Friends, today we are going to know in detail about the artificial satellite (List of Satellites Launched by India), so let’s move towards today’s article.
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कृत्रिम उपग्रह
- सूर्य के चारों ओर आठ ग्रह परिक्रमा करते है। इन ग्रहों के चारों ओर अनेक खगोलिय पिण्ड परिक्रमा कर रहे है। जिन्हें उपग्रह कहते है। ये सभी प्राकृतिक उपग्रह कहलाते है। जैसे पृथ्वी का उपग्रह चन्द्रमा।
- पृथ्वी के लिए वह न्यूनतम वेग जिससे वस्तु को ऊपर की ओर भेजने पर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र को पार जाए पलायन वेग कहलाता है। पृथ्वी के लिए वस्तु का पलायन वेग 11.2 किमी. प्रति सेकण्ड होता है।
- मानव निर्मित पिण्ड जो पृथ्वी तथा अन्य ग्रहों के चारों ओर चक्कर काट रहे हैं कृत्रिम उपग्रह कहलाते है। ये प्राकृतिक उपग्रह से अलग है। दूरदर्शन, मोबाइल, रेडियो आदि इन कृत्रिम उपग्रहों के कारण ही कार्य करते है।
- कृत्रिम उपग्रहों को पलायन वेेग से कुछ कम वेग से प्रेक्षेपित किया जाता है जिससे वे गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर नहीं जाते व पृथ्वी के चारों ओर निश्चित कक्ष में चक्कर लगाते है। कृत्रिम उपग्रहों को राॅकेट या उपग्रह प्रेक्षेपणयान की सहायत से अंतरिक्ष म प्रेक्षेपित किया जाता है।
- पृथ्वी से ऊपर फेंकी गई वस्तुएँ पुनः पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण बल के कारण आती है। गुरुत्वाकर्षण की सीमा को पार करने पर वस्तुएँ पुनः पृथ्वी पर नहीं आती है।
कृत्रिम उपग्रहों के प्रकार (Artificial Satellites Launched by India)
कृत्रिम उपग्रहों अंतरिक्ष में पृथ्वी के सापेक्ष दूरी तथा उपग्रह के उपयोग के आधार पर दो प्रकार के होते है –
- भू-स्थिर
- ध्रुवीय उपग्रह
भू-स्थिर उपग्रह
यदि पृथ्वी की सतह से किसी कृत्रिम उपग्रह की ऊँचाई इतनी हों, कि इसका परिक्रमण काल ठीक पृथ्वी की अक्षीय गति के परिक्रमण काल के बराबर हो तथा दिशा पश्चिम से पूर्व हो तो वह उपग्रह पृथ्वी के सापेक्ष एक ही स्थान पर स्थिर दिखाई देगा, यद्यपि पृथ्वी तथा उपग्रह दोनों गतिमान है। ऐसे ही उपग्रह को भूस्थिर उपग्रह कहा जाता है। तथा इनकी कक्षाा को पार्क-कक्षा कहा जाता है। पार्क-कक्षा की पृथ्वी सतह से ऊँचाई लगभग 36000 किलामीटर होती हैं और पार्क-कक्षा में उपग्रह का वेग लगभग 3.1 किमी/सेकण्ड होता है। भारतीय उपग्रह इनसैट-1B एक भूस्थिर उपग्रह है। ये उपग्रह भूमध्य रेखीय कक्ष में चक्कर काटते है। भूस्थिर उपग्रह का उपयोग सेटेलाईट टेलीफोन, सेटेलाईट टेलीविजन, सेटेलाइट रेडियों और अन्य प्रकार के वैश्विक संचार के लिए किया जाता है। इसलिए इसे संचार उपग्रह भी कहते है।
ध्रुवीय उपग्रह
वे कृत्रिम उपग्रह जिनकी कक्षा का तल पृथ्वी के उत्तरी व दक्षिणी ध्रुवों के पास से गुजरे उन्हें ध्रुवीय उपग्रह कहते है। ये अपनी कक्षा में पृथ्वी की घूर्णन गति के विपरीत गति करते हैं तथा इनकी कक्षा को पश्चगतिक कक्षा कहतें है। इनका परिक्रमण काल इनकी पृथ्वी तल से ऊँचाई पर निर्भर करता है तथा मात्र कुछ घंटे होता है। इनका प्रक्षेपण ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन यान द्वारा किया जाता है। इनकी ऊँचाई 500 से 800 किमी होती है। ये बादलों के चित्र, वायुमण्डल संबंधी जानकारी, ओजोन परत में छेद जैसी कई महत्वपूर्ण सूचनाएँ प्राप्त होती है। ध्रुवीय उपग्रह से प्राप्त सूचनाएँ सुदूर संवेदन, मौसम विज्ञान तथा पर्यावरण संबंधी अध्ययन के लिए उपयोगी है। यह उपग्रह अपने कैमरों के द्वारा पूरे दिन में एक या दो सम्पूर्ण पृथ्वी का अवलोकन कर सकता है।
- किसी वस्तु के सीधे सम्पर्क में आए बिना उस वस्तु के संबंध में जानकारी प्राप्त करन सुदूर संवेदन कहलाता है।
- भारत में कई सुदूर संवेदी उपग्रह IRS-1A, IRS-2B, IRS-3C आदि प्रेक्षेपित किए है।
- सूक्ष्म तंरगे एवं रेडियो तरंगे निर्वात में अर्थात् बिना माध्यम के भी गमन कर सकती है।
- कल्पना चावला प्रथम भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री थी। इनका जन्म 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल में हुआ। इनकी मृत्यु स्पेस शटल कोलम्बिया के पृथ्वी पर लौटते समय 1 फरवरी 2003 को हुई।
कृत्रिम उपग्रह के उपयोग
- दूरसंचार के साधन जैसे टेलिफोन, मोबाइल, टेलीविजन, इंटरनेट आदि में यह पृथ्वी के किसी स्थान पर स्थित उपकरणों से तरंगे प्राप्त करता है और इन्हें पृथ्वी के अलग-अलग स्थानों पर भेजता है।
- इसकी सहायता से मौसम एवं भूगर्भ संबंधी सूचनाएँ एकत्र करके उनके बारे में विभिन्न उपयोगी जानकारी प्राप्त होती है।
- फसल के उत्पादन एवं क्षेत्रफल का आकलन करना।
- सूखा एवं बाढ़ की चेतावनी देना और उनसे होने वाली हानि ज्ञात करना।
- भूमिगत पानी की खोज करके जल संसाधन का प्रबंधन करना।
- भूगर्भ में स्थित खनिज संसाधन का पता लगाना।
- वनों का सर्वेक्षण करके पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों में सहायता करना।
- हवाई-अड्डों, बंदरगाहों तथा सैनिक ठिकानों की निगरानी रखना जिससे उनकी सुरक्षा के प्रबंध में आसानी हो।
- सैनिक गतिविधियों की जासूसी करना।
- अंतरिक्ष एवं वायुमण्डल में होने वाली घटनाओं की जानकारी प्राप्त करना।
- वायुयान, जहाज, व्यक्ति अथवा वस्तु के सही स्थान का पता लगाना।
भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम व प्रमुख उपग्रह (Indian Satellite in Hindi Language)
- 21 मई 2011 को कौरू अंतरिक्ष केन्द्र से जी सैट-8 का प्रक्षेपण किया गया।
- 2012 – इसरो ने सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से 26 अप्रैल 2012 को स्वदेशी रडार इमेजिंग सैटेलाइट का प्रेक्षेपण किया। यह हर तरह के मौसम में तस्वीरें लेने में सक्षम है, इसमें सी-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार लगा है। इसे पीएसएलवी 19 द्वारा प्रेक्षेपित किया गया।
- इसरो ने सतीश धवन अन्तरिक्ष केन्द्र से पीएसएलवी 21 राॅकेट द्वारा भारत ने दो विदेशी उपग्रह का प्रेक्षेपण किया यह भारत का 100वाँ प्रेक्षेपण था।
- भारत ने 29 सितम्बर 2012 को जीसैट-10 नामक सबसे भारी (3400 किग्रा.) उपग्रह का कौरू से एरियान-5 राॅकेट से प्रक्षेपण किया। यह दूरसंचार, डायरेक्ट टू होम और रेडियो नेविगेशन सेवाओं में वृद्धि में सहायक होगा। इसका प्रेक्षेपण इसरो का 101वाँ प्रेक्षेपण था।
- 24 सितम्बर 2014 को भारत ने स्वदेशी निर्मित मंगल यान MOM (Mars Orbiter Mission) को मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कराया। इससे भारत मंगल पर यान भेजने वाला विश्व का चैथा (यूरोपीय संघ, अमेरिका व रूस के बाद) देश बन गया है। इसमें भारत प्रथम प्रयास में ही सफल हुआ है।
- श्री हरिकोटा प्रेक्षेपण केन्द्र से 20-01-2016 को PSLV C-31 प्रेक्षेपण यान द्वारा IRNSS-1E नामक उपग्रह छोड़ा गया। यह India Regional Navigation Satellite System का पाँचवा उपग्रह है।
- ⇒श्री हरिकोटा प्रेक्षेपण केन्द्र से 10-03-2016 को PSLV C-32 प्रेक्षेपण यान द्वारा IRNSS-1F नामक उपग्रह छोड़ा गया। यह India Regional Navigation Satellite System का छठा उपग्रह है।
- श्री हरिकोटा प्रेक्षेपण केन्द्र से 28-04-2016 को PSLV C-33 प्रेक्षेपण यान द्वारा IRNSS-1G नामक उपग्रह छोड़ा गया। यह India Regional Navigation Satellite System का सातवाँ व अंतिम उपग्रह है।
- 22 जून 2016 को PSLV C-34 द्वारा इसरो ने एक साथ 20 उपग्रह श्री हरिकोटा से सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से सफल प्रेक्षेपित किये इसमें सबसे प्रमुख उपग्रह कार्टोसेट-2 है, यह शहरी व ग्रामीण इलाकों कें नक्शे बनाने तटवर्ती भूमि के नियम, भूमि सुधार व्यवस्था को मजबूत करने में सहायक होगा। इसके अतिरिक्त भारत के दो अन्य उपग्रह सत्यभामा सैट व स्वयं है।
- ISRO ने 28 अगस्त, 2016 को एयर ब्रीथिंग प्रणोदन प्रणाली का परीक्षण किया। लागत घटाने और पेलोड क्षमता बढ़ाने की कोशिश के तहत् श्री हरिकोटा से स्क्रैमजेट राॅकेट इंजन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। अपने पाँच सेकेंड के कामकाज के दौरान स्क्रैमजेट इंजन ने पूर्ण रूप से योजना के मुताबिक कार्य किया 300 सेकण्ड की उड़ान के बाद यह वाहन श्री हरिकोटा से 320 किमी. दूर बंगाल की खाड़ी में गिर गया।
- श्री हरिकोटा प्रेक्षेपण केन्द्र से सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से 08-09-2016 को GSLV-F 05 प्रेक्षेपणयान द्वारा INSAT-3DR नामक उपग्रह छोड़ा गया।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)
प्रसिद्ध वैज्ञानिक होमी जहाँगीर भाभा के नेतृत्व में 1962 में परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा इण्डियन नेशनल कमेटी फाॅर स्पेस रिसर्च का गठन किया गया। इसे 1969 में इसरो (ISRO, Indian Space Research Organisation) नाम से पुनर्गठित किया गया। भारत में कृत्रिम उपग्रहों का निर्माण, विकास तथा प्रेक्षेपण इसरो द्वारा ही किया जा रहा है। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को प्रारम्भ करने का श्रेय डाॅ. विक्रम अंबालाल साराभाई को है। इसरो का प्रमुख केन्द्र श्री हरिकोटा चैन्नई में है। अंतरिक्ष संबंधी अनुसंधान के लिए राष्ट्रीय केन्द्र अहमदाबाद की फिजिकल रिसर्च लेब है। तिरुवनन्तपुरम में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र है। राजस्थान के जोधपुर शहर में भी कृत्रिम उपग्रहों से प्राप्त चित्रों, सूचनाओं और आँकड़ों का अध्ययन करने के लिए दूर संवेदी केन्द्र स्थित है।
डाॅ. विक्रम अंबालाल साराभाई
⇒डाॅ. विक्रम अंबालाल साराभाई का जन्म 12 अगस्त 1919 को अहमदाबाद में हुआ। इन्होंने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारत को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई। इन्हें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान का जनक माना जाता है। इन्हें मरणोपरांत पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया।
डाॅ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
⇒डाॅ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ने एक वैज्ञानिक और इंजीनियर के तौर पर रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और इसरो की कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर कार्य किया। इन्हें मिसाइल मैन भी कहा जाता है।
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