हैल्लो दोस्तो आज के आर्टिकल में हम रेखा और कोण के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करने वाले है। जिसमें सबसे पहले हम रेखा और कोण (Line and Angle in Hindi) के बारे में सामान्य जानकारी प्राप्त करेंगें एवं तत्पश्चात् रेखा और कोण की परिभाषाओं को समझेंगें। तो चलिए दोस्तों बढ़ते है आज के आर्टिकल की ओर।
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रेखा एवं कोण (Line and Angle in Hindi)
दोस्तों रेखा और कोण (Line and Angle in Hindi) को समझने से पहले हम बिन्दु को समझेंगें कि बिन्दु क्या है ?
बिन्दु
एक सूक्ष्म ज्यामितीय आकृति, जिसका कोई माप नहीं होता, बल्कि जो केवल स्थान का निर्धारण करता है, बिन्दु कहलाता है। बिन्दु एक छोटी सी बिन्दी संकेत मात्र है जिसकी कोई माप या आकार, लम्बाई-चैड़ाई नहीं होती है। जैसे: वृत का केन्द्र बिन्दु। यह निम्न प्रकार का होता है :
उदाहरण : परकार की नोक, सूई की नोक, दशमलव चिन्ह आदि।
⇒ बिन्दु को वर्णमाला के किसी एक अक्षर के द्वारा व्यक्ति किया जाता है। जैसे: अ, ब, स, A, B, C, a, b, x, y आदि बिन्दु केवल स्थान को दर्शाते हैं।
बिन्दु की विशेषताएँ
- बिन्दु एक संकेत मात्र है जिसका कोई माप एवं आकार नहीं होता है।
- यह स्थान विशेष को बताता है।
- अलग-अलग बिन्दु अलग-अलग स्थान को दर्शाते है।
- बिन्दु को वर्णमाला के किसी एक अक्षर द्वारा व्यक्त करते हैं। अलग-अलग बिन्दु के लिए अलग-अलग अक्षर का प्रयोग किया जाता है।
तो चलिए दोस्तो अब हम रेखा के बारे में जानकारी प्राप्त करते है।
रेखा का परिचय
- दोस्तो रेखा को समझने के लिए हमें निम्न बिन्दुओं की ओर ध्यान देना होगा। जिससे आपको यह ज्ञान होगा कि वास्तव में रेखा किस प्रकार की हो सकती है ?
- एक रेखा अनन्त बिन्दुओं से मिलकर बनी हो सकती है। जिसकी कोई निश्चित लम्बाई नहीं होती है।
- इस प्रकार रेखा का कोई अन्त बिन्दु नहीं होता है। इसलिए रेखा को अनन्त लम्बाई तक खींचा जा सकता है।
- किसी रेखा पर अगर किन्ही दो बिन्दुओं को स्थापित कर दिया जाए तो एक रेखाखण्ड का निर्माण होता है।
- रेखा पर स्थापित किए गए बिन्दु अन्तखण्ड कहलाते है।
- एक रेखाखण्ड के दो अन्त बिन्दु होते है।
- रेखा पर स्थित किन्ही दो अन्त बिन्दुओं के द्वारा ही एक रेखाखण्ड का निर्माण किया जा सकता है।
- किसी एक अन्त बिन्दु के द्वारा रेखाखण्ड का निर्माण नहीं किया जा सकता है।
- किसी एक अन्त बिन्दु के द्वारा किरण का निर्माण किया जा सकता है।
- अतः एक किरण का एक अन्त बिन्दु होता है।
तो दोस्तों यह सब पढ़कर आपको मन में कुछ प्रश्न जरूर होंगें। तो चलिए हम रेखा के विविध रूपों को चित्र के द्वारा समझते है।
रेखा (Line in Hindi)
किसी रेखाखण्ड को दोनों सिरों की ओर असीमित लम्बाई तक बढ़ाने से बनी आकृति को ‘रेखा’ कहते है। रेखा या किरण की लम्बाई मापना संभव नहीं है। रेखा का कोई प्रारंभ बिन्दु या अंत बिन्दु नहीं होता। रेखा या किरण की लम्बाई मापना संभव नहीं है। रेखा का कोई प्रारंभ बिन्दु या अंत बिन्दु नहीं होता। रेखा की अनन्तता को प्रदर्शित करने हेतु इसके दोनो और तीर का निशान लगाया जाता है। एक रेखा कम से कम दो बिन्दुओं से होकर गुजरती है। परन्तु इन दो बिन्दुओं से केवल एक ही सरल रेखा गुजर सकती है एक से अधिक नहीं। एक रेखा पर अनन्त बिन्दु हो सकते है। सीधी रेखा स्केल व पेंसिल की सहायता से खींची जाती है।
या
एक रेखा जिससे अनन्त तक खींचा जा सकता है। जिसकी निश्चित लम्बाई नहीं होती है। यह निम्न प्रकार की होती है :
रेखा की विशेषताएँ
- यह कम से कम दो निश्चित बिन्दुओं से गुजरती है, किन्तु इस पर अनन्त बिन्दु होते है।
- किसी बिन्दु से दोनों ओर अनन्त तक अग्रेषित होती है।
- निश्चित बिन्दु से दोनो ओर अग्रेषण की दिशाएँ निश्चित होती है।
- यदि रेखा पर स्थित दो बिन्दुओं के बीच की दूरी सबसे कम है तो यह सरल रेखा है। यदि इन दो बिन्दुओं के बीच की न्यूनतम दूरी को किसी अन्य रेखा से व्यक्त किया जा सकता है तो वह वक्र रेखा है।
सरल एवं वक्र रेखा
दो बिन्दुओं को मिलाने वाली सबसे छोटी सीधी रेखा को सरल रेखा एवं दो बिन्दुओं को मिलाने वाली टेढ़ी-मेढ़ी रेखा को वक्र रेखा कहते है।
रेखाखण्ड
दो बिन्दुओं को मिलाने पर बनी सीधी आकृति को रेखाखण्ड कहते है। रेखाखण्ड को मापा जा सकता हैै। परन्तु रेखाखण्ड की चैड़ाई नहीं होती है। रेखाखण्ड रेखा का एक भाग ही होता है। एक रेखाखंड की लम्बाई निश्चित होती है। तथा इसके प्रारम्भ व अंतिम बिन्दु विद्यमान होते है। रेखाखण्ड, सरल रेखा का वह भाग है जो निश्चित बिन्दु से प्रारम्भ होकर अन्य निश्चित बिन्दु पर रुक जाता है।
या
रेखा पर खींचे गए किन्हीं दो अन्त बिन्दुओं के द्वारा एक रेखाखण्ड का निर्माण होता है। जिसकी निश्चित लम्बाई होती है। यह निम्न प्रकार होता है :
किरण
रेखाखण्ड को किसी एक ओर असीमित लम्बाई तक बढ़ाने पर बनी आकृति को ‘किरण’ कहते है। किरण का आरंभ बिन्दु स्थिर रहता है तथा यह केवल एक ही दिशा में गमन करती है। यदि रेखा एक तरफ बिन्दु द्वारा सीमित हो तथा दूसरी ओर अनन्त तक बढ़ी हो तो इसे किरण से व्यक्त किया जाता है।
उदाहरण: सूर्य की किरण, टाॅर्च की रोशनी, प्रकार की किरण आदि। एक किरण का एक अन्त बिन्दु होता है। यह निम्न प्रकार का होता है :
किरण की विशेषताएँ
- इसका प्रारम्भिक बिन्दु मूल बिन्दु होता है।
- यह विशेष दिशा को प्रदर्शित करती है।
- इसका अन्तिम सिरा अज्ञात या अनन्त होता है।
- किसी निश्चित बिन्दु या स्थान विशेष से प्रारम्भ होने वाली दो किरणों से बनी आकृति कोण को दर्शाती है।
दोस्तों अब हम रेखा के कुछ अन्य परिभाषाओं को जानेंगंे।
संरेख बिन्दु
यदि तीन या तीन से अधिक बिन्दु एक ही रेखा पर स्थित हों तो वे संरेख बिन्दु कहलाते हैं, अन्यथा असंरेख बिन्दु कहलाते हैं। यह निम्न प्रकार के होते है :
संपाती रेखाएँ
तीन या तीन से अधिक रेखाओं को संपाती कहा जाता है यदि वे सभी एक उभयनिष्ठ बिन्दु से होकर गुजरती है। यह निम्न प्रकार की होती है :
दोस्तों अब हम कोण के बारे में जानने वाले है। किस कोण किसे कहते है ? तो चलिए जानते है।
कोण (Angle in Hindi)
किसी एक ही बिंदु से प्रारंभ होने वाली दो किरणों से बनी आकृति को कोण कहते है। कोई भी दो किरणें जिनका प्रारम्भिक बिन्दु उभयनिष्ठ हो, सदैव एक कोण बनाती है।
या
जब दो रेखाएँ या रेखाखण्ड एक ही बिन्दु पर मिलते हैं, तो एक कोण का निर्माण होता है। यह निम्न प्रकार होता है :
सर्वांगसम कोण
दो कोण यदि सर्वांगसम हैं तो उनका माप समान होता है।
या
यदि दो कोणों के माप समान हों तो वे सर्वांगसम होते हैं।
कोण का मापन
रेखाखण्ड की लम्बाई की तरह कोण को मापने हेतु जो इकाई काम में ली जाती है वह डिग्री या अंश है। डिग्री का संकेत ‘o’ होता है।
जैसे: 5 डिग्री को 5o से व्यक्त किया जाता है।
इसे मापने हेतु जो उपकरण काम में लिया जाता है, वह चाँदा कहलाता है। यदि अग्रेजी के अक्क्षर ‘D’ की तरह होता है। इसलिए इसे हम सामान्य भाषा में ‘D’ भी कहते है।
Types of Angles in Hindi
अब हम कोण के विभिन्न प्रकार के बारे में जानने वाले है। जिसमें हम निम्न कोणों की परिभाषाओं का चित्र सहित अध्ययन करेंगें।
- समकोण
- न्यून कोण
- अधिक कोण
- ऋजु कोण
- प्रतिवर्ती कोण
- पूरक कोण
- सम्पूरक कोण
- आसन्न कोण
- सम्पूर्ण कोण
समकोण
वह कोण जो 90 डिग्री का होता है। उसे समकोण कहते है। यह निम्न प्रकार का होता है :
समकोण = 90o
न्यून कोण
जैसा का नाम से ही पता चलता है। न्यून कोण अर्थात् ‘छोटा कोण’।
परिभाषा : वे कोण जो 0 डिग्री से अधिक और 90 डिग्री से छोटे होते है, उन्हें न्यून कोण कहा जाता है। उदाहरण: 45 डिग्री, 25 डिग्री आदि। यह निम्न प्रकार के होते है :
न्यून कोण = 0o<θ<90o
अधिक कोण
जैसा की नाम से ही पता चलता है। अधिक कोण अर्थात् ‘बड़ा कोण’।
परिभाषा: वे कोण जो 90 डिग्री से बड़े और 180 डिग्री से छोटे होते है, उन्हें अधिक कोण कहा जाता है। उदारहण: 120 डिग्री, 145 डिग्री। यह निम्न प्रकार के होते है :
अधिक कोण = 90o<θ<180o
सरल या ऋजु कोण
वह कोण जो 180 डिग्री का होता है। उसे ऋजु कोण कहते है। यह निम्न प्रकार का होता है :
ऋजु कोण = 180o
वृहत् या प्रतिवर्ती कोण
वह कोण जो 180 डिग्री से अधिक होते है और 360 डिग्री से कम होता है, उसे प्रतिवर्ती कोण कहते है। यह निम्न प्रकार का होता है :
180o<θ<360o
पूरक या अनुपूरक कोण
जब दो कोणों का योग एक समकोण के बराबर होता है, तो ऐसे कोण पूरक कोण कहलाते है। यह निम्न प्रकार का होता है:
कोण A कोण B = कोण 90o
या कोण A = कोण 90o – कोण B = कोण A का पूरक
सम्पूरक कोण
ऐसे दो कोण जिनका योग 180 डिग्री हो ‘सम्पूर्ण कोण’ कहलाते है। यह निम्न प्रकार होता है:
कोण X + कोण Y = 180o
आसन्न कोण
दो कोण आसन्न कोण कहलाते है। यह निम्न प्रकार के होते है:
आसन्न कोण से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु निम्न प्रकार है:
- यदि उनमें एक उभयनिष्ठ शीर्ष हो।
- उनमें एक उभयनिष्ठ भुजा हो।
- उनकी वे भुजाएँ जो उभयनिष्ठ नहीं हैं उभयनिष्ठ भुजा के विपरित ओर स्थित हों।
सम्पूर्ण कोण
दो ऋजु या सरल कोण या चार समकोण मिलकर एक संपूर्ण कोण का निर्माण करत है। यह 360 डिग्री का होता है। इससे बड़ा कोण नहीं बन सकता है। एक घड़ी की सूई के डायल का एक पूरा चक्कर लगाने पर एक संपूर्ण कोण बनाती है। इसी प्रकार हम एक दिशा से दायें या बाएँ पूरा घूमकर पुनः उसी दिशा में आ जाएँ तो हम 360 डिग्री घूम जाते है।
दोस्तों अब हम पुनः रेखा के अन्य प्रकारों के बारे में जानने की ओर बढ़ते है।
रैखिक युग्म
यदि आसन्न कोणों का योग 180 डिग्री हो, अर्थात् आसन्न कोणों में वे भुजाएँ जो उभयनिष्ट नहीं है, मिलकर एक सरल रेखा बनाएँ तो बनने वाले दोनों कोणों का युग्म ‘कोणों का रैखिक युग्म’ कहलाता है।
या
यदि एक सरल रेखा पर एक किरण मिलती है तो बनने वाले दोनों कोणों को ‘कोणों का रैखिक युग्म’ कहते हैं।
या
एक रैखिक युग्म, आसन्न कोणों का एक युग्म हैं जिनकी उभयनिष्ठ भुजा विपरित किरण होती है। यह निम्न प्रकार होता है:
कोण X, कोण Y एक रैखिक युग्म हैं तथा कोण X + कोण Y = 180o
नोट: रैखिक युग्म के कोण संपूरक होते हैं।
समान्तर रेखाएँ
दो रेखाएँ जो हमेशा समान दूरी पर स्थित हों ‘‘समान्तर रेखाएँ’’ कहलाती है। यह निम्न प्रकार की होती है :
नोट: समान्तर रेखाएँ अनन्त पर मिलती हैं।
प्रतिच्छेदी रेखाएँ
यदि दो रेखाएँ एक उभयनिष्ठ बिंदु से होकर गुजरती हैं (या एक उभयनिष्ठ बिन्दु रखती है) तो उन्हें ‘‘प्रतिच्छेदी रेखाएँ’’ कहते हैं।
नोट: दो रेखाएँ अधिकतम एक बिंदु पर काट सकती हैं।
शीर्षाभिमुख या सम्मुख कोण
जब दो रेखाएँ एक-दूसरे को काटती हैं तो उनके प्रतिच्छेद बिन्दु पर परस्पर विपरित दिशा में बनने वाले कोण शीर्षाभिमुख या सम्मुख कोण कहलाते है। तथा ये सदैव आपस में बराबर होते है। शीर्षाभिमुख कोणों की कोई भी भुजा उभयनिष्ठ नहीं होती।
कोण AOD और कोण BOC एवं कोण AOC और कोण BOD शीर्षाभिमुख कोण है।
दोस्तों अब हम तिर्यक रेखाओं द्वारा बनने वाले विभिन्न कोणों के बारे में जानकारी प्राप्त करने वाले है।
तिर्यक रेखा से बनने वाले कोण
- अंत कोण: कोण 3, कोण 4, कोण 5, कोण 6
- बाह्य कोण: कोण 1, कोण 2, कोण 7, कोण 8
- संगत कोणों का युग्म: कोण 1 तथा कोण 5, कोण 2 तथा कोण 6, कोण 4 तथा कोण 7, कोण 3 और कोण 8
- एकांतर अंतः कोणों का युग्म: कोण 3 तथा कोण 5, कोण 4 तथा कोण 6
- एकांतर बाह्य कोणों का युग्म: कोण 1 तथा कोण 8, कोण 2 तथा कोण 7
- तिर्यक रेखाओं के एक ही ओर के अंतः कोण: कोण 3 तथा कोण 6, कोण 4 तथा कोण 5
तीर्यक रेखा से संबंधित महत्वपूर्ण बिन्दु
यदि दो समान्तर रेखाओं को एक तिर्यक रेखा काटती है, तो:-
- संगत कोणों का प्रत्येक युग्म बराबर होता है।
- एकांतर अंतः कोणों का प्रत्येक युग्म बराबर होता है।
- तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अंतः कोण संपूरक होते हैं।
लम्ब रेखा
यदि दो रेखाएँ परस्पर एक-दूसरे को काटती हैं तथा उनके बीच का कोण समकोण हो तो वे एक-दूसरे पर लंब रेखाएँ कहलाती है। इसे ┴ द्वारा प्रदर्शित करते हैं। जैसे कोई रेखा XY रेखा AB पर लंब है तो इसे XY ┴ AB लिखते हैं। लंब के उदाहरण – अंग्रेजी का अक्षर T, L, H आदि।
लंब समद्विभाजक
जब एक रेखा दूसरी रेखा को दो समान भागों में विभाजित करती हो तथा उस पर लंब भी हो तो वह लंब समद्विभाजक कहलाती है।
तो दोस्तों आज के आर्टिकल में हमने रेखा और कोण (Line and Angle in Hindi) के बारे में विस्तार से चर्चा की। अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा तो इसे अपने दोस्तो के साथ में शेयर करें। और बेहतरीन जानकारी के लिए हमारे साथ बने रहे।
धन्यवाद !
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