दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम विद्युत क्षेत्र(Electric Field in Hindi) से संबंधित पूरी जानकारी प्राप्त करेंगें। जिसमें हम निम्न विषयों का अध्ययन करेंगें:
- आवेश एवं आवेश के प्रकार
- आवेशों के मूलभूत गुणधर्म
- कूलाॅम बल
- ⇒कूलाॅम नियम का सदिश रूप
- कूलाॅम बल के लिए अध्यारोपण सिद्धान्त
- विद्युत क्षेत्र(Electric Field in Hindi)तथा विद्युत क्षेत्र तीव्रता
- ⇒विद्युत द्विध्रुव एवं द्विध्रुव आघुर्ण
- विद्युत द्विध्रुव के कारण विद्युत क्षेत्र तीव्रता का सूत्र
- ⇒विद्युत क्षेत्र रेखाएँ/विद्युत बल रेखाएँ एवं गुणधर्म
- समरूप विद्युत क्षेत्र में स्थित किसी विद्युत द्विध्रुव पर लगने वाले बल आघूर्ण के सूत्र
- जिसमें समरूप विद्युत क्षेत्र की विभिन्न स्थितियाँ, कार्य एवं स्थितिज ऊर्जा के सूत्र की गणना
विद्युत क्षेत्र (Electric Field in Hindi)
आवेश (awes)
Charge Definition Science : वस्तुओं का वह गुणधर्म जिसके कारण यह वस्तुएँ अन्य वस्तुओं पर बल आरोपित करना प्रारम्भ कर देती है, उसे आवेश (awes) कहते हैं/कहा जाता है।
इलेक्ट्राॅनों की कमी या अधिकता के कारण आवेश उत्पन्न होता है।
आवेश का S.I. मात्रक ‘‘कूलाम’’ तथा C.G.S. मात्रक ‘‘स्थिर विद्युत मात्रक’’ या ‘‘फ्रेकंलिन’’ होता है। तथा इसकी विमा [M0L0T1A1] होती है।
विशेष नोट :
- आवेश का सबसे बड़ा मात्रक ‘‘फैराड़े’’ तथा सबसे छोटा मात्रक ‘‘फ्रेंकलिन’’ होता है।
- 1 फैराड़े का मान 95,500 कूलाॅम (लगभग) के बराबर होता है।
- आवेश का प्रायोगिक मात्रक ‘‘एम्पीयर/घण्टा’’ होता है।
इलेक्ट्राॅनों की कमी या अधिकता के आधार पर आवेश को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है:-
- ऋणात्मक आवेश (Negative Charge)
- धनात्मक आवेश (Positive Charge)
(1) ऋणात्मक आवेश (Negative Charge in Hindi)
यदि किसी वस्तु पर इलेक्ट्राॅनों की अधिकता हो तो उस पर आने वाले आवेशों को ऋणात्मक आवेश कहते है। प्रकृति में न्यूनतम आवेश 1 इलेक्ट्राॅन पर आवेश के बराबर होता है। जिसका परिणाम 1.6Χ10-19 कूलाॅम होता है।
(2) धनात्मक आवेश (Positive Charge in Hindi)
यदि किसी वस्तु पर इलेक्ट्राॅनों की कमी हो जाए तो उस पर आने वाले आवेशों को धनात्मक आवेश कहते है।
आवेशों के मूलभूत गूणधर्म (Properties of Electric Charge in Hindi)
(1) आवेशों का योज्यता नियम (Additivity of Charge)
किसी वस्तु पर उपस्थित कुल आवेश धनात्मक तथा ऋणात्मक आवेशों के बीजगणितिय योग के बराबर होता है, इसे आवेशों का योज्यता नियम कहते हैं।
(2) आवेशों का क्वांटमीकरण सिद्धान्त (Quantization of Electric Charge)
इस सिद्धान्त के अनुसार किन्ही दो वस्तुओं के मध्य इलेक्ट्राॅनों का स्थानान्तरण सदैव पूर्ण संख्या में ही होता है।
अर्थात् किसी भी वस्तु पर उपस्थित आवेश की कुल मात्रा इलेक्ट्राॅन पर आवेश की पूर्ण गुणंज होती है।
अर्थात्
जहाँ n = इलेक्ट्राॅन की पूर्ण संख्या तथा e–= इलेक्ट्राॅन पर आवेश की मात्रा
(3) आवेश संरक्षण का नियम (Conservation of Electric Charge)
इस सिद्धान्त के अनुसार किसी भी निकाय का कुल आवेश सदैव नियत रहता है। इसे ही आवेश संरक्षण का सिद्धान्त कहते है।
(4) आवेश की निश्चरता का नियम (Invariance of Electric Charge)
इस सिद्धान्त के अनुसार वस्तु के वेग का आवेश पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
कूलाॅम बल (स्थिर विद्युत बल) (Kulams law)
दो स्थिर आवेशों के मध्य लगने वाले आकर्षण या प्रतिकर्षण बल को कूलाॅम बल या स्थिर विद्युत बल कहते हैं।
कूलाॅम बल की निर्भरता:-
यह कूलाॅम बल दोनों आवेशों के परिमाण के गुणनफल के समानुपाती होता है।
……….(1)
इसीप्रकार कूलाॅम बल दोनों आवेशों के मध्य की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
….……(2)
समीकरण ① व ② से
जहाँ समानुपातिक नियतांक है तथा
निर्वात की विद्युतशीलता कहलाती हैं। इसका आंकिक मान
होता है।
विद्युतशीलता का मात्रक और विमा
समी ③ से
मात्रक =
विमा =
यदि
जहाँ है
इसलिए समीकरण ③ से
जहाँ K स्थिर विद्युत बल नियतांक कहलाता है।
कूलाॅम बल पर माध्यम का प्रभाव
……④
समीकरण ③ में ④ का भाग देने पर
जहाँ εm = माध्यम की विद्युतशीलता, εo = निर्वात की विद्युतशीलता तथा εr = आपेक्षिक विद्युतशीलता है।
नोट आपेक्षिक विद्युतशीलता मात्रकहीन व विमाहीन राशि होती है।
उक्त समीकरण से स्पष्ट है कि माध्यम में कूलाॅम बल का मान निर्वात की तुलना में गुणा होता है।
विशेष नोट :
- निर्वात के लिए εr का मान 1 होता है।
- धातुओं के लिए εr का मान अनन्त(∞) होता है।
- कूलाॅम बल वर्ग व्युत्पन्न नियम का पालन करता है।
कूलाॅम नियम का सदिश रूप (Coulomb’s Law in Vector Form in Hindi)
यदि कूलाॅम बल के सूत्र को एकांक सदिश से गुणा कर दिया जाए तो कूलाॅम नियम का सदिश रूप प्राप्त हो जाता है।
सदिश रूप में
उक्त समीकरण से स्पष्ट है कि दोनों आवेशों द्वारा परस्पर एक-दूसरे पर लगाया गया बल परिमाण में एक समान परन्तु दिशा में विपरित होता है। अतः कहा जा सकता है कि कूलाॅम नियम न्यूटन के तृतीय नियम क्रिया – प्रतिक्रिया नियम का पालन करता है।
कूलाॅम बल के लिए अध्यारोपण सिद्धान्त (Coulomb’s Principle of Superposition in Hindi)
किसी स्थिर आवेश पर अलग-अलग बिन्दू आवेशों के द्वारा लगाए गए बलों का सदिश योग उस स्थिर आवेश पर लगने वाले परिमाणी बल के बराबर होता है।
आवेशों के लिए अध्यारोपण सिद्धान्त लागु करने का मूल कारण यह होता है कि सभी बिन्दू आवेश अलग-अलग परिमाण का बल स्थिर आवेश पर आरोपित करते है तथा इन बिन्दू आवेशों के बलों का आपस में कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
विद्युत क्षेत्र(Electric Field) तथा विद्युत क्षेत्र की तीव्रता(Electric Field intensity)
विद्युत क्षेत्र (Electric Field in Hindi)
किसी स्थिर आवेश के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसके अन्तर्गत यह स्थिर आवेश किसी अन्य आवेश पर आकर्षण या प्रतिकर्षण का बल लगता हो, उसे विद्युत क्षेत्र (Electric Field in Hindi) कहते है।
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता (Electric Field Intensity in Hindi)
स्थिर आवेश के विद्युत क्षेत्र में स्थित एकांक धनावेश पर लगने वाले बल के परिमाण को विद्युत क्षेत्र तीव्रता कहते है।
विद्युत क्षेत्र तीव्रता E को से प्रदर्शित करते है। तथा यह एक सदिश राशि होती है।
विद्युत क्षेत्र तीव्रता (E) = ①
विद्युत क्षेत्र तीव्रता का मात्रक व विमा (S.I. Unit)
विद्युत क्षेत्र तीव्रता का S.I. मात्रक या
होता है।
यदि
विद्युत क्षेत्र तीव्रता की विमा [E]
किसी बिन्दु आवेश के द्वारा r दूरी पर उत्पन्न विद्युत क्षेत्र तीव्रता का सूत्र
चूँकि एकांक धन परिक्षण आवेश पर लगाने वाले बल का परिमाण विद्युत क्षेत्र तीव्रता कहलाती है। अर्थात्
सदिश रूप में
विशेष नोट स्थिर बिन्दू आवेश के स्थान पर विद्युतक्षेत्र तीव्रता सदैव शून्य होती है।
विद्युत द्विध्रुव (Electric Dipole in Hindi)
यदि समान परिमाण तथा विपरित प्रकृति के दो आवेशों को परस्पर कुछ दूरी पर रख दिया जाए तो प्राप्त होने वाली अवस्था विद्युत द्विध्रुव कहलाती है।
द्विध्रुव आधुर्ण (Dipole Moment in Hindi)
यदि द्विधु्रव के आवेशों के परिमाण को इनके बीच की दूरी से गुणा कर दिया जाए तो प्राप्त होने वाली राशि द्विध्रुव आधुर्ण कहलाती है। यह विद्युत द्विध्रुव के सामर्थय को प्रदर्शित करती है। यह एक सदिश राशि है। जिसे से प्रदर्शित करते है।
द्विध्रुव आघूर्ण की दिशा -q आवेश से +q आवेश की तरफ होती है। इसका S.I. मात्रक CΧm तथा C.G.S. मात्रक ‘‘डिबाई’’ होता है।
विद्युत द्विध्रुव के कारण विद्युत क्षेत्र तीव्रता का सूत्र
स्थिति प्रथम
विद्युत द्विध्रुव के अक्षीय बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र तीव्रता का सूत्र
माना कोई अक्षीय बिन्दू P किसी विद्युत द्विध्रुव AB के मध्य बिन्दू से r दूरी पर स्थित है। इस बिन्दू p पर +q आवेश के द्वारा उत्पन्न विद्युत क्षेत्र तीव्रता
①
बिन्दू P पर +q आवेश के द्वारा उत्पन्न विद्युत क्षेत्र तीव्रता
②
चित्रानुसार
तथा
दोनों परस्पर विपरित दिशाओं में है इसलिए सदिश संयोजन के समान्तर चतुर्भुज नियम के अनुसार बिन्दु P पर परिणामी
समी ① व ② से
तो
द्वितिय स्थिति
द्विध्रुव के निरअक्षीय बिन्दू पर विद्युत क्षेत्र तीव्रता का सूत्र
विद्युत द्विध्रुव AB के निरअक्ष पर मध्य बिन्दू O से दूरी r पर स्थिर बिन्दू P पर विद्युत क्षेत्र तीव्रता के दो सदिश तथा
कार्यरत होते है।
इन सदिशों को घटकों में विभाजित करने पर दोनों सदिशों के Cosθ घटक तो एक ही दिशा में परन्तु Sinθ घटक विपरित दिशा में प्राप्त होते है।
बिन्दू P पर तथा
का परिमाण एक समान होने के कारण Sinθ घटक तो परस्पर निरर्थ हो जाते है तथा परिणामी विद्युत क्षेत्र तीव्रता केवल Cosθ घटकों के कारण होती है।
अर्थात्
उक्त समीकरण से स्पष्ट है कि द्विध्रुव के निरक्ष पर विद्युत क्षेत्र तीव्रता अक्ष की तुलना में आधी होती है।
विद्युत क्षेत्र रेखाएँ/विद्युत बल रेखाएँ (Electric Field Lines in Hindi)
किसी स्थिर आवेश के विद्युत क्षेत्र में किसी परिक्षण आवेश को रखने पर कूलाॅम बल के कारण यह परिक्षण आवेश जिस काल्पनिक पथ पर गति करता है, उसे विद्युत क्षेत्र रेखा या विद्युत बल रेखा कहते है।
विद्युत बल रेखाओं के गुणधर्म (Properties of Electric Field Lines in Hindi)
- विद्युत बल रेखाएँ काल्पनिक प्रकृति की होती है।
- ⇒विद्युत बल रेखाएँ धनात्मक आवेश से बाहर की ओर तथा ऋणात्मक आवेश से अन्दर की ओर गति करती है।
- विद्युत बल रेखाएँ बंध लूप का निर्माण नहीं करती है।
- किसी विद्युत क्षेत्र रेखा पर खींची गई स्पर्श रेखा विद्युत क्षेत्र तीव्रता की दिशा को प्रदर्शित करती है।
- किसी धात्विक सतह पर विद्युत क्षेत्र रेखाएँ सतह के बिल्कुल लम्बवत होती है। तथा धात्विक सतह के अन्दर विद्युत बल रेखाओं की संख्या शून्य होती है। जिस कारण धातु के अन्दर विद्युत क्षेत्र का मान शून्य होता है।
- दो विद्युत बल रेखाएँ एक-दूसरे को कभी प्रतिच्छेद नहीं करती। क्यांेकि दोनों रेखाओं के कटान बिन्दू पर विद्युत क्षेत्र की दो दिशाएँ बन जाएगी जो असंभव है।
समरूप विद्युत क्षेत्र में स्थित किसी विद्युत द्विध्रुव पर लगने वाले बल आघ्रूर्ण का सूत्र
ऐसा विद्युत क्षेत्र जिसके प्रत्येक बिन्दू पर विद्युत क्षेत्र तीव्रता का परिमाण व दिशा एक-समान हो उसे समरूप विद्युत क्षेत्र कहते है।
माना कोई विद्युत द्विध्रुव विद्युत क्षेत्र में θ कोण बनाते हुए व्यवस्थित है तो इस द्विध्रुव के +q आवेश पर लगने वाले बल की दिशा
की दिशा में तथा -q आवेश पर लगने वाले बल की दिशा
के विपरित दिशा में होती है। इन दोनों आवेशों पर लगने वाले बलों का परिमाण एक समान होने के कारण
द्विध्रुव पर आरोपित नेट बल
नेट बल शून्य होने के कारण यह द्विध्रुव स्थानान्तरणीय गति प्रदर्शित नहीं करता परन्तु दोनों आवेशों पर परस्पर विपरित दिशाओं में लगने वाले बलों के कारण यह एक निश्चित बिन्दू के सापेक्ष घुमना प्रारम्भ कर देता है। जिस कारण इस द्विध्रुव में उत्पन्न होने वाला बल आघूर्ण
बल आघूर्ण τ = बल का परिमाण × बल की क्रिया रेखा से लम्बवत दूरी
①
मेक्सवेल के दक्षिणहस्त पेच नियम से
की दिशा मेक्सवेल के दक्षिणावर्ती पेच नियम के अनुसार
तथा
के तल के लम्बवत बाहर की ओर होती है।
विशिष्ट स्थितियाँ
प्रथम स्थिति
यदि θ=0o हो अर्थात् तथा
परस्पर समान्तर हो तो
समी ① से
इस अवस्था को द्विध्रुव की स्थाई संतुलन अवस्था कहते है।
द्वितिय स्थिति
यदि θ = 180o हो अर्थात् तथा
परस्पर समान्तर हो परन्तु विपरित दिशा में हो तो
समी ① से
इस अवस्था को द्विध्रुव की अस्थाई संतुलन अवस्था कहते है।
तृतीय स्थिति
यदि θ = 90o हो अर्थात् तथा
परस्पर लम्बवत हो तो
समी ① से
यह भी अस्थाई संतुलन अवस्था है।
समरूप विद्युत क्षेत्र में किसी द्विध्रुव को θ1 से θ2 तक घुमाने में किया गया कार्य
किसी समरूप विद्युत क्षेत्र में स्थित किसी द्विध्रुव को विद्युत क्षेत्र की विपरित दिशा में अल्प कोणीय विस्थापन dθ देने के लिए किया गया कार्य
θ1 से θ2 तक घूमने में किया गया कुल कार्य
समरूप विद्युत क्षेत्र में स्थित किसी द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा का सूत्र
समरूप विद्युत क्षेत्र में उपस्थित किसी विद्युत द्विध्रुव को विद्युत क्षेत्र की लम्बवत् स्थिति से θ कोण तक घूमाने के लिए किया गया कुल कार्य द्विध्रुव की विद्युत स्थितिज ऊर्जा कहलाता है।
अल्प विस्थापन dθ के लिए किया गया कार्य
90o से θ तक घूमने में किया गया कुल कार्य
तो दोस्तों आशा है कि विद्युत क्षेत्र(Electric Field in Hindi) से सम्बन्धित पूरी जानकारी आपको प्राप्त हो गई होगी .
धन्यवाद !
अन्य पाठ्य सामग्री :
Electromagnetic Induction | विद्युत चुम्बकीय प्रेरण | Lesson-9 | Class 12th
Ohm’s law | ओम का नियम | Formula | Definition of Ohm’s Law – Physics