P-N Junction Diode – P-N संधि डायोड | Physics | Notes | Class 11th & Class 12th

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Hello friends, in this article today, we are going to get information about P-N Junction Diode. In which today we get information about the following points :

  • P-N संधि डायोड
  • P-N संधि निर्माण की प्रक्रिया
  • नैज अर्द्धचालक की प्रतिरोधकता व चालकता का सूत्र
  • P-N संधि का बायसीकरण
  • P-N संधि डायोड के अभिलाक्षणिक वक्र
  • P-N संधि के अनुप्रयोग

P-N संधि डायोड (P-N Junction Diode in Hindi)

यदि किसी नैज अर्द्धचालक के दोनों सिरों पर P-प्रकार की तथा N-प्रकार की अशुद्धि वाष्प के द्वारा डाॅप कर दी जाए तो P-N संधि का निर्माण होता है। जो धारा नियंत्रक का कार्य करती है। इसे P-N संधि डायोड भी कहते है।

pn junction diode
P-N Junction Diode

P-N संधि निर्माण की प्रक्रिया

डाॅपिंग के दौरान P-भाग में बहुसंख्यक आवेश वाहक हाॅल तथा N-भाग में बहुसंख्यक आवेश वाहक इलेक्ट्राॅन होते है।

इलेक्ट्राॅनों की सान्द्रता प्रति घन मीटर होलों से अधिक होने के कारण विसरण की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है। जिसके परिणाम स्वरूप N-भाग के इलेक्ट्राॅन P-भाग में तथा P-भाग के हाॅल N-भाग में प्रवेश कर जाते हैं।

संधि तल के लगभग मध्य भाग में दोनों भागों केे अल्पसंख्यक आवेश वाहक पुर्नसंयोजित होकर एक परत बना लेते हैं। इस परत में मुक्त आवेश वाहकों की कमी होने के कारण इसे अवक्षय परत कहा जाता है। इस अवक्षय परत के अन्दर विद्युत क्षेत्र उत्पन्न होने के कारण परत के दोनों सिरों के मध्य एक विभवान्तर उत्पन्न हो जाता है, जिसे अवरोधी विभव (Vo) कहते है।

E=\frac { { V }_{ o } }{ d }

विसरण धारा की दिशा P से N होगी।

विशेष: अवक्षय परत के सिरों के मध्य का विभवान्त वाॅल्ट मीटर से नहीं मापा जा सकता है क्योंकि यह विद्युत क्षेत्र के कारण उत्पन्न होता है।

{ V }_{ o }=\left( \frac { KT }{ e } \right) ln\left( \frac { { n }_{ i }^{ 2 } }{ { N }_{ A }.{ N }_{ D } } \right)

नैज अर्द्धचालक की प्रतिरोधकता व चालकता का सूत्र

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नैज अर्द्धचालक में संयोजी होल तथा चालन इलेक्ट्राॅनों की संख्या बराबर होती है। जिस कारण इस अर्द्धचालक में से प्रवाहित होने वाली धारा में दोनों का बराबर योगदान होता है अर्थात्

I={ I }_{ e }+{ I }_{ h }

I=nAq{ V }_{ e }+nAq{ V }_{ h }

I=nAq\left( { V }_{ e }+{ V }_{ h } \right)

\because { V }_{ e }\alpha E

{ V }_{ e }={ \mu }_{ e }E{ V }_{ h }={ \mu }_{ h }E

जहाँ { V }_{ e }={ \mu }_{ e }E{ V }_{ h }={ \mu }_{ h }E इलेक्ट्रॉनों तथा होलो की गतिशिलताएँ है l

I=nAqE\left( { \mu }_{ e }+{ \mu }_{ h } \right)

\frac { V }{ R } =nAq\frac { V }{ l } \left( { \mu }_{ e }+{ \mu }_{ h } \right)

\frac { A }{ \rho l } =nA\frac { q }{ l } \left( { \mu }_{ e }+{ \mu }_{ h } \right)

\frac { 1 }{ \rho } =\sigma =nq\left( { \mu }_{ e }+{ \mu }_{ h } \right)

\rho =\frac { 1 }{ nq\left( { \mu }_{ e }+{ \mu }_{ h } \right) }

P-N संधि का बायसीकरण

P-N संधि के साथ बैटरी को संयोजित करना बायसीकरण कहलाता हैं। यह दो प्रकार से हो सकता हैं।

अग्रबायस

P-N संधि डायोड का अग्रबायस
P-N संधि डायोड का अग्रबायस

यदि P-N संधि के P भाग को बैटरी के धनात्मक तथा N-भाग को बैटरी के ऋणात्मक टर्मिनल से संयोजित कर दिया जाए तो इसे P-N संधि का अग्रबायस कहते हैं।

अग्रबायसीत अवस्था में आरोपित किया गया विद्युत क्षेत्र अवक्षय परत के विधुत क्षेत्र की विपरित दिशा में होता है। जिस कारण अवक्षय परत की चौड़ाई घट जाती हैं।

पश्चबायस

P-N संधि डायोड का पश्चबायस
P-N संधि डायोड का पश्चबायस

यदि P-N संधि के P-भाग को बैटरी के ऋणात्मक टर्मिनल तथा N-भाग को बैटरी के धनात्मक टर्मिनल से जोड़ दिया जाए तो इसे P-N संधि का पश्चबायस कहते हैं।

पश्चबायसीत अवस्था में आरोपित विधुत क्षेत्र की दिशा अवक्षय परत के विधुत क्षेत्र की दिशा में होती हैं। जिस कारण अवक्षय परत की चौड़ाई बढ़ जाती है। जिस कारण पश्चबायसीत अवस्था में डायोड में से प्रवाहित होने वाली धारा लगभग शून्य रहती है तथा डायोड का पश्च प्रतिरोध अनन्त होता हैं।

P-N संधि डायोड के अभिलाक्षणिक वक्र

P-N संधि डायोड के लिए वाॅल्टता तथा धारा के मध्य बनने वाली ग्राफ अभिलाक्षणिक वक्र कहलाते हैं। यह दो प्रकार के होते हैं :

  • अग्रअभिलाक्षणिक वक्र
  • पश्च अभिलाक्षणिक वक्र

अग्रअभिलाक्षणिक वक्र

P-N संधि डायोड का अग्रअभिलाक्षणिक वक्र
P-N संधि डायोड का अग्रअभिलाक्षणिक वक्र

अग्र अभिलाक्षणिक

अग्र वोल्टता – अग्र धारा

P-N संधि डायोड का अग्रअभिलाक्षणिक
P-N संधि डायोड का अग्रअभिलाक्षणिक

अग्र वाॅल्टता तथा अग्र धारा का अनुपात डायोेड का अग्र प्रतिरोध कहलाता है।

{ R }_{ f }=\frac { \triangle V }{ \triangle I }

पश्च अभिलाक्षणिक वक्र

P-N संधि डायोड का पश्च अभिलाक्षणिक वक्र
P-N संधि डायोड का पश्च अभिलाक्षणिक वक्र

पश्च अभिलाक्षणिक

पश्च वोल्टता – पश्च धारा

P-N संधि डायोड का पश्च अभिलाक्षणिक वक्र
P-N संधि डायोड का पश्च अभिलाक्षणिक वक्र

पश्च प्रतिरोध { R }_{ r }=\frac { \triangle V }{ \triangle I } =\infty \Omega

P-N संधि के अनुप्रयोग

दिष्ट करण

प्रत्यावृत्ति वोल्टता को दिष्ट वोल्टता में रूपान्तरित करने की प्रक्रिया दिष्ट करण कहलाती हैै तथा जिन परिपथों से दिष्टकरण किया जाता है उसे दिष्टकारी परिपथ कहते है।

अर्द्धतरंगदिष्टकारी (Half wave Designer)

वह परिपथ जो निवेशी प्रत्यावृत्ति वोल्टता या धारा के केवल आधे भाग को दिष्टवोल्टता या धारा में रूपान्तरित करता हो, उसे अर्द्धतरंग दिष्टकारी कहते है। इसमें केवल एक P-N संधि डायोड का उपयोग होता है।

 

अर्द्धतरंगदिष्टकारी
अर्द्धतरंगदिष्टकारी

अर्द्धतरंगदिष्टकारी की क्रियाविधि

प्रथम धनात्मक अर्द्धचक्र के लिए-X पर धनात्मक और Y पर ऋणात्मक विभव होगा (P-N डायोड अग्र बायसित होगा)

∴ निर्गत वोल्टता { V }_{ o }=I{ R }_{ L }

प्रथम ऋणात्मक अर्द्धचक्र के लिए-X पर ऋणात्मक और Y पर धनात्मक विभव होगा (P-N डायोड पश्च बायसित होगा)

∴ निर्गत वोल्टता { V }_{ o }=O

स्पष्ट है कि निवेशी प्रत्यावृत्ति संकेत के केवल धनात्मक अर्द्धचक्रों के लिए ही निर्गत वोल्टता प्राप्त होती हैं। जिसका परिमाण नियत नहीं होता इस निर्गत वोल्टता को स्पन्द मान दिष्ट वोल्टता कहते हैं।

अर्द्धतरंगदिष्टकारी के निर्गत संकेत का प्रारूप

अर्द्धतरंगदिष्टकारी का निर्गत संकेत प्रारूप
अर्द्धतरंगदिष्टकारी का निर्गत संकेत प्रारूप

अर्द्धतंरग दिष्टकारी की दक्षता

η=\frac { 40.2 }{ 1+\frac { { R }_{ f } }{ { R }_{ L } } }

Rf = अग्र बायसित अवस्था में डायोड का प्रतिरोध

RL = लोड़ प्रतिरोध

यदि { R }_{ L }\ggg { R }_{ f } अर्द्धतंरग दिष्टकारी की अधिक्तम दक्षता 40 प्रतिशत होगीं।

So friends today we got information about P-N Junction Diode. If you like the information given, then tell it in the comment box and share this article with your friends.

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Wikipedia :

P-N संधि डायोड

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