Protein in Hindi – प्रोटीन | प्रोटीन्स का वर्गीकरण | प्रोटीन का संगठन

प्रोटीन

दोस्तों आज के आर्टिकल में हम प्रोटीन (Protein in Hindi) के बारे में संक्षिप्त में जानकारी प्राप्त करने वाले है। जिसमें प्रोटीन (Protein in Hindi) के बारे में शुरू से लेकर अंत तक चर्चा करेंगें।

प्रोटीन (Protein in Hindi)

Protein in Hindi
Protein in Hindi

जीव कोशिकाओं (Cell) में उपस्थित विलेयों (solutes) के अणुओं में प्रोटीन्स के अणु संख्या में ही नहीं, वरन्-संरचनात्मक तथा कार्यात्मक विविधता में भी सबसे अधिक होते हैं। भार में सजीव कोशिका का लगभग 14% भाग तथा मृत व सूखी कोशका का लगभग 50% भाग प्रोटीन्स का होता है। प्रत्येक कोशिका में हजारों प्रकार की प्रोटीन्स के हजारों अणु होते है। स्वयं हमारे शरीर में 50,000 से 100,000 प्रकार के प्रोटीन अणु होते है और प्रत्येक प्रकार की प्रोटीन की अपनी पृथक् संरचनात्मक एवं कार्यात्मक विशेषताएँ होती है।

ध्यातव्य है कि जिस प्रकार किसी भवन का निर्माण पहले से तैयार किए गए नक्शे या (blueprint) के अनुसार किया जाता है। वैसे ही किसी कोशिका के संरचनात्मक एवं क्रियात्मक लक्षणों को संचालित करने वाले विविध प्रोटीन्स का संश्लेषण एक आनुवंशिक रूपरेखा (genetic blueprint) के अनुसार होता है जो कोशिका डी.एन.ए. (DNA) अणुओं की होती है। डी.एन.ए. (DNA) के प्रत्येक अणु के हजारों छोटे-छोटे खण्ड जीन्स (genes) कहलाते है। प्रत्येक जीन में एक विशेष प्रकार की प्रोटीन की रूपरेखा होती है। इसीलिए कोशिकाओं में इतने विभिन्न प्रकार की प्रोटीन्स के अणु पाए जाते हैं।

प्रोटीन्स का वर्गीकरण (Classification of Proteins)

  • त्रिविम आकृति के आधार पर
  • रासायनिक संयोजन के आधार पर
  • विशिष्ट भूमिकाओं के आधार पर

त्रिविम आकृति के आधार पर

  1. Fibrous Proteins – ऐल्फा-किरैटिन्स बीटा-किरैटिन्स, कोलैजन, ऐक्टिन, इलास्टिन, मायोसिन, फाइब्रिनोजन आदि।
  2. Globular Proteins – ग्लोबिन, मायोग्लोबिन, हिस्टोन, ग्लूटैलिन्स, प्रोलैमीन्स।

रासायनिक संयोजन के आधार पर

  1. Simple Proteins – सारी fibrous एवं कुछ Globular Proteins
  2. Conjugated Proteins – न्यूक्लियोप्रोटीन, ग्लाइकोप्रोटीन, लाइपोप्रोटीन हीमोप्रोटीन, फाॅस्फोप्रोटीन्स आदि।
  3. Derived Proteins – प्रोटिओजेज, पेप्टोन्स तथा पाॅलीपेप्टाइड्स।

विशिष्ट भूमिकाओं के आधार पर

  1. Structural Proteins – ऐल्फा-किरैटिन्स, बीटा-किरैटिन्स कोलैजन, इलास्टिन आदि।
  2. Enzymatic Proteins – सभी एन्जाइम प्रोटीन होते हैं, किन्तु सभी प्रोटीन एन्जाइम नहीं होते है।
  3. Regulatory Proteins – इन्सुलिन, ग्लूकैगाॅन, वृद्धि हार्मोंन, थाइराॅक्सिन।
  4. Motility Proteins – ऐक्टिन, मायोसिन।
  5. Transport Proteins – हीमोग्लोबिन, सीरम ऐल्ब्यूमिन।
  6. Defense Proteins – लिम्फोसाइट, इन्टरल्यूकिन-2, इन्टरफेराॅन, थ्राॅम्बिन, फाइब्रिनोजन आदि।
  7. Nutrient & Storage Proteins – जाइन्स (मक्का), फैसिओलिन (मटर), ग्लूटैलिन (चावल एवं गेहुँ), केसीन (दूध)।
  • इनके संयोजन में कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के अतिरिक्त, लगभग 16 % नाइट्रोजन भी होती है। यही नहीं, इनमें गन्धक, फास्फोरस, आयोडीन तथा लौहा आदि के अंश भी प्रायः होते है।
  • पूर्ण विखण्डन पर शुद्ध प्रोटीन्स के अणु सरल अमीनों अम्लों के अणुओं में टूटते हैं। अतः प्रोटीन्स अमीनों अम्लों के यौगिक होते हैं, अर्थात् अमीनों अम्ल इनकी संयोजक इकाइयाँ (monomers) होती हैं।
  • प्रकृति में 20-22 प्रकार की अमीनों अम्ल पाये जाते हैं। स्तनियों मंे इनमें से केवल 10 ही शरीर में बनते हैं जबकि 10 अमीनों अम्ल को बाहर से लेना पड़ा है, कारणस्वरूप इन्हें क्रमशः अनानिवार्य और अनिवार्य अमीनों अम्ल (Nonessential & Essential amino acids) कहा जाता है।

अनानिवार्य अमीनो अम्ल (Nonessential amino acids)

  1. ऐलैनीन (Alinine)
  2. ऐस्पैरैजीन (Asparagine)
  3. ऐस्पार्टेट (Asparatate)
  4. सिस्टीन (Cysteine)
  5. ग्लूटैमैट (Glutamate)
  6. ग्लूटैमीन (Glutamine)
  7. ग्लाइसीन (Glycine)
  8. प्रोलीन (Proline)
  9. सेेरीन (Serine)
  10. टाइरोसीन (Tyrosine)

अनिवार्य अमीनो अम्ल (Essential amino acids)

  1. आर्जिनीन (Arginine)1
  2. हिस्टिडीन (Histidine)1
  3. आइसोलयूसीन (Isoleucine)
  4. ल्यूसीन (Leucine)
  5. लाइसीन (Lysine)
  6. मिथिओनीन (Methioninc)
  7. फीनाइलऐलैनीन (Phenylalanine)
  8. थ्रियोनीन (Theonine)
  9. ट्रिप्टोफैन (Tryptophan)
  10. वैलीन (Valine)
Note :
आर्जिनीन1 तथा हिस्टिडीन किशोरों (juveniles) के लिए अनिवार्य होते हैं परन्तु वयस्कों में ये भी शरीर में ही बनने लगते हैं।
  • जब एक अमीनों अम्ल के अणु काा कार्बोक्सिल समूह दूसरे के एमीनों समूह से जूड़ता है तो जल का एक अणु निकल जाता है और एक डाइपेटाइड यौगिक बन जाता है इसे पेप्टाइड बन्ध (peptide or amide bond) कहते है। ऐसे ही बन्धों द्वारा जुड़-जुड़कर विभिन्न अमीनों अम्ल क्रमशः पेप्टोन्स एवं प्रोटिओजेज नामक जटिल पदार्थो का और अन्त में प्रोटीन्स का निर्माण करते हैं।
  • सभी एन्जाइम, कुछ हार्मोन जेस इन्सुलिन या थाइराॅक्सिन आदि, एण्टीबाॅडीज, एन्टीजन्स, फैक्टर, आदि प्रोटीन्स होते है।

प्रोटीन का संगठन (Organization of Proteins)

तत्व% मात्रा
कार्बन50-54 %
ऑक्सीजन21-24 %
नाइट्रोजन13-16 %
हाइड्रोजनलगभग 7.0 %
सल्फर0.2-7.0 %
  • अपेक्षाकृत सरल एवं घुलनशील प्रोटीन्स जीवद्रव्य के आधारभूत तरल (जल) में घुली रहती हैं और द्रव्य की भौतिक दशाओं (साॅल-sol एवं जेल-gel) का नियंत्रण करती है।
  • तन्तुवत प्रोटीन्स कोशाओं के विभिन्न अंगकों तथा संयोजी ऊतकों की रचना में प्रमुख भाग लेती है। अतः ये वृद्धि एवं मरम्मत (ऐनैबोलिज्म) के लिए आवश्यक होती हैं। इन्हें इसीलिए संरचना प्रोटीन्स (structural proteins) कहतें है।
  • अनेक जटिल प्रोटीन्स मेटाबोलिक प्रतिक्रियाओं में उत्प्रेरकों अर्थात् एन्जाइमों का काम करती है।
  • कुछ प्रोटीन्स हाॅर्मोन्स के रूप में, कोशाओं की क्रियाओं का नियमन करती हैं। इन्हें नियामक प्रोटीन्स (regulatory proteins) कहते है।
  • अनाज, अण्डों, दूध आदि की पोषक प्रोटीन्स से ऐसे अमीनों अम्ल प्राप्त होते हैं जिनके डीऐमीनेशन के बाद कार्बोक्सिल अंश ऊर्जा-उत्पादन या वसा-संश्लेषण में भाग लेते हैं।
  • रुधिर में संचरित कुछ परिवहन प्रोटीन्स विशिष्ट पदार्थो को शरीर के एक भाग से दूसरे भागों के बीच लाने-ले जाने का काम करती हैं। उदाहरणार्थ, रुधिर की हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन (O2) का संवहन करती है। इसी प्रकार, रुधिर प्लाज्मा की लाइपोप्रोटीन्स वसाओं का यकृत से वसीय ऊतकों तथा अन्य ऊतकों तक संवहन करती हैं। कोशाकला में उपस्थित कुछ प्रोटीन्स विशिष्ट अणुओं का कला के आर पार संहवन करती है।
  • प्रोटीन्स स्वभावतः क्षारीय होती हैं और शरीर में अम्ल-क्षार संतुलन बनाये रखने में महत्वपूर्ण सहयोग देती है।
  • अनेक प्रोटीन्स के संयोजन में अमीनों अम्लों के अतिरिक्त कोई गैरअमीनों अम्ल घटक (nonamino acid componet) होता है। इन्हें संयुक्त प्रोटीन्स (conjugated proteins) तथा इनके गैरअमीनों अम्ल घटकों को प्रायः प्राॅस्थेटिक समूह (prosthetic group) कहते है।

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