उत्परिवर्तन – Mutation in Hindi

Mutation in Hindi

दोस्तों आज हम उत्परिवर्तन के बारे में विस्तार से चर्चा करने वाले है। जिसमें हम जानेंऐं कि उत्परिवर्तन (Mutation in Hindi) क्या है, इसके कितने प्रकार है तथा इसके अभिलक्षण और अनुप्रयोग कौन-कौनसे है ? इन सभी के बारे में जानने वाले है। तो दोस्तों चलिए बढ़ते है आज के आर्टिकल की ओर।

उत्परिवर्तन (Mutation in Hindi)

उत्परिवर्तन - Mutation in Hindi
उत्परिवर्तन – Mutation in Hindi

दोस्तों सर्वप्रथम ह्यूगो डि ब्रिज ने उत्परिवर्तन को परिभाषित किया। जिसे उत्परिवर्तनवाद नाम दिया गया है। डी ब्रिज के अनुसार किसी जीव के किसी लक्षण में आकस्मिक एवं वंशागत (heritable) परिवर्तन को उत्परिवर्तन (Mutation in Hindi) कहते हैं। उत्परिवर्तन यों तो प्रकृति में अपने आप होते रहते हैं, लेकिन कुछ कारकों द्वारा बहुत उच्च आवृत्ति में उत्परिवर्तन प्रेरित किया जाता है। इस आधार पर उत्परिवर्तन को निम्नलिखित दो श्रेणियों में बाँटा जाता है। यथा –

  • स्वतः उत्परिवर्तन (Spontaneous Mutation)
  • प्रेरित उत्परिवर्तन (Induced Mutation)

स्वतः उत्परिवर्तन (Spontaneous Mutation)

जैसा कि नाम से ही प्रतित होता है: स्वतः उत्परिवर्तन = ‘‘बिना किन्ही बाहृय कारकों द्वारा, अपने आप घटित परिवर्तन’’। अतः जो उत्परिवर्तन प्रकृति में प्राकृतिक कारणों द्वारा स्वतः उत्पन्न होता रहता है, उसे स्वतः उत्परिवर्तन की संज्ञा प्रदान की जाती है। इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं-

  1. DNA प्रतिकृति (Replication) के दौरान डीएनए पाॅलीमरेस द्वारा त्रुटि
  2. DNA क्षारकों का स्वतः विमेथिलीकरण
  3. परिवर्तनशील अवयवों की सक्रियता तथा
  4. सौर विकरणों एवं वातावरण में उपस्थित रासायनिक प्रदूषकों द्वारा भी स्वतः उत्परिवर्तन होता है।

प्रेरित उत्परिवर्तन (Induced Mutation)

जैसा कि नाम से ही प्रतित होता है: प्रेरित उत्परिवर्तन = बाहृय कारकों के द्वारा उत्पन्न परिवर्तन। जब उत्परिवर्तन किसी भौतिक या रासायनिक कारक से उपचार करने पर उत्पन्न होते हैं, तो उन्हें प्रेरित उत्परिवर्तन कहते हैं। जो कारक उत्परिवर्तन प्रेरण करते हैं, उन्हें उत्परिवर्तनजन (Mutagen) कहा जाता है। ये दो प्रकार के होते हैं। यथा-

  1. भौतिक कारक
  2. रासायनिक कारक

भौतिक कारक: जैसे x-किरण (x-rays), गामा-किरण \gamma -rays) तीव्र एवं तापीय न्यूट्रान तथा पराबैंगनी किरणें (ultroviolet rays) आदि।

रासायनिक कारक: हाइड्राॅक्सिलैनीन नाइट्रस अम्ल, सोडियम एजाइड, एथिलमिथेन सल्फोनेट तथा नाइट्रोजन मस्टर्ड आदि।

उपरोक्त दोनो प्रकार के उत्परिवर्तनों की उत्पत्ति का कारण वास्तव में ‘जीन संरचना’ अर्थात् संबंधित DNA अणु के क्षारक क्रम में परिवर्तन होता है।

जीन स्तर के उत्परिवर्तन (Mutation of Gene Level)

DNA अणु के संकेत सूचनावाहक जीनों में उत्परिवर्तनों से इन जीनों के नियन्त्रण में संश्लेषित होने वाली प्रोटीन्स में एमीनों अम्लों के अनुक्रम बदल जाते हैं और आनुवंशिक लक्षणों के दृश्यरूप प्रभावित हो सकते है। जीन स्तर के इन उत्परिवर्तनों की निम्नलिखित श्रेणियाँ होती हैं-

1. मूक जीनी उत्पविर्तन (Silent Genic Mutations)

इनमें जीन के किसी त्रिगुणी संकेत (triplet code) में तीसरे स्थान के न्यूक्लिओटाइड के बदलने से कोड तो बदल जाता है, परन्तु नए कोड में पुराने कोड के ही ऐमीनो अम्ल की संकेत सूचना होती है। अतः परिणामी (resultant) पोलीपेप्टाइड शृंखला पर ऐसे उत्परिवर्तन का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। उदाहरणार्थ, mRNA अणु के CUU कोडोन का जीनी कोड CUA कोडोन के जीनी कोड में बदल सकता है, परन्तु दोनों ही में ऐमीनो अम्ल ल्यूसीन की संकेत सूचना होती है।

2. लुप्तबोध उत्परिवर्तन (Missense Mutations)

इनमें जीन के किसी त्रिगुणी संकेत में पहले, दूसरे या कभी-कभी तीसरे स्थान के न्यूक्लिओटाइड के बदले जाने से किसी दूसरे ऐमीनो अम्ल की सूचना का कोड बन जाता है। यदि परिणामी पोलीपेप्टाइड शृंखला में इस नए ऐमीनो अम्ल का स्थान महत्त्वपूर्ण नहीं होता तो प्रोटीन की उपापचयी भूमिका पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता, अन्यथा प्रोटीन त्रुटिपूर्ण हो जाती है और इससे संबंधित दृश्यरूप लक्षण में विकृति हो जाती है। इसकी एक उत्कृष्ट उदाहरण मनुष्यों के sickle-cell anemia नामक रोग से मिलती है।

3. निषेधबोध उत्परिवर्तन (Nonsense Mutations)

इसमें जीन के किसी त्रिगुणी कोड में एक न्यूक्लिओटाइड ऐसे बदल जाता है कि मूल कोड में एक न्यूक्लिओटाइड ऐसे बदल जाता है कि मूल कोड mRNA अणु के समापन कोडोन (termination codon-UGA, UAA or UAG) का कोड बन जाता है। अतः परिणामी पोलीपेप्टाइड शृंखला अधूरी रह जाती है और इससे संबंधित लक्षण पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।

4. योजना-विस्थापन उत्परिवर्तन (Frameshift Mutations)

इसमें जीन के किसी स्थान पर से एक दो या अधिक (तीन या तीन के गुणकों में नहीं) न्यूक्लिओटाइड अणु हट जाते या नए न्यूक्लिओटाइड अणु जुड़ जाते है। अतः इस स्थान से आगे त्रिगुणी संकेतों का अनुक्रम पूरा बदल जाता है। इसके फलस्वरूप परिणामी प्रोटीन बिल्कुल भिन्न प्रकार की होती है और इससे संबंधित दृश्यरूप लक्षण विकृत हो जाता है।

उत्परिवर्तनों के अभिलक्षण (Characteristics of Mutation)

अब तक ज्ञात तथ्यों से यह स्पष्ट होता है कि स्वतः एवं प्रेरित उत्परिवर्तनों की प्रकृति में कोई अन्तर नहीं होता है। उत्परिवर्तनों के कुछ मुख्य अभिलक्षण नीचे दिये गए हैं।

  1. अधिकांश उत्परिवर्ती विकल्पी (Mutant alleles) अप्र्रभावी (recessive) होते हैं।
  2. किसी जीन विशेष में उत्परिवर्तन होना या न होना मात्र संयोग पर निर्भर होता है।
  3. अधिकांश उत्परिवर्तन हानिकारक प्रभाव वाले होते हैं। लगभग 0.1 प्रतिशत उत्परिवर्तन लाभदायक होते हैं।
  4. प्रकृति में स्वतः उत्परिवर्तन होते रहते है। किसी जीन के लिए स्वतः उत्परिवर्तन दर साधारणतया 10-4 से 10-7 (दस हजार में एक से एक करोड़ तक) हो सकती है।
  5. विभिन्न जीनों की स्वतः उत्परिवर्तन दर भिन्न होती है।
  6. कोशिका विभाजन की कुछ अवस्थाओं, जैसे S-अवस्था (DNA Synthesis) में उत्परिवर्तनों द्वारा उपचारित करने पर प्रेरित उत्परिवर्तन दर अपेक्षाकृत अधिक होती है।
  7. अधिकांश प्रेरित उत्परिवर्तन बहुप्रभावी होते हैं।

उत्परिवर्तन के अनुप्रयोग (Application of Mutation)

  1. अधिक विविधता (variation) उत्पन्न करने में उत्परिवर्तन का प्रयोग किया जाता है। परन्तु ध्यान रहे कि उत्परिवर्तन जननद्रव्य संग्रहों का विकल्प नहीं है।
  2. उत्परिवर्तन प्रजन्न द्वारा उपज सहित विभिन्न मात्रात्मक लक्षणों में सुधार किया जा सकता है।
  3. किसी उत्कृष्ट एवं अनुकूलित किस्म के किसी एक जीवी लक्षण (Oligogenic Trait) में सुधार के लिए।
  4. अवांछनीय सहलग्न जीनों को इस विधि द्वारा हटाया जा सकता है।
  5. जंगली स्पेशीज से वंछित जीनों का फसलों में स्थानान्तरण किया जा सकता है।

परीक्षापयोगी प्रश्न-उत्तर (Mutation in Hindi)

प्रश्न 1: Mutant (उत्परिवर्ती) किसे कहते है ?
उत्तर: जिस सदस्य में उत्परिवर्तित लक्षण सबसे पहले प्रदर्शित होता है, उसे उत्परिवर्ती (Mutant) कहते है।


प्रश्न 2: उत्परिवर्तन का जनक कौन है ?
उत्तर: ह्यूगो डि ब्रीज (1900)


प्रश्न 3: एक्स किरणों द्वारा सर्वप्रथम ड्रोमोफिया मक्खी में उत्परिवर्तन किसने पैदा किया था ?
उत्तर: H.J. मुलर (1927)


प्रश्न 4: मुलर को 1946 में नोबेल पुरस्कार किसलिए मिला था ?
उत्तर: x-किरण द्वारा उत्परिवर्तन


प्रश्न 5: मस्टर्ड गैस तथा अन्य कई रसायनों के उत्परिवर्तनजनी (Mutagenic) गुणों की खोज किसने किया था ?
उत्तर: आरबैक एवं राब्सन


प्रश्न 6: प्रकृति में नयी स्पेशीज उत्पन्न करने वाले कारणों में से एक कारण है ?
उत्तर: उत्परिवर्तन


प्रश्न 7: किसी जीव में उपस्थित आनुवंशिक विविधता का मूलस्रोत है ?
उत्तर: उत्परिवर्तन एवं पुनर्योजन

तो दोस्तो हमने उत्परिवर्तन (Mutation in Hindi) के बारे में आज पूरी जानकारी प्राप्त की। मुझे आशा है कि आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगी होगी। अगर आपका कोई प्रश्न है तो आप काॅमेन्ट बाॅक्स में पूछ सकते है। और इसी प्रकार की बेहतरीन जानकारी के लिए हमारे साथ बने रहें।

धन्यवाद !

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