हैल्लों दोस्तो ! तो कैसे है आप सभी ? मुझे आशा है कि आप सभी अच्छे होगें। तो दोस्तो आज के इस आर्टिकल में हम रुधिर(Blood in Hindi) के बारे में जानेंगें। जिसमें हम रुधिर में पाएँ जाने वाले विभिन्न भागों (Blood Components) और रक्त की कार्यप्रणाली को अच्छे से समझेंगें। और अंत में महत्वपूर्ण प्रश्नों का अध्ययन भी करेंगें।
तो दोस्तों आज का आर्टिकल कुछ अलग होने वाला है तो इसे पूरा जरूर पढ़ना। तो आज के आर्टिकल में हम रूधिर को विस्तार से समझने के लिए सबसे पहले सामान्य बातों का ज्ञान करेंगे। और फिर इसी आर्टिकल के दूसरे चरण में रूधिर को और विस्तार से समझेंगें। इसमें कुछ बिन्दुओं का दोहराव भी होगा। जिससे आप आज के आर्टिकल को ओर भी अधिक गहराई से समझ पाओंगें। तो चलिए दोस्तों बढ़ते है आज के आर्टिकल की ओर।
तो दोस्तों हम इस आर्टिकल को दो चरण में समझेंगें जिसमें:
- प्रथम चरण (रक्त के बारे में संक्षिप्त जानकारी पर आधारित)
- द्वितिय चरण (रक्त के बारे में कुछ विस्तारित जानकारी पर आधारित होगा।)
♥ प्रथम चरण
रक्त (Blood in Hindi)
दोस्तों जैसा की आप जानते ही है कि रक्त एक तरल संयोजी ऊतक है, जो जीवों में कोशिकाओं तक ऑक्सीजन पोषक पदार्थों को पहुँचाता है तथा उपापचयी अपशिष्ट पदार्थों (Metabolic Waste Products) व कार्बन डाइऑक्साइड(CO2) के उत्सर्जन में मदद करता है।
रक्त के घटक हैं (Blood Components) – तरल प्लाज्मा व रक्त कोशिकाएँ। प्रमुख कोशिकाएँ व लाल रक्त कणिकाएँ (RBC), श्वेत रक्त कणिकाएँ (WBC) तथा रक्त प्लेटलेट्स (Platelets) हीमोग्लोबिन लाल रक्त कणिकाओं में पाया जाता है।
श्वेत रक्त कणिकाएँ (WBC) रोग से बचने में मदद करती हैं जबकि प्लेटलेट्स रक्त के थक्का बनने में सहायक है।
मोनोसाइट, महाभक्षक तथा न्यूट्रफिल मानव शरीर की प्रमुख भक्षक कोशिकाएँ हैं जो बाह्य प्रतिजनों का भक्षण करती है।
रक्त के कार्य (Function of Blood in Hindi)
⇒ रक्त गैंसों, पोषक पदार्थों, अपशिष्टों, हार्मोनों का परिवहन करने के साथ-साथ, प्रतिरक्षा, pH नियंत्रण तथा ताप नियंत्रण आदि कार्य करता है।
रक्त के प्रकार (Blood Types in Hindi)
⇒ रक्त की RBC की सतह पर पाये जाने वाले प्रतिजन के आधार पर रक्त को चार समूहों में बाँटा गया है – A, B, AB, O
एक और कारक Rh कारक की उपस्थिति के आधार पर रक्त को दो प्रकार का होता है।
- Rh धनात्मक
- Rh ऋणात्मक
अब तक हमने रक्त के बारे में बिल्कुल ही संक्षिप्त में अध्ययन किया है। अब हम रुधिर (रक्त) के नोट्स का अध्ययन करेंगें। जिसमें हम रुधिर के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकेंगें। तो चलिए बढ़ते है द्वितिय चरण की ओर।
♥ द्वितीय चरण
रुधिर (Blood in Hindi)
- रुधिर एक तरल संयोजी उत्तक है जो परिसंचरण तंत्र में भ्रमण करता है। यह 60 % प्लाज्मा और 40 % रुधिर कणिकाओं का बना होता है।
- रक्त मानव व अन्य पशुओं में आवश्यक पोषक तत्व व ऑक्सीजन को कोशिकाओं में तथा कोशिकाओं से चयापचयी अपशिष्ट उत्पादों तथा कार्बन डाई ऑक्साइड का परिवहन करता है।
- स्वस्थ व्यक्ति के शरीर का लगभग 7 % भाग रुधिर का ही बना होता है।
- Blood Components : रुधिर कणिकाएँ निम्न प्रकार की होती है –
- ⇒ लाल रुधिर कणिकाएँ (RBC)
- ♥ श्वेत रुधिर कणिकाएँ (WBC)
- ⇒ प्लेटलेट्स या थ्राम्बोसाइट्स (Platelets)
- रक्त की उत्पति भ्रूण के मीसोडर्म (प्लीहा) से होती है। इसका मैट्रिक्स हल्के पीले रंग का होता है। स्वस्थ मनुष्य में यह 5 से 6 लीटर तक पाया जाता है।
- यह शरीर के भार का 7 % होता है।
- यह सरल संयोजी ऊतक है।
- रक्त क्षारीय माध्यम में गमन करता है।
- यह हल्का क्षारीय होता है।
- रक्त की क्षारीय pH 7.4 होटी है।
- रक्त में दो प्रकार के पदार्थ पाए जाते हैं।
- ⇒ प्लाज्मा (Plasma) (मैट्रिक्स)
- ⇒ रुधिराणु (Blood Corpuscles)
तो चलिए अब हमें जाने की प्लाज्मा क्या है ? और रुधिराणु क्या है।
प्लाज्मा (Plasma in Hindi)
यह रुधिर का द्रव्य पदार्थ होता है। जो एक ठोस भाग जो कोशिकाओं का बना होता है। यह रुधिर का 55-60 % होता है, इसमें 90-92 % जल होता है व 8-10 % कार्बनिक व अकार्बनिक पदार्थ होते हैैं एवं रुधिर में प्रोटीन, पचे हुए पोषक पदार्थ, हार्माेन्स, उत्सर्जी पदार्थ, एन्जाइम आदि भी पाये जाते हैं।
रुधिराणु (Blood Cells)
- रुधिर का 40 %।
- इसके तीन भाग होते है :
- ⇒ लाल रक्त कोशिकाएँ (Red Blood Corpuscles) (Erthrocytes)
- ♥ श्वेत रक्त कोशिकाएँ (White Blood Corpuscles)
- ⇒ रूधिर प्लेटलेट्स या थ्राम्बोसाइट्स (Blood Platelets)
Blood Components in Hindi
लाल रक्त कोशिकाएँ (Red Blood Corpuscles) (Erthrocytes)
- लाल रक्त कोशिकाएँ कुल रक्त कोशिकाओं का 99 % होती है।
- ये केवल कशेरूकी प्राणियों में पाये जाते हैं, इसी में हीमोग्लोबिन (Hb) नामक प्रोटीन पायी जाती है। जिसमें लोहा (Fe) पाया जाता है। हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन को शोषित कर ऑक्सी-हीमोग्लोबिन (HbO2) नाम अस्थायी यौगिक बनाता है। जो विखंडित होकर ऑक्सीजन (O2) को मुक्त कर देता है। यही ऑक्सीजन शरीर के विभिन्न हिस्सों में पहुँचती है और कार्बन डाईऑक्साइड(CO2) को हीमोग्लोबिन वापस कार्बोक्सी-हीमोग्लोबिन के रूप में फेफड़े (Lungs) तक लाता है।
- स्तनधारियों की लाल रक्त कशिकाओं (RBC) के जीवद्रव्य में केन्द्र (Nucleus) का पूर्ण अभाव होता है।
- स्तनधारियों में सिर्फ ऊँट की लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) में केन्द्रक पाया जाता है।
- केन्द्रक विहिन रक्त कोशिकाओं की औसत आयु 120 दिन होती है।
श्वेत रक्त कोशिकाएँ (White Blood Corpuscles)
- इसे ल्यूकोसाइट (Leucocyte) भी कहते है।
- इसका निर्माण लाल अस्थि मज्जा में होता है।
- मनुष्य के शरीर में इसकी संख्या 5 से 9 हजार प्रति घन मिली तक होती है।
- इसमें 3 % इओसिनोफिल्स होता है।
- श्वेत रक्त कोशिकाओं (WBC) का मुख्य कार्य प्रतिरक्षा, एलर्जी तथा संवेदनशीलता है।
- ये कोशिकाएँ दो प्रकार की होती है – 1.) कणिकाणु (ग्रेन्यूलोसाइट) 2.) अकणिकाणु (एग्रेन्यूलोसाइट)
- श्वेत रक्त कोशिकाओं के अन्य पदार्थ – 5 % बेसोफिल्स, 77 % न्यूट्रोफिल्स, 18 % लिम्फोसाइट, 1-3 % मोनोसाइट, लिम्फोसाइट श्वेत रक्त कोशिकाओं का 8 % से 20 % तक होता है।
- अकण कोशिकाओं में प्रमुख रूप से लिफोंसाइट (Lymphocyte) तथा मोनोसाइट (Monocyte) है।
- लिफोंसाइट तीन प्रकार की होती है:
- ‘बी’ लिफोंसाइट (“B” Lymphocyte)
- ‘टी’ लिफोंसाइट (“T” Lymphocyte)
- और मारक कोशिकाएँ (Natural Killer Cells)
- लिफोसाइट (Lymphocyte) प्रतिरक्षा प्रदान करने वाली प्राथमिक कोशिकाएँ है।
- मोनोसाइट परिपक्व हो महाभक्षक कोशिका में रूपांतरित हो जाती है।
- मोनोसाइट, महाभक्षक और न्यूट्रोफिल मानव शरीर की प्रमुख भक्षक कोशिकाएँ हैं जो बाह्य प्रतिजनों का भक्षण करती है।
- मोनोसाइट्स (Monocytes) – मानव शरीर में जिन स्थानों से कोई जीवाणु या रोगाणु शरीर में प्रवेश करता है, वहाँ पर ये समूह में एकत्रित होकर अपने कूटपादों (Pseudopodia) द्वारा पकड़ लेते हैं एवं उसे नष्ट कर देते है।
- श्वेत रक्त कोशिकाएँ (WBC) शरीर को रोगी होने से बचाता है।
- ये रुधिर के कुछ विशेष प्रोटीन को प्रतिरक्षियों (Antibodies) में परिवर्तित कर देते है।
रूधिर प्लेटलेट्स या थ्राम्बोसाइट्स (Blood Platelets) (Thromobocytes)
- रक्त में इनकी संख्या करीब 3 लाख प्रति घन मिमी. होती है।
- बिंबाणु (Platelets) का जीवन मात्र 10 दिवस का होता है।
- यह केवल स्तनधारी वर्ग के रक्त में पायी जाती है।
- इसका मुख्य कार्य शरीर के कट या चोट लग जाने पर रक्त के बहाव को रोकना। यह रक्ता का थक्का बनाने में मदद करती है।
- रक्त में फाइब्रिनोजेन एवं प्रोथोम्बिन नामक दो प्रोटीन पाए जाते हैं, जिसका निर्माण यकृत में होता है। यह रक्त का थक्का जमने में सहायक होता है।
- एन्टी-प्रोथोम्बिन या हिपैरिन, प्रोथ्रोम्बिन की निष्क्रियता बनाये रखता है। यही कारण है कि रक्त वाहिनी नलिकाओं में रक्त नहीं जमता है।
- बिंबाणु केन्द्रक विहिन कोशिकाएँ होती है।
अब दोस्तों हम ⇒रक्त की कार्य प्रणाली को समझते है।
रक्त की कार्य प्रणाली (Functions of Blood in Hindi)
- ⇒रक्त ऑक्सीजन (O2) का परिवहन करता है।
- रक्त कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का परिवहन करता है।
- हार्मोन्स के परिवहन में सहायक
- तापक्रम का नियत्रंण कार्य भी रक्त द्वारा किया जाता है।
- रोगों में प्रतिरक्षा करना
- रक्त वाहिनियों में रक्त का थक्का न बनने देना।
महत्वपूर्ण प्रश्न (Blood in Hindi)
1. श्वेत रक्त(life span of wbc) कणिकाओं का जीवन काल कितना होता है ?
उत्तर: 10 दिन से कम
2. स्तनधारियों के रूधिर में सबसे बड़ी रूधिराणु होती हैं –
उत्तर: मोनोसाइट्स
3. रुधिर का द्रव्य भाग क्या कहलाता है ?
उत्तर: प्लाज्मा
4. साधारणतः लाल रुधिर कणिकाओं का विकाश कहाँ होता है ?
उत्तर: प्लीहा में
5. सामान्य वयस्क व्यक्ति में कितना रक्त पाया जाता है (How much blood in human body) ?
उत्तर: 5-5.5 लीटर
6. बिंबाणु का जीवन काल कितना होता है ?
उत्तर: 8-10 दिन
7. रक्त को परिभाषित करें –
उत्तर: रक्त एक तरल संयोजी उत्तक है जो जीव के शरीर में सभी कोशिकाओं तक ऑक्सीजन व अन्य महत्वपूर्ण पदार्थों की आपूर्ति के लिए एक परिसंचरण माध्यम मी तरह कार्य करता है।
8. रक्त को तरल संयोजी उत्तक क्यों कहा जाता है ?
उत्तर: रक्त तरल रूप में शरीर में पाया जाता है। जो शरीर के सभी अंगों को जोड़ने का कार्य करता है। क्यूँकि यह शरीर के हर भाग से गुजरता हुआ शरीर के अंगों को जोड़ता है। इसलिए इसे तरल संयोजी उत्तक कहा जाता है ?
9. रक्त का pH कितना होता है ?
उत्तर: 7.4
10. लाल रक्त कणिकाओं की औसत आयु कितनी होती है ?
उत्तर: 120 दिन
11. रक्त किस माध्यम में गमन करता है ?
उत्तर: रक्त क्षारीय माध्यम में गमन करता है।
12. वयस्क व्यक्ति में रक्त कोशिकाओं का निर्माण कहाँ होता है ?
उत्तर: पतली अस्थियों की लाल अस्थि मज्जा में
13. रक्त प्लाज्मा में लगभग कितने प्रतिशत जल पाया जाता है ?
उत्तर: 90-92 % (लगभग)
14. रक्त का रंग लाल क्यों दिखाई देता है ?
उत्तर: लाल रक्त कणिकाओं में उपस्थित हीमोग्लोबिन के कारण रक्त लाल रंग का दिखाई देता है।
Plasma (Blood)
15. कणिकाणु प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाओं के नाम लिखिए –
उत्तर: बेसोफिल, न्युट्रोफिल, इओसिनोफिल
16. रक्त में संख्या की दृश्टि से सबसे अधिक पायी जाने वाली श्वेत रक्त कणिका का नाम लिखिए।
उत्तर: न्यूट्रोफिल
17. रक्त में कितने प्रकार की लिंफोसाइट कोशिकाएँ पायी जाती है ?
उत्तर: तीन प्रकार की – बी लिम्फोसाइट, टी लिम्फोसाइट तथा प्राकृतिक मारक कोशिकाएँ/कणिकाएँ
18. कौन-सी श्वेत रक्त कणिका महाभक्षक कणिका में रूपान्तरित हो जाती है ?
उत्तर: मोनोसाइट
19. किन्ही तीन प्रकार की भक्षक श्वेत रक्त कणिकाओं के नाम लिखिए –
उत्तर: मोनोसाइट, महाभक्षक तथा न्यूट्रोफिल
20. किस रक्त अवयव को थ्रोम्ब्रोसाइट भी कहा जाता है ?
उत्तर: बिम्बाणु या प्लेटलेट्स को
21. थक्का जमने में मदद करने वाली रक्त कोशिकाओं का नाम लिखिए –
उत्तर: प्लेटलेट्स या थ्रोम्बोसाइट।
22. शरीर में हार्मोन्स के परिवहन के लिए कौन उत्तरदायी है ?
उत्तर: रक्त
23. किन्ही दो कणिकाविहीन श्वेत रक्त कणिकाओं के नाम लिखें –
उत्तर: मोनोसाइट और लिम्फोसाइट
24. किन्हीं तीन कणिकामय श्वेत रक्त कणिकाओं का नाम लिखें –
उत्तर: बेसोफिल, न्यूट्रोफिल, इओसिनोफिल
25. रक्त की उत्त्पति कहा होती है ?
उत्तर: रक्त की उत्पति भ्रूण के मीसोडर्म से
तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल के बारे में हमने रक्त और रक्त (Blood)के अवयवों (Blood Components) के बारे में विस्तार से समझा। मुझे आशा है कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको आर्टिकल पंसद आया तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। और हमारे साथ जुड़े रहें।
धन्यवाद!
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