नमस्कार दोस्तो! आज हम पाचन तंत्र के रोगों के बारे में जानकारी प्राप्त करने वाले है। जिसमें हम मनुष्य में होने वाले पाचन तंत्र से संबंधित रोगों (Diseases of Digestive System in Hindi) का अध्ययन करने वाले है। तो दोस्तों चलिए बढ़ते है आज के आर्टिकल की ओर।
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पाचन तंत्र के रोग

दोस्तो पाचन तंत्र से संबंधित बहुत से रोग होते है। जो असंतुलित भोजन करने से या कुपोषण का शिकार होने से या किसी अन्य कारक की वजह से हो सकते है। तो आज हम परिक्षा की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण रोगों का अध्ययन करने वाले है जो पाचन तंत्र से संबंधित है एवं वे रोग निम्न है:
- एपेण्डीसाइटिस
- पीलिया
- मधुमेह
- हाइपोग्लाइसीमिया
- कब्ज
- दस्त
- जठर शोध
- पैप्टिक अल्सर
- लीवर सिरोसिस
- बावासीर
उपरोक्त रोग जो पाचन तंत्र से संबंधित है, के बारे में अधिकतर प्रतियोगी परिक्षा में प्रश्न आते है। तो हम इन्ही के बारे में आज जानकारी प्राप्त करेंगें।
Diseases of Digestive System in Hindi
एपेण्डीसाइटिस
दोस्तो यह हमारे पाचन तंत्र की बड़ी आंत में पायी जाती है। जिसका पूरा नाम वर्मीफार्म एपेण्डिक्स है। जिसे हम आम भाषा में एपेण्डिक्स नाम से जानते है। यह एक अवशेषी अंग के रूप में शरीर में विद्यमान रहती है।
एपेण्डीसाइटिस क्या है ?
कभी-कभी वर्मीफार्म एपेण्डिक्स अपने आकार में बढ़ जाती है, जिससे मनुष्य के पेट के निचले हिस्से में दर्द होने लगता है। इसी बीमारी एपेण्डिसाइटिस कहते है।
एपेण्डीसाइटिस का उपचार
एपेण्डिक्स का आकार बढ़ जाने पर अर्थात् एपेण्डीसाइटिस हो जाने पर संबंधित व्यक्ति का आपरेशन करके वर्मीफार्म एपेण्डिक्स को काटकर अलग कर दिया जाता है।
चूँकि यह एक अवशेषी अंग के रूप में शरीर में विद्यमान होती है। अतः इसके शरीर से अलग हो जाने पर मनुष्य के शरीर या उसके पाचन तंत्र पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
पीलिया (Jaundice)
हमारे शरीर में पित्तवर्णक बिलिरूबीन का निर्माण, मृत RBCs के हीमोग्लोबिन से यकृत कोशिकाओं द्वारा किया जाता है। यह रक्त की जगह पित्तरस में मिलता है। पित्तरस के साथ यह आंत्र में जाता है और मल के साथ शरीर से बाहर निकल जाता है।
कभी-कभी यकृत कोशिकाओं में एक विषाणु का संक्रमण होने से जब रक्त में इस वर्णक की मात्रा बढ़ जाती है तो शरीर की त्वचा, नाखून, आँखों की झिल्ली इत्यादि का रंग पीला दिखाई देने लगता है। इसे ही पीलिया रोग कहते है।
मधुमेह (Diabetes)
हमारे शरीर में स्त्रावित होने वाले हार्मोन इंसुलिन के अल्प स्त्रावण से मधुमेह या डाइबिटीज नामक रोग हो जाता है। तो सबसे पहले यह समझते है कि इंसुलिन हार्मोन क्या है ?
इंसुलिन क्या है ?
दोस्तों पाचन तंत्र हमारे द्वारा ग्रहण किए गए भोजन को ग्लूकोज में बदल देता है। यह एक ऐसा हार्मोन है जो हमारे शरीर में पैंक्रियाज (अग्न्याश्य) नाम के अंग से उत्पन्न होता है। ये ग्लूकोज को अवशोषित और कार्बोहाइड्रेट्स और फैट मेटाबाॅलिज्म को नियंत्रित करता है।
मधुमेह रोग का कारण
जब रूधिर में उपस्थित ग्लूकोज शरीर की कोशिकाओं के उपयोग में नहीं आ पाता तब रूधिर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने लगती है; इसी से मधुमेह या डाइबिटीज रोग हो जाता है।
मधुमेह का उपचार
मधुमेह की अत्यंत प्रभावी औषधि का निर्माण कदंब के पेड़ के तत्वों से की गई है। इस दवा का निर्माण कदंब पेड़ के तने से प्राप्त होने वाले डाईहाइड्रोसिंकोनिन और केडंबाइन की सहायता से किया गया है तथा इसका विकास जयपुर के वैज्ञानिक सुरेश शर्मा ने किया है।
इस नई दवा की खास बात यह है कि यह दवा मधुमेह के कारणों से हमेशा के लिए मुक्ति प्रदान करती है।
ज्ञातव्य है कि भारत में 6 प्रतिशत लोग मधुमेह से ग्रसित हैं। इसलिए भारत को मधुमेह की राजधानी भी कहा जाता है।
नोट : कनपेड़ नामक वाइरस जनित रोग में लार की पैरोडिट ग्रंथि में सूजन आ जाता है।
हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia)
इन्सुलिन के अतिस्त्रावण के फलस्वरूप रूधिर में ग्लूकोज की मात्रा कम होने लगती है। जिससे ‘हाइपोग्लाइसीमिया’ नामक रोग हो जाता है।
नोट : इस रोग में तंत्रिका तंत्र एवं रेटिना कोशिकाओं को ऊर्जा कम मात्रा में मिल पाती है।
इन्सुलिन आघात किसे कहते है ?
इस रोग से जनन क्षमता तथा दृष्टि-ज्ञान कम होने लगता है। व्यक्ति को अधिक थकावट तथा ऐठन मालूम होती है। उपवास या शारीरिक परिश्रम के समय कभी-कभी बेहोशी आ जाती है; इसे ही इन्सुलिन आघात कहते है।
कब्ज (Constipation)
बड़ी आँत में काइम के पीछे खिसकने की दर कम हो जाने से इसमें सूखे व कड़े मल का संचय हो जाता है। इसी को कब्ज कहते है। यह प्रायः समय से मलत्याग न करने की बुरी आदत के कारण होता है।
दस्त (Diarrhoea)
कब्ज के विपरीत, यह बड़ी आँत में काइम के जल्दी पीछे खिसक जाने से होता है। यह आँत में वाइरस तथा जीवाणुओं द्वारा संक्रमण या चिन्ता के कारण भी हो जाता है।
जठर शोध (Gastritis)
इस दशा में जठर की श्लेष्मा में सूजन आ जाता है। तीव्र जठरशोध प्रायःक्षोभ के कारण होता है। जैसे: भोजन विषाक्तता, अत्यधिक मात्रा में मद्यपान, एस्पिरिन आदि कुछ औषधियों का खाली पेट सेवन आदि।
संक्रमण की स्थिति में भी यह पाया जा सकता है। इसके कारण अधिजठर प्रदेश में जलन, खट्टी डकारें आना, मचली, यदा-कदा रोगी को रक्त वमन हो सकता है।
पैप्टिक अल्सर (Peptic Ulcer)
पैप्टिक अल्सर (घाव) पाचन-तंत्र का आम रोग है। यह आमाशय तथा डुओडिनम के उन भागों में पाया जाता है जो जठर रस की क्रिया के प्रति अनावृत रहते हैं।
इसका कारण अनियमित भोजन, परेशानी, चिंता तथा मानसिक आवेश आदि हो सकते हैं। फलतः भोजन के लगभग बीस मिनट बाद दर्द शुरू होता है तथा प्रायः अम्लरोधी औषधियों से अथवा वमन द्वारा कम होता है।
लीवर सिरोसिस
लीवर सिरोसिस लीवर से संबंधित एक बीमारी है, जिसमें मनुष्य की त्वचा एवं मांसपेशियां कड़ी होने लगती है।
लीवर सिरोसिस का कारण
मनुष्य में यह बीमारी ज्यादा शराब पीने एवं हेपेटाइटिस-बी या सी के वायरस की चपेट में आने से होता है।
लीवर सिरोसिस का उपचार
फिलहाल इससे निजात पाने का एक मात्र उपाय लीवर ट्रांसप्लांट है। लेकिन हाल ही में जापान के वैज्ञानिकों को लीवर सिरोसिस से छुटकारा पाने में अहम कामयाबी हासिल हुई है।
लीवर कोशिकाओं के जरिए पैदा होने वाले काॅलजन मैंटीरियल के अति उत्पादन के चलते ही लीवर सिरोसिस की शुरुआत होती है।
जापानी वैज्ञानिकों ने अपने अनुसंधान के दौरान एक कृत्रिम अणु एजेंट ‘ए’ तैयार किया जो लीवर कोशिकाओं द्वारा पैदा होने वाले काॅलजन तत्वों के उत्पादन को रोक देता है।
एजेंट अणु ‘ए’ तारों के गुच्छों के आकार की लीवर कोशिकाओं से काॅलजन तत्वों के उत्पादन को रोकने में काफी कारगर साबित हुआ है। काॅलजन को अब्जार्ब विटामिन भी कहते है।
बावासीर (Uhemeces)
गुदाद्वार के अन्दर चारों ओर की शिराओं-के श्लैष्मिकता के नीचे जब उग्रदाह हो जाता है तो उसे पाइल्स की संज्ञा दी जाती है। परिणामस्वरूप वहाँ छोटे-छोटे टयूमर्स की तरह प्रतीत होने लगती है। इस अवस्था में मलाशय की शिराएँ (अन्दर और बाहर की) फूल जाती हैं और वह टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती है।
यह अत्यधिक विश्राम, चिरकारी कब्ज, अति मद्यमान, मूत्राशय में पथरी बनने के कारण, यकृत में विकृति उत्पन्न होने के कारण तथा रेक्टल शोध आदि के कारण होता है। इसके लिए रोगी को कब्ज से बचना चाहिए। रक्तार्थ में डेफ्लोन जैसी औषधियों का प्रयोग करना चाहिए।
तो दोस्तों आज हमने पाचन तंत्र के रोगों (Diseases of Digestive System in Hindi) के बारे में जानकारी प्राप्त की। अगर आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और इसी तरह की बेहतरीन जानकारी के लिए हमारे साथ बने रहें।
धन्यवाद!
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