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कार्बन के अपररूप – अपररूपता | Allotropes of Carbon in Hindi | Biology

Author: EduTzar | On:15th May, 2020| Comments: 0

हेल्लो दोस्तों कैसे है आप ? हम आशा करते है कि आप अच्छे होगें। तो दोस्तो आज के इस आर्टिकल में हम कार्बन के अपररूप(Allotropes of Carbon in Hindi) के बारे में अध्ययन करेंगे और अंत में इसी टाॅपिक से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नों का भी अध्ययन करेंगें। तो चलिए बढ़ते है आज के आर्टिकल की तरफ:

Table of Content

  • कार्बन के अपररूप (Allotropes of Carbon in Hindi)
    • अपररूप (Allotropes of Carbon in Hindi)
    • कार्बन के अपररूपों(Allotropes of Carbon) का वर्गीकरण
      • क्रिस्टलीय अपररूप
        • हीरा (Diamond)
          • हीरे की संरचना (Diamond Structure)
          • हीरे के उपयोग (Use of Diamond)
        • ग्रेफाइट (Graphite)
          • ग्रेफाइट की संरचना (Graphite Structure)
          • ग्रेफाइट के उपयोग (Use of Graphite)
    • हीरे और ग्रेफाइट में अन्तर (Difference Between Diamond & Graphite)
        • फुलरीन (Fullerene)
          • फुलरीन की संरचना (Fullerene Structure)
          • फुलरीन के उपयोग (Use of Fullerene)
    • महत्त्वपूर्ण प्रश्न (Important Questions Allotropes of Carbon in Hindi)
    • Allotropes of Carbon in Hindi

कार्बन के अपररूप (Allotropes of Carbon in Hindi)

allotropes of carbon, Allotropes of Carbon in Hindi

दोस्तों कार्बन के अपररूप(Allotropes of Carbon in Hindi) को समझने से पहले हमें यह पता होना चाहिए कि अपररूप किसे कहते है ? तो चलिए सर्वप्रथम यह जानते है।

अपररूप (Allotropes of Carbon in Hindi)

allotropes

दोस्तो अपररूप से तात्पर्य है: किसी तत्व के वे भिन्न-भिन्न रूप जिनके रासायनिक गुणधर्म एक समान होते हैं जबकि भौतिक गुणधर्म भिन्न-भिन्न होते है। या यह भी कहा जा सकता है कि अगर कोई तत्त्व अपने रासायनिक गुणधर्म में परिवर्तन किए बिना एक से अधिक भौतिक रूप प्रकट करें, उसे अपररूप कहते है। और तत्वों के इस गुण को ही अपररूपता कहते है.

उदाहरण के लिए: प्रकृति में कार्बन तत्व अनेक विभिन्न भौतिक गुणों के साथ विविध रूपों में पाया जाता है। हीरा एवं ग्रेफाइट दोनों ही कार्बन के परमाणुओं से बने हैं, कार्बन के परमाणुओं के परस्पर आबन्धन के तरीकों के आधार पर इनमें अन्तर होता है। इसके बारे में हम आगे चलकर जानेंगें। उससे पहले हम यह जानेंगें कि कार्बन के कितने अपररूप है ? और इनके वर्गीकरण को संक्षिप्त में भी समझेंगें।

कार्बन के अपररूपों(Allotropes of Carbon) का वर्गीकरण

forms of carbon

दोस्तों कार्बन के अपररूप(Allotropes of Carbon) को दो प्रकार से वर्गीकृत किया गया है। जो निम्न प्रकार है:

  • क्रिस्टलीय अपररूप
  • अक्रिस्टलीय अपररूप

तो सबसे पहले हम क्रिस्टलीय अपररूप के बारे में जानेंगें कि क्रिस्टलीय अपररूप क्या है ?

क्रिस्टलीय अपररूप

परिभाषा : ‘‘वह अपररूप जिसमें कार्बन परमाणु एक निश्चित व्यवस्था में व्यवस्थित होकर एक निश्चित ज्यामिति से निश्चित बन्धकोण का निर्माण करते है, क्रिस्टलीय अपररूप कहलाते है।’’

क्रिस्टलीय अपररूप को आज हम विस्तार से समझेंगें। जिसके लिए हम हीरा, ग्रेफाइट और फुलरीन की संरचना और इसी के साथ इनके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करेंगें। यह तीनों कार्बन के क्रिस्टलीय अपररूप है जो हमें क्रिस्टलीय अपररूप को समझने मे सहायता प्रदान करेंगें। जिसमें हम यह जान सकेंगें कि क्रिस्टलीय अपररूप के विभिन्न अपररूप की संरचना कैसी है ? और इन्हें किस प्रकार उपयोग में लाया जाता है ? तो चलिए सबसे पहले हीरे की संरचना और हीरे के उपयोग के बारे में जाने।

हीरा (Diamond)

Diamond

हीरे की संरचना (Diamond Structure)

purest form of carbon

  • ⇒हीेरे में कार्बन का प्रत्येक कार्बन परमाणु कार्बन के चार अन्य परमाणुओं के साथ आबंधित होकर एक दृढ़ त्रिआयामी चतुष्फलकीय संरचना का निर्माण करता है।
  • हीरा कार्बन का अतिशुद्ध रूप है।
  • इसमें कार्बन-कार्बन के मध्य बन्ध दूरी 1.54 \AA होती है।
  • ये विद्युत के कुचालक होते हैं क्योंकि कार्बन की चारों संयोजकताएँ चार अन्य कार्बन परमाणुओं से जुड़ी रहती है, अतः मुक्त इलेक्ट्राॅन नहीं होते है।
  • हीरे की संरचना में प्रबल सहसंयोजक बंधों का त्रिविमीय जाल होता है। अतः यह अत्यधिक कठोर होता है। हीरा अब तक ज्ञान सर्वाधिक कठोर पदार्थ है।
  • हीरे का गलनांक 3843 केल्विन(K) होता है।
  • कोयले की परतों पर चट्टनों का दबाव पड़ने से हीरा पारदर्शक हो जाता है।
  • शुद्ध कार्बन को अत्यधिक उच्च दाब एवं ताप पर उपचारित करके हीरे को संश्लेषित किया जा सकता है।

तो दोस्तो हमने हीरे की संरचना के बारे में तो जानकारी प्राप्त कर ली है। अब हम जानते है कि हीरे के उपयोग क्या है ?

हीरे के उपयोग (Use of Diamond)
  • काँच को काटने में कटर के रूप में।
  • चट्टानों एवं पत्थर काटने की मशीन में इसका उपयोग किया है।
  • फोनोग्राम की सूई बनाने में।
  • कई रत्नों, आभूषणों के निर्माण में हीरे का उपयोग किया जाता है।

दोस्तो अब हम जानेंगें ग्रेफाइट की संरचना और उपयोग के बारे में। तो चलिए टाॅपिक की तरफ बढ़ते है।

ग्रेफाइट (Graphite)

Graphite

ग्रेफाइट की संरचना (Graphite Structure)

दोस्तों ग्रेफाइट ‘ग्रेफो’ शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है लिखना। इसी के साथ आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हम जिस पेंसिल का उपयोग लिखने के लिए करते है। वह ग्रेफाइट की ही बनी होती है। तो चलिए जानते है ग्रेफाइट की संरचना किस प्रकार है।

  • ⇒ग्रेफाइट में कार्बन का प्रत्येक परमाणु कार्बन के तीन अन्य परमाणुओं के साथ एक ही तल में बन्ध बनाते हुए षट्कोणीय वलय संरचना बनाते है।
  • ग्रेफाइट की सरंचना में षट्कोणीय तल एक-दूसरे के ऊपर व्यवस्थित होकर परत संरचना का निर्माण करते हैं।
  • दो परतों के मध्य दुर्बल बन्ध होने तथा उनके मध्य दूरी अधिक होने से एक परत दूसरी परत पर फिसल सकती है। यही कारण है कि ग्रेफाइट को शुष्क स्नेहक के रूप में प्रयुक्त करते है।
  • मुक्त इलेक्ट्राॅनों की उपस्थिति एवं दो परतों के मध्य उपस्थित स्थान के कारण ग्रेफाइट विद्युत का सुचालक होता है।
  • ⇒ग्रेफाइट काले धूसर रंग का मुलायम पदार्थ होता है।
  • ग्रेफाइट चिकना तथा फिसलनशील पदार्थ होता है।
  • यह चमकीला पदार्थ होता है।

तो दोस्तों संरचना के बारे में जानने के बाद में अब हम ग्रेफाइट के उपयोग के बारे में पढ़ेंगें।

ग्रेफाइट के उपयोग (Use of Graphite)
  • ग्रेफाइट पेंसिल में प्रयुक्त होता है।
  • शुष्क स्नेहक के रूप में काम आता है।
  • इलेक्ट्रोड बनाने के काम आता है।
  • लोहे की वस्तुओं पर पाॅलिश करने में काम आता है।
  • नाभिकीय परमाणु भट्टी में मंदक के रूप में काम आता है।

तो दोस्तों अब तक हमने हीरे और ग्रेफाइट की संरचना और उपयोग के बारे में जानकारी प्राप्त की। अब हम हीरा एवं ग्रेफाइट में तुलना को समझेंगें। क्युँकि इन दोनों में विभेद करने के लिए हमें इसकी जानकारी होनी आवश्यक है। तो चलिए यह भी जानते है।

हीरे और ग्रेफाइट में अन्तर (Difference Between Diamond & Graphite)

क्र.स. गुणहीराग्रेफाइट
1.संरचनाचतुष्फलकीयषट्कोणीय तथा परतों में व्यवस्थित होता है।
2.भौतिक अवस्थारंगहीन, पारदर्शीचमकदार, अपारदर्शी, काले रंग का
3.कठोरतासर्वाधिक कठोरमुलायम एवं चिकना
4.विशिष्ट घनत्व3.512.25
5.विद्युत चालकता⇒विद्युत का कुचालकविद्युत का सुचालक

अब दोस्तों हीरे और ग्रेफाइट में अन्तर को जानने के बाद हम फलरीन की संरचना और उपयोग के बारे में पढ़ेंगें।

फुलरीन (Fullerene)

Fullerene, Allotropes of Carbon in Hindi

फुलरीन की संरचना (Fullerene Structure)
  • ⇒फुलरीन की संरचना एक फुटबाल की तरह होती है।
  • अमेरिका के प्रसिद्ध वास्तुकार बकमिन्सटर फुलर के नाम पर इसका नाम ⇒फुलरीन रखा गया है।
  • फुलरीन के अणु में 60, 70 या अधिक कार्बन परमाणु पाए जाते है।
  • { C }_{ 60 } सर्वाधिक स्थायी ⇒फुलरीन है जिसे बकमिन्सटर फुलरीन भी कहते है।
  • { C }_{ 60 } की संरचना में 32 फलक होते हैं जिसमें 20 फलक षट्कोणीय तथा 12 फलक पंचकोणीय होते है। इनकी संरचना फुटबाॅल के समान होती है, अतः इसे ‘‘बकीबाॅल’’ भी कहा जाता है।
  • { C }_{ 60 } विद्युत का कुचालक होता है एवं इसमें कार्बन-कार्बन बंध लम्बाई 1.40 \AA होती है।
  • फुलरीन गोल गुम्बद के समान लगते है।
फुलरीन के उपयोग (Use of Fullerene)
  • प्राकृतिक गैस के शुद्धिकरण में।
  • आणविक बेयरिंग में।
  • उच्च ताप पर अतिचालक होने के कारण तकनीकी रूप से यह कार्बन का महत्वपूर्ण अपरूप है।

अब दोस्तो हम कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों का अध्ययन करेंगें जो परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है –

महत्त्वपूर्ण प्रश्न (Important Questions Allotropes of Carbon in Hindi)

  • फुलरीन में कार्बन परमाणुओं की संख्या कितनी हो सकती है ?
    उत्तर: ⇒फुलरीन के अणु में 60-70 या अधिक कार्बन परमाणु पाये जाते है।

 

  • कार्बन परमाणु की ज्यामिति कैसे होती है ?
    उत्तर: चतुष्फलकीय

 

  • कार्बन के अपररूपों के नाम लिखिए –
    उत्तर: (1) क्रिस्टलीय, (2) अक्रिस्टलीय

 

  • हीरा कठोर एवं ग्रेफाइट मुलायम होता है क्यो ?
    उत्तर: हीरे की संचरना में प्रबल सहसंयोजक बन्धों का त्रिविम जाल होने के कारण ये अत्यधिक कठोर होता है। जबकि ग्रेफाइट की संरचना में षटकोणीय तल एक-दूसरे के ऊपर व्यवस्थित होने के कारण मुलायम होता है।

 

  • फुलरीन की कोई चार विशेषताएँ बताइए।
    उत्तर: ⇒फुलरीन की चार विशेषताएँ निम्न प्रकार है:
    1. फुलरीन की संरचना एक फुटबाॅल की तरह होती है।
    2. यह गोल गुम्बद के समान लगते है।
    3. ⇒फुलरीन के अणु 60, 70 या अधिक कार्बन परमाणु होते हैं।
    4. यह उच्च ताप पर अतिचालक होने के कारण कार्बन का महत्वपूर्ण अपररूप है।

 

  • नाभिकीय परमाणु भट्टी में मंदक के रूप में काम आने वाले कार्बन के क्रिस्टलीय रूप का नाम लिखिए –
    उत्तर: ग्रेफाइट

 

  • हीरा पारदर्शक कैसे बनता है ?
    उत्तर: कोयले की परतों पर चट्टानों का दाब पड़ने से हीरा पारदर्शक हो जाता है।

 

  • हीरे में कार्बन-कार्बन के मध्य दूरी कितनी है ?
    उत्तर: 1.54 \AA होती है।

Allotropes of Carbon in Hindi

  • क्रिस्टलीय अपररूपों के नाम लिखिए –
    उत्तर: (1) हीरा (2) ग्रेफाइट (3) ⇒फुलरीन

 

  • ग्रेफाइट ⇒विद्युत का सुचालक होता है क्यो ?
    उत्तर: मुक्त इलेक्ट्रनों के कारण

 

  • फोनोग्राम की सुई बनाने में काम आने वाले कार्बन के क्रिस्टलीय रूप का नाम लिखिए –
    उत्तर: हीरा

 

  • हीरे व ग्रेफाइट की संचरना कैसी होती है ?
    उत्तर: हीरा – प्रबल त्रिआयामी संरचना/चतुष्फलकीय
    ग्रेफाइट – षट्कोणीय संरचना

तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने कार्बन के अपररूप(Allotropes of Carbon) के बारे में जाना। जिसमें हमने कार्बन के अपररूप को समझते हुए हीरे, ग्रेफाइट और ⇒फुलरीन की संरचना और उपयोग के बारे में जाना। तो दोस्तों मुझे आशा है कि आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा होगा। अगर अच्छा लगा तो अपने दोस्तो के साथ इसे शेयर करें। और इसी तरह की जानकारी पाने के लिए हमारे साथ जुड़े रहें। और किसी भी प्रकार के सुझाव हेतु काॅमेन्ट बाॅक्स में अवश्य देवें।

धन्यवाद !

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Antibody Structure | Types of Antibodies | प्रतिरक्षी की संरचना और प्रकार | Bio

Antigen and Antibody | प्रतिजन और प्रतिरक्षी | Difference between Antigen and Antibody

विषय :

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