इलेक्ट्राॅन की खोज किसने की थी – Electron ki khoj kisne ki thi : खोजकर्ता, प्रयोग, इतिहास

इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की

नमस्कार दोस्तों आज के आर्टिकल में हम जाननें वाले है कि इलेक्ट्राॅन की खोज किसने की थी(Electron ki khoj kisne ki thi)। जिसमें हम इलेक्ट्राॅन(Electron) से संबंधित सभी प्रश्नों को भी अच्छे से समझने वाले है और इलेक्ट्राॅन के खोजकर्ता कौन है(Electron ke khojkarta kaun hai) और इलेक्ट्राॅन की खोज कब हुई(electron ki khoj kab hui), इलेक्ट्राॅन की खोज कैसे हुई(electron ki khoj kaise hui) आदि जैसे परीक्षापयोगी तथ्यों को भी अच्छे से समझेगें। तो चलिए बढ़तें है आज के आर्टिकल की ओर…

इलेक्ट्राॅन की खोज – Electron ki khoj

Electron ki khoj kisne ki
Electron

दोस्तों परमाणु को किसी भी पदार्थ की सबसे छोटी इकाई माना जाता है। जिसको दो भागों में विभाजित नहीं किया जा सकता है। जो इलेक्ट्राॅन, प्रोट्राॅन और न्यूट्राॅन से मिलकर बना होता है। जब तक इलेक्ट्राॅन की खोज नहीं हुई थी तब तक यही माना जाता था कि परमाणु ही पदार्थ की सबसे छोटी इकाई है। परन्तु जब 1897 में प्रोफेसर जोसेफ जे. थाॅमसन ने इलेक्ट्राॅन की खोज की। तो पाया गया कि परमाणु में पाए जाने वाला इलेक्ट्राॅन पदार्थ का सबसे छोटा अंश होता है जिसे ओर अधिक भागों में विभाजित नहीं किया जाता सकता है। जिसे सबसे छोटे कण की संज्ञा दी गई। इसके बाद प्रयोगों द्वारा पाया गया कि परमाणु में इलेक्ट्राॅन के अलावा नाभिक भी होता है जिसकी खोज रदरफोर्ड नामक विज्ञानिक ने 1911 में की थी।

इलेक्ट्राॅन की खोज किसने की – Electron ki khoj kisne ki

दोस्तों इलेक्ट्राॅन की खोज ब्रिटेन के वैज्ञानिक जे.जे. थाॅमसन ने की। जिसके लिए इन्हें 1906 में नोबेल पुरस्कार मिला था। जिन्होने इलेक्ट्राॅन को पदार्थ की सबसे छोटी इकाई कहा। इन्होंने इलेक्ट्राॅन की खोज करने के लिए प्रयोग किए और कहा कि “इलेक्ट्राॅन परमाणु में चारोें ओर दीर्घवृताकार पथ में गति करतें है”। जिन पर ऋणावेश होता है।

इलेक्ट्राॅन की खोज कब हुई – Electron ki khoj kab hui

जब प्रोफेसर जे.जे. थाॅमसन विद्युत डिस्चार्ज पर प्रयोग कर रहे थे। तब उन्होंने एक प्रयोग के दौरान इलेक्ट्राॅन की खोज 1897 में की। जो परमाणु विज्ञान में एक नई खोज थी। तब तक परमाणु के तीन घटक खोजे जा चुके थे, जिसमें से एक इलेक्ट्राॅन भी था।

इलेक्ट्राॅन की खोज कैसे हुई – Electron ki khoj kaise hui

दोस्तों जब 1897 में जे. जे. थाॅमसन कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की केवेंडिस प्रयोगशाला में विद्युत डिस्चार्ज पर प्रयोग कर रहें थे। तब इन्होनें एक काँच की नली में कम दाब व गैंस पर अधिक वोल्टता प्रवाहित की तो पाया कि कुछ कण कैथोड़ से एनोड़ की ओर गति कर रहें है और इस दौरान एक चमक उत्पन्न हुई इन कणों को ही इन्होंने इलेक्ट्राॅन कहा। इसे कैथोड़ रे परिक्षण कहा गया।

इलेक्ट्राॅन की खोज के लिए कैथोड़ रे परिक्षण

दोस्तों सर्वप्रथम 1859 में जूलियस प्लकर नामक वैज्ञानिक ने कैथोड़ किरणों के इस प्रयोग को किया था। जिसको पुनः जे. जे. थाॅमसन के द्वारा इलेक्ट्राॅन की खोज के लिए प्रयोग में लाया गया।

electron cathode ray test
Electron : Cathode Ray Test

जे. जे. थाॅमसन ने एक काँच का सिलेंडर लिया। जिसमें उन्होने धातु के दो इलेक्ट्रोड लगाये और उसमें चूषक पम्प की सहायता से निर्वात उत्पन्न किया। तत्पश्चात इन्होंने इसमें कम दाब व गैस की उपस्थिति में उच्च विभवान्तर(लगभग 10000) वैद्युत विसर्जन करवाया। तो इन्होने देखा कि एक प्रकार की तेज चमक उत्पन्न हुई और ये चमक किरणों के रूप में कथौड़ से निकलकर ऐनोड़ की ओर जाने लगी।

अध्ययन करने पर यह ज्ञात हुआ कि ये किरणे ऋणआवेशित है जो धनात्मक आवेश की ओर आकृषित हो रहीं है। इन किरणों पर इलेक्ट्राॅन का पता लगाने के लिए जे.जे. थाॅमसन ने इन काँच के सिलेंडर के मध्य में हल्की पंखुड़ी वाला एक पंखा रखा और फिर से प्रयोग को दोहराया। तो उन्होंने पाया कि जैसे ही किरणे कैथोड़ से ऐनोड की ओर गमन करती है तो पंखा घूमने लगता है। जिससे यह पता चला कि कुछ कण पंखे से टकराते है, जिसके कारण पंखा घूमता है। जिन पर ऋणात्मक आवेश उपस्थित था। इन कणों को इलेक्ट्राॅन(Electron) कहा गया। इस प्रकार इलेक्ट्राॅन की खोज हुई।

  • इस प्रयोग को कैथोड़ रे प्रयोग या कैथोड़ रे टेस्ट(CPT) कहा जाता है।

इलेक्ट्राॅन के गुण

  • इलेक्ट्राॅन को e, e से प्रदर्शित किया जाता है।
  • Electron पर एक इकाई ऋणावेश उपस्थित होता है।
  • इलेक्ट्राॅन पर उपस्थित एक इकाई ऋणावेश का मान -1.6×10-19 कूलम्ब होता है।
  • Electron नाभिक के चारों और दीर्घवृताकार पथ पर गति करता है।
  • इलेक्ट्राॅन, लेप्टाॅन परिवार के प्रथम पीढ़ी का कण है।
  • Electron को प्राथमिक कणों के रूप में माना जाता है। क्योंकि अभी तक इलेक्ट्राॅन का कोई आधार ज्ञात नहीं है।
  • इलेक्ट्राॅन कण और तरंग दोनों की तरह व्यवहार प्रदर्शित करता है।
  • एक इलेक्ट्राॅन का द्रव्यमान 9.11×10-31 किग्रा होता है।

तो दोस्तों आज हमने इलेक्ट्राॅन(Electron) और इलेक्ट्राॅन की खोज(Electron ki khoj) से संबंधित काफी जानकारी प्राप्त की। जिसमें हमने परिक्षा में आने वाले प्रश्नों को भी अच्छे से समझा। मुझे आशा है कि आपको दी गई जानकारी अच्छी लगी होगी। आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और इसी प्रकार की बेहतरीन जानकारी के लिए हमारे साथ बने रहें।

धन्यवाद!

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