हैल्लो दोस्तो ! आपने चुम्बक के बारे में तो सुना होगा। आपने बचपन में चुम्बक से बहुत सारे खेल भी खेले होंगें। तो दोस्तो आपने कभी ये सोचा है कि चुम्बक वास्तव में क्या है ? और चुम्बक कैसे कार्य करती है ? क्या चुम्बक के एक से अधिक प्रकार हो सकते है ? (Magnet in Hindi)
चुम्बक (Magnet)
ऐसे बहुत से प्रश्न है जो आपके दिमाग में आए होंगें। परन्तु आपको उनके बारे में जानकारी नहीं मिल पाई होगी। अगर आज भी इस बारे में सोचें, तो आपके मन में जिज्ञासा उत्पन्न होगी। कि वास्तव में यह एक जानने वाला विषय है। तो चलिए दोस्तों आज के आर्टिकल में हम चुम्बक (Magnet in Hindi) के बारे में चर्चा करेंगें। और विस्तार से चुम्बक (Magnet in Hindi) बारे में अध्ययन भी करेंगें। तो चलिए बढ़ते है। आज के आर्टिकल की ओर…
चुम्बक क्या है ? (Magnet in Hindi)
दोस्तो बचपन में हम किसी ऐसी वस्तु को चुम्बक मानते थे। जो किसी लोहे की वस्तु के साथ चिपक जाए। और एक चुम्बक – दूसरी चुम्बक को एक दूसरे से दूर धकेले। तो दोस्तों यह हमारा एक बाल ज्ञान था। जो पूर्ण नहीं था। तो चलिए आज में चुम्बक को विज्ञानिक रूप से समझते है। तो इसके लिए हम चुम्बक की वैज्ञानिक परिभाषा को समझेंगें।
चुम्बक की वैज्ञानिक परिभाषा (Magnet Definition in Hindi)
परिभाषा : ‘‘वे पदार्थ जिनको स्वतंत्रता पूर्वक लटकाने पर वे उत्तर-दक्षिण दिशा में ठहरते हो तथा लोह पदार्थों केा अपनी और आकर्षित करते हो, उन्हें चुम्बक (Magnet in Hindi) कहा जाता है।’’
तो दोस्तो यह थी चुम्बक की वैज्ञानिक परिभाषा। अब हम यह जानते है। कि कोई चुम्बक किसी वस्तु पर चुम्बकीय बल किस प्रकार से आरोपित करती है। या किस प्रकार से अपने चुम्बकीय प्रभाव को व्यक्त करती है।
चुम्बक का चुम्बकीय बल (Magnetic Force in Hindi)
दोस्तो चुम्बकीय की आकृति कैसी भी हो। परन्तु चुम्बक के दो सिरे होते है। एक उत्तरी सिरा और दूसरा दक्षिणी सिरा। चुम्बक के द्वारा इन दो सिरों की सहायता से यह दूसरी वस्तुओं पर बल आरोपित करती है। जिसे हम चुम्बक का आकर्षण बल या प्रतिकर्षण बल कहते है। जब किसी वस्तु को चुम्बक अपनी ओर आकर्षित करती है। तो उसे चुम्बक का आकर्षण बल कहते है। और जब चुम्बक दूसरी वस्तुओं को प्रतिकर्षित करती है। तो उसे चुम्बक का प्रतिकर्षण बल कहा जाता है।
चुम्बक के द्वारा समान ध्रुवों को हमेशा प्रतिकर्षित किया जाता है। और भिन्न-भिन्न ध्रुवों को हमेशा आकृर्षित किया जाता है। तो चलिए चुम्बकीय बल को एक उदाहरण से समझते है। और साथ ही ध्रुवों के आकर्षण और प्रतिकर्षण को भी अच्छे से समझते है।
चुम्बकीय बल का उदाहरण (Example)
उदाहरणत : हम तीन पेसिंल लेते है। और इन तीनों पेंसिल को एक क्रम में रखकर, इन पर एक चुम्बक का टुकड़ा रख देते है। और एक अन्य चुम्बक लेते है। जब हम पेंसिल पर रखी चुम्बक के उत्तरी सिरे के पास दूसरी चुम्बक का दक्षिणी सिरा ले जाते है। और दूसरी चुम्बक को ऐसी स्थिति में रखती है। कि दोनों चुम्बक एक दूसरे के साथ चिपके नहीं। तो दूसरी चुम्बक, पहली चुम्बक को अपनी ओर आकर्षित करती है। और इसके विपरित अगर दूसरी चुम्बक के उत्तरी सिरे को प्रथम चुम्बक के उत्तरी सिरे पर ले जाते है। तो उन दोनों के बीच में प्रतिकर्षिण उत्पन्न हो जाता है।
इस उदाहरण से हम चुम्बक के आकर्षण और प्रतिकर्षण बल को समझ सकते है। जो चुम्बकीय बल की भी व्याख्या करता है।
तो दोस्तो अब तक हमने चुम्बक क्या है ? और चुम्बकीय बल क्या है ? इसके बारे में उदाहरण से समज्ञा। तो चलिए अब हम चुम्बक के बारे में विस्तारित जानकारी को भी प्राप्त करते है।
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चुम्बक का प्रकृति के आधार पर वर्गीकरण
चुम्बक को उसकी प्रकृति के आधार पर दो भागों में विभाजित किया गया है। जो निम्न है:
- प्राकृतिक चुम्बक (Natural Magnets)
- कृत्रिम चुम्बक (Artificial Magnets)
तो सबसे पहले हम प्राकृतिक चुम्बक के बारे में जानेंगें। कि प्राकृतिक चुम्बक क्या होती है ?
प्राकृतिक चुम्बक (Natural Magnets)
दोस्तो लगभग 600 ई. पू. में ग्रीक दार्शनिक थेल्स ने पाया कि लोहे के एक प्राकृतिक अयस्क में लोहे के छोटे-छोटे टुकड़ों को अपनी ओर आकर्षित करने का गुण पाया जाता है। यह अयस्क ग्रीस में एशिया माइनर के मैग्नीशिया नामक स्थान में पाया जाता है। इस आधार पर इस अयस्क का नाम मैग्नेटाइट रखा गया है।
चीन में इस पत्थर का उपयोग नाविकों द्वारा अपने जहाजों को सही दिशा में गति करने में किया गया। क्योंकि यह प्राकृतिक चुम्बक स्वतन्त्रतापूर्वक लटकाने पर उत्तर-दक्षिण दिशा में ठहरता है। इसीलिए मैग्नेटाइट को दिक्सूचक पत्थर भी कहते है। इस प्राकृतिक चुम्बक की संरचना थ्म3व्4 है।
ये प्राकृतिक चुम्बक अनियमित आकृति के दुर्बल चुम्बक होते है, अतः इनका प्रायोगिक, वैज्ञानिक कार्यों में उपयोग नहीं किया जाता है।
दोस्तो अब अपने चर्चा करेंगें कृत्रिम चुम्बक के बारे में। कि कृत्रिम चुम्बक क्या होती है ?
कृत्रिम चुम्बक (Artificial Magnets)
दोस्तो जब लोहे या इस्पात के टुकड़े को चुम्बक से रगड़ा जाये तो उसमें चुम्बकत्व का गुण आ जाता है। इस प्रकार लोहे, मिश्र धातुएँ, कोबाल्ट, टंगस्टन से बनाये गये चुम्बक कृत्रिम चुम्बक कहलाते हैं। कृत्रिम चुम्बक पर्याप्त शक्तिशाली एवं मनवांछित आकृति का बनाया जा सकता है। जैसे-छड़ चुम्बक, नाल चुम्बक, सुई चुम्बक तथा वलय चुम्बक।
तो दोस्तो कृत्रिम चुम्बक को भी अन्य दो भागों में बाँटा गया है। तो चलिए जानते है। कि कृत्रिम चुम्बक के कौन-कौनसे प्रकार है ?
कृत्रिम चुम्बक के प्रकार
- स्थायी चुम्बक (Permanent Magnet)
- अस्थायी चुम्बक (Temporary Magnet)
स्थायी चुम्बक (Permanent Magnet)
दोस्तो जैसा कि नाम से ही विधित होता है। कि यह एक प्रकार की स्थायी चुम्बक होती है। जो अनिश्चित काल तक चुम्बकत्व प्रदर्शित करती है। और इनका चुम्बकत्व आसानी से नष्ट नहीं किया जा सकता है। तो इसलिए इन्हें स्थायी चुम्बक कहा जाता है।
ये चुम्बक कठोर स्टील, कोबाल्ट स्टील, टंगस्टन, मिश्र धातु जैसे ऐलनिको या अन्य किसी लौहचुम्बकीय पदार्थ के बने होते है। इनके चुम्बकत्व को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।
अस्थायी चुम्बक (Temporary Magnet)
दोस्तो इस चुम्बक का गुण भी इसके नाम से ही विधित होता है। यह चुम्बक तब तक चुम्बकित रहते हैं जब तक चुम्बककारी बल उपस्थित रहता है। यहाँ चुम्बककारी बल से तात्पर्य है कि चुम्बक के चुम्बकत्व को बनाये रखने वाले कारक से है। यदि इस कारक को हटा दिया जाए। तो चुम्बक का चुम्बकत्व समाप्त हो जाता है। और चुम्बक अपने चुम्बकीय गुण को समाप्त कर देते है। इसलिए इन चुम्बक को इच्छित आकार तथा इच्छित प्रबलता का बनाया जा सकता है। अधिकांशत इनका उपयोग जनित्र, मोटर, विद्युत घंटी आदि में किया जाता है।
तो दोस्तों अब हम बात करते है कि एक चुम्बक हमारे लिए किन-किन क्षेत्रों में उपयोग है। तो चलिए जानते है कि चुम्बक के उपयोग क्या है ?
चुम्बक के प्रमुख उपयोग (Properties of Magnets)
कम्प्यूटर युक्तियों में
- दोस्तो हम अपने कम्प्युटर में जिस फ्लाॅपी डिस्क का उपयोग पहले के समय में करते थे। उसमें चुम्बक का उपयोग डेटा स्टोर करने के लिए किया जाता है। और आज भी हार्ड डिस्क और ऑडियो टेप आदि में भी डेटा को स्टोर करने के लिए चुम्बक का उपयोग किया जाता है।
- आप जिन क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, एटीएम कार्ड का उपयोग अपने दैनिक जीवन में करते है। क्या आप इन्हें कभी ध्यान से देखा है। इन पर एक चुम्कीय पट्टी लगी रहती है। जिस पर कुछ आकंड़े और सूचनाएँ दी गई होती है।
- चुम्बक का उपयोग हमारे पुराने जमाने के टीवी और कम्प्यूटर के माॅनिटर में भी किया जाता था।
दैनिक विद्युत युक्तियों में - आज कल भी लाउडस्पीकर और माइक्रोफोन में पहले की तरह ही चुम्बक का उपयोग किया जाता है।
- दोस्तो अगर हम अपने दैनिक जीवन के कुछ ओर उदाहरण ले तो घर में उपयोग होने वाली विद्युत मोटर और विद्युत जनित्र जिसे हम आम भाषा में इन्र्वटर कहते है, में भी चुम्बक का उपयोग किया जाता है।
दिशा सूचक यंत्र कम्पास में
- इसी के साथ चुम्बक का उपयोग दिक्सूचक के रूप में भी किया जाता है। आपने टी.वी. में बहुत सारी फिल्मस देखी होगीं। जिनमें राहगिर के द्वारा अपने साथ में एक कम्पास का उपयोग दिशा को जानने के लिए किया जाता है। उसमें चुम्बक का ही उपयोग होता है। अपने इसे अपने दैनिक जीवन में भी उपयोग में लाया होगा।
जैसा कि आपको हमने पहले बताया कि चुम्बक को जब स्वतंत्रतापूर्वक लटकाते है। तो इसका उत्तरी ध्रुव उत्तरी की दिशा को दर्शाता है। और दक्षिणी ध्रुव दक्षिण की दिशा को दर्शाता है। इस प्रकार कम्पास में चुम्बक लगी रहती है। जिसके कारण राहगीर सही दिशा का अनुमान लगा सकते है।
खिलौनों में
- दोस्तो चुम्बक का उपयोग बहुत से खिलौने बनाने में भी किया जाता है। जिनसे रिमोट कार सबसे ज्यादा प्रचलित है।
चुम्बक के अन्य उपयोग
- किसी प्रकार के अवांछनिय तत्वों में से चुम्बकीय पदार्थों को अलग करने के लिए चुम्बक का उपयोग किया जाता है।
- आज कल चुम्बकीय बेयरिंग भी काफी प्रचलित हुए है। जिनका उपयोग करने से शाफ्ट बिना किसी चीज के स्पर्श किये हुए घूमता रहता है। और इसका फायदा यह रहता है। कि न तो ऊर्जा का व्यय होता है। और न ही यंत्रों की क्षति होती है।
- आपने किन्ही चुम्बकीय क्रेनों को तो देखा ही होगा। अकसर कल-कारखानों में चुम्बकीय क्रेनों का उपयोग भारी कन्टेनरस को उठाने में किया जाता है।
- चुम्बक का उपयोग लोहचुम्बकीय अयस्क या पदार्थों के पृथक्करण में भी किया जाता है।
तो दोस्तों इस प्रकार चुम्बक के बहुत सारे उपयोग है।
आज के इस आर्टिकल में हमने चुम्बक (Magnet in Hindi) के बारे में जानकारी प्राप्त की और चुम्बक के विभिन्न प्रकार और उपयोग को समझा। मुझे आशा है कि आपको यह आर्टिकल जरूर पसंद आया होगा। अगर आपको आर्टिकल पसंद आया तो इसे अपने दोस्तो के साथ शेयर करें। और बेहतरीन जानकारी के लिए हमारे साथ बने रहें।
धन्यवाद !
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