हेल्लो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम मेंडल के नियमों (Mendel law in Hindi) को जानेंगे . जिसमें हम मेंडल के द्वारा किये गए experiments और नियमों का अध्ययन विस्तार से करेंगें .
मेण्डल के वंशागति के नियम (Mendel law in Hindi)
मेंडल के नियम (Mendel law in Hindi)
मेण्डल ने मटर पर किए संकरण प्रयोगों के निष्कर्षों के आधार पर कुछ सिद्धांतों का प्रतिपादन किया जिन्हें मेण्डल के आनुवंशिकता के नियम कहा जाता है। इन्हें मेण्डलवाद के नाम से जाना जाता है। आनुवंशिकता के क्षेत्र में इन सिद्धान्तों के प्रतिपादन करने के लिए ही मेण्डल को आनुवंशिकी का जनक कहा जाता है। ये निम्न है –
- प्रभाविता का नियम
- पृथक्करण का नियम/विसंयोजन का नियम/युग्मकों की शुद्धता का नियम
- स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम
प्रभाविता का नियम (Law of Dominance)
जब मेंडल ने विपर्यासी अर्थात् भिन्न-भिन्न लक्षणों वाले समयुग्मजी पादपों में जब संकर संकरण करवाया तो इस क्राॅस में मेण्डल ने एक ही लक्षण प्रदर्शित करने वाले पादपों का ही अध्ययन किया। तो उसने पाया कि एक प्रभावी लक्षण अपने आप को अभिव्यक्त करता है और एक अप्रभावी लक्षण अपने आप को छिपा लेता है। इसी को प्रभाविता कहा गया है। और इस नियम को मेण्डल का प्रभाविता का नियम कहा जाता है।
पृथक्करण का नियम या विसंयोजन का नियम या युग्मकों की शुद्धता का नियम (Law of Segregation or Law of Purity of Gametes)
युग्मक निर्माण के समय दोनों युग्म विकल्पी अलग हो जाते हैं अर्थात् एक युग्मक में सिर्फ एक विकल्पी जाता है। इसीलिए इसे पृथक्करण का नियम कहते है। युग्मक किसी भी लक्षण के लिए शुद्ध होते है।
जैसे – TT से T प्रकार के युग्मक, Tt से T व t प्रकार के युग्मक प्राप्त होते हैं।
- F2 पीढ़ी का लक्षण प्रारूप अनुपात (Phenotypic Ratio) 3: 1 तथा जीन प्रारूप अनुपात (Genotypic Ratio) 1: 2: 1 होता है।
संकरपूर्वज संकरण (Back Cross)
F1 पीढ़ी के पौधों ( Tt) का संकरण किसी भी एक जनक से कराना संकरपूर्वज संकरण कहलाता है।
- प्रभावी जनक के साथ संकरण पर इसका लक्षण प्ररूप अनुपता 100% लम्बे पौधे तथा जीन प्ररूप अनुपात 1: 1 रहता है।
- अप्रभावी जनक के साथ संकरण पर इसका लक्षण प्ररूप अनुपात 50% (50% लंबे व 50% बौने पौधे) रहता है तथा जीन प्रारूप 1: 1 रहता है।
- 50% – (लंबे पौधे)
- 50% – (बौने पौधे)
परीक्षण या परीक्षार्थ संकरण (Test Cross)
अज्ञात जीनोटाइप वाली F1 पीढ़ी का संकरण अप्रभावी जनक से करना परीक्षण संकरण कहलाता है।
- अगर F1 पीढ़ी का जीनोटाइप TT है तो इस संकरण से सभी लम्बे पौधे प्राप्त होते हैं = 100% लम्बे
- अगर F1 पीढ़ी का जीनोटाइप Tt है तो 50% लम्बे व 50% बौने पौधे प्राप्त होते है।

परीक्षण संकरण से यह पता लगाया जा सकता है कि F1 पीढ़ी का प्रभावी फीनोटाइप शुद्ध (TT) है या संकर (tt)।
स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम (Law of Independent Assortment)
यह नियम द्विसंकर संकरण के परिणामों पर आधारित है। इस नियम के अनुसार ‘‘किसी द्विसंकर संकरण में एक लक्षण की वंशागति दूसरे लक्षण की वंशागति से पूर्णतः स्वतंत्र होती है। अर्थात् एक लक्षण के युग्मविकल्पी दूसरे लक्षण के युग्मविकल्पी से युग्मक निर्माण के समय स्वतंत्र रूप से पृथक व पुनव्र्यवस्थित होते हैं।’’
इसमें लक्षण प्ररूप अनुपात 9 : 3 : 3 : 1 होता है।
अर्थात् जनकों के लक्षण प्ररूप के अतिरिक्त नये लक्षण प्ररूप बनते हैं। स्पष्ट है पीला रंग गोलाकार बीजों के साथ ही नहीं अपितु झुर्रीदार बीजों के साथ भी आ सकता है।
इसमें जीन प्ररूप अनुपात 1 : 2 : 2 : 4 : 1 : 2 : 1 : 2 : 1 होता है।
मेंडल के नियमों (Mendel law in Hindi) से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्न
1. मेण्डल का पूरा नाम (Mendel’s Full Name) क्या है ?
उत्तर: ग्रेगर जाॅन मेंण्डल (Gregor John Mendel)
2. मेण्डल द्वारा प्रतिपादित नियमों का नाम लिखिए ।
उत्तर:
- प्रभाविता का नियम
- पृथक्करण का नियम या युग्मकों की शुद्धता का नियम
- स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम
3. परीक्षण संकरण (Test Cross) किसे कहते है ?
उत्तर: F1 पीढ़ी का अज्ञात जीनोटाइप जानने के लिए F1 पीढ़ी का अप्रभावी जनक से संकरण, परीक्षण संकरण कहलाता है।
4. अनुवंशिक लक्षणों का एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में संचरण क्या कहलाता है ?
उत्तर: वंशागति
5. प्रभावी लक्षण किसे कहते है ?
उत्तर: वह लक्षण जो पीढ़ी में अभिव्यक्त हो जाता है, प्रभावी लक्षण कहलाता है।
6. आनुवांशिकी का जनक किसे कहा जाता है ?
उत्तर: ग्रेगर जाॅन मेण्डल को।
7. मेण्डल ने अपने प्रयोग किस पौधे पर किए ?
उत्तर: मटर
8. मेण्डल के किस नियम को एक संकर संकरण से नहीं समझाया जा सकता है ?
उत्तर: मेण्डल द्वारा प्रतिपादित स्वतंत्र अपव्यूहन नियम को एक संकर संकरण से समझाया नहीं जा सकता।
Difference Between Phenotype & Genotyple
9. लक्षण प्ररूप व जीन प्ररूप में अंतर क्या है ?
उत्तर :
No. | लक्षण प्ररूप (Phenotype) | जीन प्ररूप (Genotype) |
1. | किसी जीव की बाह्य प्रतीति या प्रेक्षणीय अभिव्यक्ति है। | किसी जीव का आनुवंशिक संघटन जीनोटाइप कहलाता है। |
2. | लक्षण प्ररूप समय व पर्यावरण के अनुसार बदल सकता है। जैसे – शिशु, किशोर, युवा वृद्ध। | किसी जीव के पूरे जीवन काल में जीनोटाइप समान रहता है। |
3. | समान लक्षण प्ररूप वाले जीवों का जीनोटाइप निम्न हो सकता है जैसे-लाल पुष्प वाले पौधों का जीनोटाइप Rr व RR हो सकता है। | समान जीनोटाइप के जीव किसी दिये समय व पर्यावरण में समान फीनोटाइप प्रदर्शित करेंगें। |
4. | समान जीनोटाइप के जीव किसी दिये समय व पर्यावरण में समान फीनोटाइप प्रदर्शित करेंगें। | लक्षण प्ररूप को प्रत्यक्ष अवलोकन से जाना जा सकता है। इसका प्रत्यक्ष अध्ययन नहीं किया जा सकता। इसे पूर्वजों व संतति के संकरण से जाना जाता है। |
10. मेण्डल किस देश के निवासी थे ?
उत्तर: ऑट्रिया
11. मेण्डल के कारकों को जोहानसन ने क्या नाम दिया ?
उत्तर: जीन
12. उद्यान मटर का वानस्पति नाम क्या है ?
उत्तर: पाइसम सैटाइवम
13. जीन को परिभाषित कीजिए-
उत्तर: मेण्डल ने जिन वंशागति की इकाइयों को कारक कहा उन्हें आज जीन कहा जाता है। जीन वंशागति की इकाई है जो किसी लक्षण का नियंत्रण करती है।
14. सुजननिकी का क्या अर्थ है ?
उत्तर: मानव जाति के आनुवंशिक सुधार व आनुवंशिक रोगों से बचाव से संबंधित विज्ञान की शाखा सुजननिकी कहलाती है।
15. जीन विनिमय किस प्रकार के जनन की विशेषता है ?
उत्तर: लैंगिक जनन में ही जीन विनिमय होता है।
16. मेंण्डलवाद की पुनर्खोजकर्ता के नाम क्या है ?
उत्तर:
- ह्यूगो डी व्रीज
- कार्ल कोरेन्स
- एरिक शेरमाॅक
Difference Between Homozygous & Hetrozygous
17. समयुग्मजी व विषमयुग्मजी में क्या अन्तर है ?
उत्तर:
No. | समयुग्मजी (Homozygous) | विषमयुग्मजी (Hetrozygous) |
1. | यह किसी लक्षण के लिए शुद्ध होते है | विषमयुग्मजी किसी लक्षण के लिए शुद्ध नहीं होते, अर्थात् संकर होते है। |
2. | इनके युग्म विकल्पी समान(अलील) होते है। जैसे TT, tt | इनके अलील असमान होते है। जैसे Tt |
3. | यह केवल एक प्रकार के युग्मक बनाते है। | एक जीन की वंशागति में दो प्रकार के युग्मक बनते है। |
4. | अतिरिक्त ओज का अभाव होता है। | विषमयुम्मजी जीवों में संकर ओज पाया जाता है। |
तो दोस्तों आपको मेंडल के नियमों(Mendel law in Hindi) के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त हो गयी होगी . अगर जानकारी पसंद आई तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमारे साथ जुड़े रहे .
धन्यवाद !
अन्य पाठ्य सामग्री :
Electric Field | Electric Field intensity | Coulomb’s Law | Lesson-1 | Class 12th
Trigonometry Table | Trigonometric Formula Ratio and angle | Acute
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