Electromagnetic Induction in Hindi – विद्युत चुम्बकीय प्रेरण | Lesson-9 | Class 12th

Electro Magnetic Induction

नमस्कार दोस्तो आप सभी को आज के अध्याय विद्युत चुम्बकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction in Hindi) के अंतर्गत सभी विषयों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी जा रही है। जो आपके लिए परीक्षा उपयोगी साबित होगी।

Table of Content

विद्युत चुम्बकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction in Hindi)

चुम्बकीय फ्लक्स (Magnetic Flux in Hindi)

चुम्बकीय क्षेत्र में उपस्थित किसी क्षेत्रफल में से गुजरने वाली चुम्बकीय बल रेखाओं की संख्या चुम्बकीय फ्लक्स (Magnetic Flux) कहलाती है।

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Magnetic Flux Formula

\phi _{ B }=BACos\theta

\phi _{ B }=\overrightarrow { B } .\overrightarrow { A }

चुम्बकीय फ्लक्स एक अदिश राशि है। जिसका S.I. मात्रक  \tau { m }^{ 2 }  या  \frac { \omega b }{ { m }^{ 2 } } { m }^{ 2 }=\omega b होता है। और विमा \left[ { M }^{ 1 }{ L }^{ 2 }{ T }^{ -2 }{ A }^{ -1 } \right] होती है।

विद्युत चुम्बकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction in Hindi)

किसी चुम्बकीय क्षेत्र में उपस्थित लूप से संबंध चुम्बकीय फ्लक्स को परिवर्तित करने पर उस लूप में धारा प्रवाहित होना प्रारम्भ हो जाती है। जिसे प्रेरित धारा तथा इस घटना को विद्युत चुम्बकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction) कहते है।

विद्युत चुम्बकीय प्रेरण

विद्युत चुम्बकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction) से संबंधित फैराड़े के नियम (Faraday’s Law)

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अब हम फैराडे के नियमों (What is Faraday’s Law) के बारें में अध्ययन करेंगे

फैराड़े का प्रथम नियम (Faraday’s First Law)

इस नियम के अनुसार कुण्डली में प्रेरित धारा केवल तब तक ही प्रवाहित होती है। जब तक कि इस कुण्डली का चुम्बकीय फ्लक्स समय के साथ परिवर्तित होता है।

फैराड़े का द्वितिय नियम(Faraday’s Second Law)

इस नियम के अनुसार कुण्डली में प्रेरित होने वाले विद्युत वाहक बल का मान कुण्डली की फ्लक्स परिवर्तन की दर के बराबर होता है।

प्रेरित विद्युत वाहक बल e=\frac { d{ \phi }_{ B } }{ dt }

फैराड़े (faraday) का तृतीय नियम /लैंज का नियम (Faraday’s Third Law)

Lanz’s law in Hindi

लैंज के नियम(lange’s law) के अनुसार कुण्डली में प्रेरित विद्युत धारा की दिशा सदैव इस प्रकार होती है कि वह स्वयं को उत्पन्न करने वाले कारकों का विरोध करती है। जिसे आप नीचे दिए गए चित्र से समझ सकते हो 

लेंज का नियम

लैंज के नियम का गणितिय रूप (Mathematic form of Lanz’s law)

e= -\frac { d{ \phi }_{ B } }{ dt }

यहाँ ऋणात्मक चिन्ह यह प्रदर्शित करता है कि प्रेरित विद्युत वाहक बल चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन का विरोध करता है।

लेंज के नियम का गणितीय रूप

गतिक विद्युत वाहक बल (Dynamic Electric Carrying force)

यदि किसी एक समान चुम्बकीय क्षेत्र में धात्विक तारों से निर्मित किसी लूप को रखकर उसका क्षेत्रफल बढ़ाया जाए तो उस लूप में प्रेरित होने वाला विद्युत वाहक बल गतिक विद्युत वाहक बल कहलाता है।

गतिक विधुत वाहक बल

लूप ABCD का चुम्बकीय फ्लक्स :

{ \phi }_{ 1 }=Bls\quad \quad ..........\boxed { 1 }

लूप ABC’D’ का चुम्बकीय फ्लक्स :

{ \phi }_{ 2 }=Bl(s+vdt)

{ \phi }_{ 2 }=Bls+Bvldt\quad \quad ..........\boxed { 2 }

लूप का क्षेत्रफल परिवर्तित करने पर फ्लक्स में परिवर्तन

d{ \phi }_{ B }={ \phi }_{ 1 }-{ \phi }_{ 2 }

d{ \phi }_{ B }=-Bvl.dt

फैराड़े लैन्ज नियम लूप में प्रेरित गतिक विद्युत वाहक बल

e= -\frac { d{ \phi }_{ B } }{ dt }=-\left( \frac { -Bvldt }{ dt } \right)

e=Bvl

प्रेरित धारा I=\frac { e }{ R } =\frac { Bvl }{ R }

गतिक विद्युत वाहक बल की दिशा फ्लेमिंग के दाएँ हाथ नियम (फ्लेमिंग का दक्षिण हस्त नियम) के अनुसार दी जाती है। इस के अनुसार यदि दाएँ हाथ की तर्जनी, मध्यमा और अँगूठा एक-दूसरे के लम्बवत् है तो

  • तर्जनी अँगूली – चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को,
  • मध्यमा अँगूली – प्रेरित धारा की दिशा को और
  • अँगूठा – आरोपित बल की दिशा को दर्शाता हैं।

गतिक विद्युत वाहक बल में ऊर्जा संरक्षण

गतिक विद्युत वाहक बल के प्रक्रम में गतिशील धात्विक तार को चुम्बकीय बल के विरुद्ध गति करवाने में व्यय होने वाली यांत्रिक शक्ति

{ P }_{ Mechanical }=F.v

⇒{ P }_{ Mechanical }=BIlv

{ P }_{ Mechanical }=\frac { { B }^{ 2 }{ v }^{ 2 }{ l }^{ 2 } }{ R }

प्रेरित धारा (I) के कारण लूप में उत्पन्न विद्युत शक्ति

⇒{ P }_{ Electric }={ I }^{ 2 }R

{ P }_{ Electric }=\frac { { B }^{ 2 }{ v }^{ 2 }{ l }^{ 2 } }{ { R }^{ 2 } } R

{ P }_{ Electric }=\frac { { B }^{ 2 }{ v }^{ 2 }{ l }^{ 2 } }{ { R } }

गतिक विद्युत वाहक बल के प्रक्रम में खर्च होने वाली यांत्रिक शक्ति, विद्युत शक्ति के रूप में रूपान्तिरित हो जाती हैं इसलिए कहा जा सकता है कि गतिक विद्युत वाहक बल ऊर्जा संरक्षण नियम का पालन करता है।

समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में नियत कोणिय वेग(ω) से घूम रही चालक छड़ में प्रेरित विद्युत वाहक बल का सूत्र

प्रेरित विधुत वाहक बल

घूर्णन बिन्दू से कुछ दूर काटे गये अल्पांश(dx) में प्रेरित विद्युत वाहक बल

dl=Bv.dx

\because v=\omega x

dl=B\omega x.dx

सम्पूर्ण छड़ में प्रेरित गतिक विद्युत वाहक बल

e=\int _{ 0 }^{ l }{ dl } =B\omega \int _{ 0 }^{ l }{ xdx }

e=B\omega \left( \frac { { l }^{ 2 } }{ 2 } \right)

e=\frac { 1 }{ 2 } B\omega { l }^{ 2 }

e=\frac { 1 }{ 2 } B\left( 2\pi f \right) { l }^{ 2 }

e=B\pi f{ l }^{ 2 }

स्वप्रेरण (Self Induction)

किसी कुण्डली में प्रवाहित होने वाली धारा में परिवत्र्तन के कारण कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न होना, स्वप्रेरण कहलाता है।

स्वप्रेरण के कारण कुण्डली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत वाहक बल कुण्डली की धारा परिवत्र्तन का विरोध करता है। इसलिए इसे विद्युत जड़त्व भी कहते हैं।

स्वप्रेरण, Electromagnetic Induction

यदि कुण्डली के एक फेरे का फ्लक्स(ɸ) तथा कुण्डली में फेरों की संख्या(N) हो तो इसका कुल फ्लक्स Nɸ होगा जो कुण्डली में प्रवाहित धारा के समानुपाती होता है।

N\phi ∝i

N\phi =Li

जहाँ L – स्वप्रेरण गुणांक कहलाता है।

L=\frac { N\phi }{ i }

इसका S.I. मात्रक \frac { Wb }{ Amp } =Henery होता है और विमा  \left[ M^{ 1 }L^{ 2 }T^{ -2 }{ A }^{ -2 } \right] होती है।

स्वप्रेरण के कारण कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहक बल का सूत्र

फैराड़े – लैन्ज के नियमानुसार

e=-\frac { d{ \phi }_{ B } }{ dt }

⇒e=-\frac { d }{ dt } \left( N\phi \right)

e=-\frac { d }{ dt } \left( Li \right)

e=-L\frac { di }{ dt }

\left| e \right| =L\frac { di }{ dt }

स्वप्रेरण गुणांक (Coefficient of Self Inductance)

यदि कुण्डली में प्रवाहित धारा में परिवर्तन की दर 1एम्पीयर/सैकण्ड हो तो कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहक बल का परिमाण ही स्वप्रेरण गुणांक कहलाता है।

यदि \frac { di }{ dt } =\frac { 1Amp }{ Sec }

L=\left| e \right|

किसी परिनालिका के लिए स्वप्रेरण गुणांक का सूत्र

स्वप्रेरण गुणांक, Electromagnetic Induction

परिनालिका का कुल फ्लक्स

N\phi =N\left( BA \right)

\because B=\frac { { \mu }_{ o }Ni }{ l }

N\phi =N\left( \frac { { \mu }_{ o }Ni }{ l } \right) A

L=\frac { N\phi }{ i } =\frac { { \mu }_{ o }{ N }^{ 2 }A }{ l }

किसी कुण्डली में संचित चुम्बकीय ऊर्जा तथा ऊर्जा घनत्व का सूत्र

कुण्डली में संचित चुम्बकीय ऊर्जा, Electromagnetic Induction

स्वप्रेरण के कारण कुण्डली में उत्पन्न विद्युत वाहक बल के विरूद्ध धारा परिवत्र्तन के लिए किया गया कार्य कुण्डली में संचित चुम्बकीय ऊर्जा कहलाती है। यदि dt समय अन्तराल में di धारा परिवर्तन के लिए किया गया कार्य dω हो तो

dw=\left| e \right| i.dt

dw=L\frac { di }{ dt } i.dt

dw=L.idi

कुण्डली में धारा 0-i तक परिवर्तित करने के लिए किया गया कुल कार्य अर्थात् चुम्बकीय ऊर्जा

U=W=L\int _{ 0 }^{ i }{ idi }

U=L{ \left[ \frac { { i }^{ 2 } }{ 2 } \right] }_{ 0 }^{ i }

(चुम्बकीय ऊर्जा)  U=\frac { 1 }{ 2 } L{ i }^{ 2 }

चुम्बकीय ऊर्जा घनत्व (Magnetic Energy Density)

कुण्डली के एकांक आयतन में संचित होने वाली चुम्बकीय ऊर्जा चुम्बकीय ऊर्जा घनत्व कहलाती है।

UB = चुम्बकीय ऊर्जा \div आयतन

{ U }_{ B }=\frac { 1 }{ 2 } \frac { L{ i }^{ 2 } }{ lA }

\because L=\frac { { \mu }_{ o }{ N }^{ 2 }A }{ l }

⇒{ U }_{ B }=\frac { 1 }{ 2 } \left( \frac { { \mu }_{ o }{ N }^{ 2 }A }{ l } \right) \frac { { i }^{ 2 } }{ lA }

{ U }_{ B }=\frac { 1 }{ 2 } \left( \frac { { \mu }_{ o }^{ 2 }{ N }^{ 2 }{ i }^{ 2 } }{ { l }^{ 2 }{ \mu }_{ o } } \right)

⇒{ U }_{ B }=\frac { 1 }{ 2 } { \left( \frac { { \mu }_{ o }{ N }{ i } }{ { l } } \right) }^{ 2 }\frac { 1 }{ { \mu }_{ o } }

{ U }_{ B }=\frac { 1 }{ 2 } \frac { { B }^{ 2 } }{ { \mu }_{ o } }

अन्योन्य प्रेरण (Mutual Inductance)

अन्योन्य प्रेरण, Electromagnetic Induction

कुण्डली A का चुम्बकीय फ्लक्स परिवर्तित करने पर कुण्ड़ली B में विद्युत वाहक बल प्रेरित होना अन्योन्य प्रेरण कहलाता है।

यदि कुण्ड़ली B में फेरों की संख्या N2 तथा कुल फ्लक्स Nɸ हो तो यह A कुण्डली में प्रवाहित धारा के समानुपाति होता है।

N_{ 2 }ɸ∝i_{ 1 }

N_{ 2 }ɸ={ M }_{ 12 }i_{ 1 }

जहाँ M12 अन्योन्य प्रेरण गुणांक हैं।

{ M }_{ 12 }=\frac { { N }_{ 2 }\phi }{ { i }_{ 1 } }

इसका मात्रक \frac { Wb }{ Amp } =Henery और विमा \left[ { M }^{ 1 }{ L }^{ 2 }{ T }^{ -2 }{ A }^{ -2 } \right] होती है।

अन्योन्य प्रेरण के कारण कुण्डली में उत्पन्न विद्युत वाहक बल

फैराड़े लैन्ज के नियम अनुसार

⇒e=-\frac { d{ \phi }_{ B } }{ dt } =-\frac { d }{ dt } \left( { N }_{ 2 }\phi \right)

e=-{ M }_{ 12 }\frac { d{ i }_{ 1 } }{ dt }

\left| e \right| ={ M }_{ 12 }\frac { d{ i }_{ 1 } }{ dt }

अन्योन्य प्रेरण गुणांक की परिभाषा (Coefficient of Mutual Induction)

यदि प्रथम कुण्डली में धारा परिवर्तन की दर 1एम्पीयर/सैकण्ड़ हो तो द्वितीय कुण्ड़ली में प्रेरित होने वाले विद्युत वाहक बल का गुणांक अन्योन्य प्रेरण गुणांक कहलाता है।

\frac { d{ i }_{ 1 } }{ dt } =\frac { 1Amp }{ Sec }

\left| e \right| ={ M }_{ 12 }

दो समाक्षीय (सम+अक्षीय अर्थात् समान अक्षों वाली कुण्ड़लियाँ) कुंडलियों के लिए अन्योन्य प्रेरण गुणांक का सूत्र :

अन्योन्य प्रेरण गुणांक, Electromagnetic Induction

प्रायोगिक रूप से कुण्ड़ली प्रथम तथा कुण्ड़ली द्वितीय दोनों एक ही आधार पर लपेटी जाती है। जिसके परिणामस्वरूप कुण्ड़ली प्रथम का कुल फ्लक्स कुण्डली द्वितीय के साथ संबध हो जाता है।

इसलिए अन्योन्य प्रेरण गुणांक

{ M }_{ 12 }=\frac { { N }_{ 2 }\phi }{ { i }_{ 1 } }

{ M }_{ 12 }=\frac { { N }_{ 2 }\left( { B }_{ 1 }A \right) }{ { i }_{ 1 } }

\because { B }_{ 1 }=\frac { { \mu }_{ o }{ N }_{ 1 } }{ l } { i }_{ 1 }

{ M }_{ 12 }={ N }_{ 2 }\left( \frac { { \mu }_{ o }{ N }_{ 1 }{ i }_{ 1 } }{ l } \right) \frac { A }{ { i }_{ 1 } }

{ M }_{ 12 }=\frac { { \mu }_{ o }{ N }_{ 1 }{ N }_{ 2 }A }{ l }

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