बैलेनोग्लोसस : नामकरण, वर्गीकरण, लक्षण, संरचना – Balanoglossus in Hindi

Balanoglossus

नमस्कार दोस्तों, आज के आर्टिकल में हम बैलेनोग्लोसस(Balanoglossus) के बारे में अध्ययन करने वालें है जिसमें हम बैलेनोग्लोसस क्या है (a tongue worm), बैलेनोग्लोसस का वर्गीकरण, संरचना, लक्षण आदि के बारे में चर्चा करने वालें है तो चलिए बढ़तें है आज के आर्टिकल की ओर… Balanoglossus in Hindi

बैलेनोग्लोसस क्या है – Balanoglossus Kya Hai

balanoglossus in hindi
Balanoglossus in Hindi

दोस्तों यह एक कृमि है जो अधिकांशतः जल में पाया जाता है। जो हेमीकाॅर्डेटा संघ का प्राणी है। जिसें Acorn worm या Tongue worm भी कहते है। इसकी संरचना U-आकार की होती है।

तो सबसे पहले हम यह जान लेतें है कि हेमीकाॅर्डेटा क्या है जिससे आप बैलेनोग्लोसस को ओर अच्छे से समझ पाओंगें।

हेमीकाॅर्डेटा

दोस्तों हेमीकाॅर्डेटा एक जंतु संघ है। जिसमें अधिकांशतः कृमि जंतु आतें है। Hemichordata शब्द (Greek work hemi – half, chorde – cord) से बना हुआ है जिसका हिन्दी में अर्थ है ‘‘आधी रस्सी’’

बैलेनोग्लोसस का नामकरण

Balanoglossus Clavigerous नाम Delle Chiaye ने 1829 में दिया था और यह दो ग्रीक शब्दों से मिलकर बना है। जिसमें Balanos का अर्थ है ‘Acorn’ (fruit of oak) है जिसे acron worm भी कह सकतें है। glossus का अर्थ tongue है इसलिए इसको हम acron worm न कहकर के Tongue worm नाम से जानतें है।

Classification of Balanoglossus

  • Phylum – Hemichordata
  • Class – Enteropneusta
  • Family – Ptychoderidae
  • Genus – Balanoglossus
  • Species – Clavigerous

बैलेनोग्लोसस का वर्गीकरण

  • संघ – हेमीकाॅर्डेटा
  • वर्ग – एन्टेराॅप्न्यूस्टा
  • कुल – टाइकोडेराइडी
  • वंश – बैलैनोग्लोसस

बैलेनोग्लोसस के लक्षण

  • यह प्रायः सभी जगह के समुद्र में पाया जाने वाला प्राणी है।
  • बैलेनोग्लोसस को Acorn worm या Tongue worm भी कहते है।
  • इनकी आकृति कृमि के समान है।
  • यह उथले समुद्र में पायी जाने वाली रेत में U के आकार की नाली नुमा सुरंग बनाकर रहता है।
  • बैलेनोग्लोसस क्लैविजेरस के बिल की प्रत्येक भुजा की लम्बाई लगभग 50-70 सेमी. होती है।
  • प्रत्येक भुजा की आन्तरिक सतह रेत के कणों तथा स्त्रावित श्लेष्म जो mucus glands में स्त्रावित होता है से जुड़ी होती है।
  • अगर इनके आकार के बारे में बात करें तो ये 10 सेमी. तक लम्बे होते है।
  • इनके शरीर पर सिलिया पाए जातें है।
  • Probosics (शुण्ड) तथा Collar (काॅलर) भाग मिट्टी में धसने में सहायता करता है।
  • सबसे पहले Conical Proboscis का अगला भाग जो नुकीला होता है वह रेत में धंसता है।
  • इसके बाद Muscular Contraction की wave Boady से होती हुई Proboscis तक पहुचाती है।
  • इसकी वजह से यह धीरे-धीरे रेंगकर आगे बढ़ता है।
  • Water Collect होने पर Probosics तथा Collar फूलकर कठोर हो जातें हैं और गहराई में धंसने में सहायता करतें है।
  • इनका शरीर तीन भागों में बाँटा गया है जो निम्न है:
  1. Proboscis
  2. Collar
  3. Trunk
  • इनमें बाह्य निषेचन होता है।
  • बैलेनोग्लोसस में लार्वा ग्रंथियाँ पायी जाती है। जिसे Tornaria Larva कहतें है।

बैलेनोग्लोसस की संरचना – Balanoglossus Structure

balanoglossus diagram
Balanoglossus Diagram
  • दोस्तों बैलेनोग्लोसस एक U-आकार की रस्सीनुमा सरंचना होती है। जो सुंड से नुकीली, पतली और खोखली होती है। जिसें Proboscis कहतें है। इनके शरीर का यह हिस्सा पेशिय प्रकार का होता है।
  • Proboscis के नीचे पाया जाने वाला भाग Collar कहलाता है।
  • बैलेनोग्लोसस के शरीर का सबसे बड़ा भाग Trunk कहलाता है। जो Collar के नीचे पाया जाता है। जिसे हम धड़ बोलतें है।

दोस्तों यह हमनें बिल्कुल संक्षिप्त में बैलेनोग्लोसस की संरचना के बारें में जाना। आइए अब हम इसे विस्तार से समझतें है।

बैलेनोग्लोसस की आकारिकी

बाह्य आकारिकी

इसका शरीर लम्बा, कोमल, वर्गीकृत तथा बेलनाकार आकृति का होता है।

आकार

इनका शरीर 2-3 सेमी. से 3 फिट तक लम्बा हो सकता है।

रंग

इनका रंग Red(लाल) या Orange Color का Spotted या नारंगी रंग का चित्तीदार होता है। इनका शरीर चमकीला होता है। इसकी कुछ जातियाँ Phosphorescent (स्फुर्दी) होती है।

दोस्तों बैलेनोग्लोसस की बाह्य आकारिकी को समझने के पश्चात हम इसके शरीरिक विभाजन को समझने वालें है।

बैलेनोग्लोसस के शरीर का विभाजन

इसके शरीर को हम तीन भागों में बांटतें है जो कि निम्न है:

  • Proboscis
  • Collar
  • Trunk

Proboscis (शुण्ड)

यह Body का Anterior, Conical, Thick, Muscular Part होता है। इसके Mid Dorsal Surface के Base पर एक Proboscis Pore (शुण्ड रन्ध्र) होता है। इसी Pore द्वारा इसकी Proboscis Coelom (शुण्ड प्रगुहा), Proboscis Stalk (शुण्ड व्रन्त) द्वारा Collar के Anterior Part में जुड़ा रहता है।

Probosics Coelom

इसे Protocoelom (अग्र-गुहा) भी कहतें है। यह Musculature (पेशी न्यास) के कारण अत्यन्त छोटी हो जाती है। इसमें कुछ संरचनाएँ, जैसे – Buccal diverticulum, Central Sinus, Golmerulus बढ़ी हुई पायी जाती है।

Collar

यह Proboscis के पीछे स्थित पेशीय बेलनाकार भाग है। इसका Anterior Part Collarette होता है जो Probosics Stalk को ढके रहता है। Collarette के Ventral Surface पर एक Pore होता है जिसे Mouth कहतें है। जिसकी Opening Collar में Present Collar Coelom में होती है। Collar की दो Collar Cavities होती हैं जो Dorsal Mesenteries के द्वारा एक-दूसरे से अलग रहती है।

Proboscis Coelom और Collar Cavities दोनों में Strands of Connective Tissues पाये जाते है। Collar Cavity बाहर की तरफ One Pair Collar Pore के द्वारा Open होती है।

Collar Coelom

इसे Mesocoel भी कहतें है जो Two Paired Cavities के द्वारा निरूपित होती है।

Trunk (धड़)

यह Body का main part है जो पीछे की ओर क्रमशः Tapering (पतला) होता जाता है। इसके शरीर की पूर्ण लम्बाई में आगे से पीछे तक Mid Dorsal तथा Mid Ventral Surface (मध्य पृष्ठ तथा मध्य अधर तलों) पर एक-एक Ridge (उभार) होता है।

तो दोस्तों आज के आर्टिकल में हमने बैलेनोग्लोसस – Balanoglossus in Hindi (जिव्हा कृमि) के बारे में चर्चा की। मुझे आशा कि आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगी होगी। अगर आपको जानकारी अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें और इसी प्रकार की बेहतरीन जानकारी के लिए हमारे साथ बनें रहें।

धन्यवाद!

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