्य कारण औद्योगिक उत्सर्जन है।
अम्लीय वर्षा के प्रभाव
अम्ल वर्षा के कारण मृदा की अम्लीयता बढ़ जाती है जिसके कारण इसमें उगने वाली वनस्पतियों पर कुप्रभाव होता है। अम्ल वर्षा के कारण जलाशयों की अम्लीयता में वृद्धि हो जाती है जिससे जलीय जीव भी प्रभावित हो जाते है। अम्लीय वर्षा धातुओं एवं पत्थर आदि से बनी इमारतों, पुलों, रेलिंग्स, स्तम्भों आदि का संक्षारण करती है जिससे इसके लिए खतरा उत्पन्न हो जाता है। अम्लीयता के कारण जल में भारी धातुओं जैसे एलुमिनियम, मैग्नीज, जिंक, कैडमियम, लैड, काॅपर आदि की मात्रा भी बढ़ने लगती है। अम्लीय वर्षा ने स्वीडन, कनाडा आदि देशों में कई झीलों को अम्लीकृत कर दिया है। जिसके कारण मछलियों की संख्या काफी कम हो गयी है। बहुत से जीवाणु एवं नील हरित शैवाल भी प्रभावित हुए है।
⇒अम्लीय वर्षा के कारण जर्मनी में वनों की हानि हुई है तथा मृदा की उर्वरता में कमी आयी है। भारत में भी अम्लीय वर्षा के बुरे परिणाम सामने आ सकते है। दिल्ली, कोलकाता, मुम्बई में औद्योगिकरण बढ़ने से प्रदूषण बढ़ा है। इससे अम्ल वर्षा का खतरा पैदा हो गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार अम्ल वर्षा के कारण आगरा स्थित ताजमहल के संगमरमर का क्षरण हो रहा है।
अम्लीय वर्षा से बचाव
- अम्लीय वर्षा से बचाव का सबसे कारगर उपाय है, वायुमण्डलीय प्रदूषण को कम करना। हमें वायुमण्डल में मुक्त होने वाली SO2 व NO2 के उत्सर्जन को रोकना चाहिए।
- व्यक्तिगत वाहनों के प्रयोग के बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देना चाहिए तथा सामूहिक आवागमन करना चाहिए। इस दिशा में दिल्ली व जयपुर में मैट्रो-ट्रेन चलाकर एक उचित कदम-उठाया गया है।
- हानिकारक गैसों को वायुमण्डल में सीधे ही नहीं छोड़ना चाहिए।
- जीवाश्म ईंधनों के प्रयोग को कम करके सौर ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए।
- हमें पर्यावरण के प्रति जागरूकता लानी चाहिए। अधिक से अधिक वृक्ष लगाकर पर्यावरण को स्वच्छ रखना चाहिए।
- दिल्ली भारतवर्ष का सबसे अधिक वायु प्रदूषण वाला शहर है।
- सामान्य वातावरण में 60-90% अम्लीयता H2SO4 के कारण तथा 30-40% HNO3 के कारण होती हैं।
- अम्ल वर्षा के कारण स्वीडन के तलाबों व झीलों से सालमन तथा ट्राउट मछलियाँ लगभग समाप्त हो गई हैं।
तो दोस्तो आज के आर्टिकल में हमने अम्लीय वर्षा (Acid Rain in Hindi) के बारे में जानकारी प्राप्त की। अगर आपको आर्टिकल अच्छा लगा तो इसे अपने दोस्तो के साथ शेयर जरूर करें। और इसी प्रकार की बेहतरीन जानकारी के लिए हमारे साथ बने रहें।
धन्यवाद !
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