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Sources of Energy in Hindi – ऊर्जा के स्रोत | भौतिक विज्ञान

Author: EduTzar | On:17th May, 2020| Comments: 0

तो दोस्तों आपने ऊर्जा के बारे में तो सुना ही होगा। क्या आपने कभी सोचा है कि यह ऊर्जा हमें कैसे प्राप्त होती है ? और किन-किन स्रोतों से प्राप्त होती है ? अगर नहीं सोचा तो चलिए जानते है। ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों (Sources of Energy in Hindi) के बारे में जिनसे हमें ऊर्जा प्राप्त होती है।

Table of Content

  • ऊर्जा के स्रोत (Sources of Energy in Hindi)
    • एक उत्तम ऊर्जा स्रोत कैसा होना चाहिए ?
    • ऊर्जा के पारम्परिक स्रोत कौन-कौनसे है ?
      • जीवाश्म ईंधन क्या है ?
      • तापीय विद्युत संयंत्र क्या है ?
      • जल विद्युत संयंत्र क्या है ?
      • जल विद्युत संयंत्र से क्या हानियाँ है ?
    • उन्नत प्रौद्योगिक संयंत्र कौन-कौनसे है ?
      • बायोगैस क्या है ?
      • बायोगैस प्रयोग से क्या लाभ है ?
      • पवन ऊर्जा क्या होती है ?
      • पवन ऊर्जा के क्या लाभ है ?
    • वैकल्पिक अथवा गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत कौन-कौनसे है ?
      • सौर ऊर्जा क्या है ?
      • सौर स्थिरांक की परिभाषा क्या है ?
      • समुद्रो से ऊर्जा कैसे प्राप्त होती है ?
      • ज्वारीय ऊर्जा क्या है ?
      • तंरग ऊर्जा क्या है ?
      • महासागरीय तापीय ऊर्जा क्या है ?
      • भू-तापीय ऊर्जा क्या है ?
      • नाभिकीय ऊर्जा किसे कहते है ?
      • नाभिकीय संलयन किसे कहते है ?

ऊर्जा के स्रोत (Sources of Energy in Hindi)

sources of energy in hindi

प्रस्तावना : ऊर्जा को हम अनेक ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त कर सकते है। यद्यपि सूर्य सभी प्रकार की ऊर्जाओं का अंतिम स्रोत है।

एक उत्तम ऊर्जा स्रोत कैसा होना चाहिए ?

एक उत्तम ऊर्जा स्रोत वह है, जो-

  1. प्रति एकांक आयतन अथवा प्रति एकांक द्रव्यमान अधिक ऊर्जा उत्पन्न करता हो।
  2. सरलता से सुलभ हो सके।
  3. भंडारण तथा परिवहन में आसान हो।
  4. वह सस्ता हो।

ऊर्जा के पारम्परिक स्रोत कौन-कौनसे है ?

जीवाश्म ईंधन क्या है ?

जीवाश्म ईंधन से तात्पर्य उन ईंधनों से है, जो पेड़-पौधों और जानवरों के अवशेषों के धरती के अन्दर लाखों वर्षों तक दबे रहने के फलस्वरूप बनते हैं। इन ईंधनों में ऊर्जा के भरपूर कार्बन के यौगिक विद्यमान रहते हैं। कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि जीवाश्म ईंधन के प्रमुख उदाहरण है।

तापीय विद्युत संयंत्र क्या है ?

विद्युत संयंत्रों में प्रतिदिन विशाल मात्रा में जीवाश्मी ईंधन का दहन कर के जल उबालकर भाप बनाई जाती है। जो टरबाइनों को घुमाकर विद्युत उत्पन्न करती है। समान दूरियों तक कोयले तथा पेट्रोलियम के परिवहन की तुलना में विद्युत संचरण अधिक दक्ष होता है। इन संयंत्रों में ईधन के दहन द्वारा उष्मीय ऊर्जा उत्पन्न की जाती है। जिसे विद्युत ऊर्जा में रूपान्तरित किया जाता है।

जल विद्युत संयंत्र क्या है ?

⇒जल विद्युत उत्पन्न करने के लिए नदियों के बहाव व अन्य जल स्रोतों से बांधों का निर्माण किया जाता है। जिससे इनमे भरे जल का तल ऊँचा हो जाता है। तथा ऊँचे जल की गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा का उपयोग करके टरबाइन चलाए जाते है। जिससे विद्युत उत्पन्न होती है।

जल विद्युत संयंत्र से क्या हानियाँ है ?

  1. बाँधों के निर्माण से विस्थापित लोगों के संतोषजनक पुनर्वास व क्षतिपूर्ति की समस्या।
  2. पेड़-पौधे, वनस्पति आदि जल में डूब जाती है वे अवायवीय परिस्थितियों में सड़ने लगते है और विघटित होकर विशाल मात्रा में मैथेन गैस उत्पादन करते है जो कि एक ग्रीन हाऊस गैस है।
  3. बाँध के जल में डूबने के कारण बड़े-बड़े पारिस्थितिक तंत्र नष्ट हो जाते है।

उन्नत प्रौद्योगिक संयंत्र कौन-कौनसे है ?

बायोगैस क्या है ?

⇒बायोगैस अनेक गैसों का मिश्रण है। गोबर, फसलों के कटने के पश्चात् बचे अवशिष्ट, सब्जियों के अपशिष्ट जैसे विविध पादप व वाहित मल जब ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में अपघटित होते हैं, तब बायोगैस निकलती है। चूँकि इन गैस को बनाने में उपयोग होने वाला आरम्भिक पदार्थ मुख्यतः गोबर है, इसलिए इसे गोबर गैस कहते है। अन्य निकलने वाल गैसें हैं हाइड्रोजन तथा हाइड्रोजन सल्फाइड।

बायोगैस प्रयोग से क्या लाभ है ?

  1. यह ऊर्जा का अच्छा स्रोत है।
  2. बायोगैस को जलाने पर धुआँ उत्पन्न नहीं होता है। अतः इससे प्रदूषण नहीं होता।
  3. यह जलने के बाद कोई भी अपशिष्ट पदार्थ शेष नहीं छोड़ती है।
  4. इसकी तापन क्षमता उच्च होती है। इसका उपयोग प्रकाश के स्रोत्र के रूप में किया जाता है।
  5. बायोगैस संयत्र में बची स्लरी उत्तम खाद के रूप में काम आती है।

पवन ऊर्जा क्या होती है ?

गतिशील वायु पवन कहलाती है। गतिमान पिण्ड या वस्तु में भी गतिज ऊर्जा होती है।

पवन ऊर्जा के क्या लाभ है ?

  1. पर्यावरण हितेषी व दक्ष स्त्रोत
  2. पवन ऊर्जा द्वारा विद्युत उत्पादन के लिए बार-बार धनखर्च करने के आवश्यकता नहीं है।
  3. प्राकृतिक स्रोत्र होने के कारण वैकल्पित ऊर्जा स्रोत है।
क्या आप जानते है ?
डेनमार्क को ‘पवनों का देश’ कहते है। जहाँ 25% से अधिक विद्युत की पूर्ति पवन चक्कियों द्वारा की जाती है। भारत का पवन ऊर्जा द्वारा विद्युत उत्पादन करने वाले देशों में पाँचवा स्थान है। तमिनाडु में कन्याकुमारी के समीप भारत का विशालतम पवन ऊर्जा फार्म स्थापित किया गया है।

वैकल्पिक अथवा गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत कौन-कौनसे है ?

सौर ऊर्जा क्या है ?

सूर्य द्वारा उत्सर्जित ऊष्मा तथा प्रकाश ऊर्जा को सौर ऊर्जा कहते है।

सौर स्थिरांक की परिभाषा क्या है ?

पृथ्वी के वायुमण्डल की परिरेखा पर सूर्य की किरणों के लम्बवत् स्थित खुले क्षेत्र के प्रति एकांक क्षेत्रफल पर प्रति सैकण्ड पहुँचने वाली सौर ऊर्जा को सौर स्थिरांक कहते है। पृथ्वी के वायुमण्डल की ऊपरी परत 1.4 किलो जूल प्रति सेकण्ड प्रति वर्गमीटर की दर से सौर ऊर्जा प्राप्त करती है। इस परिणाम को सौर ऊर्जा स्थिरांक कहते है।

ऊर्जा स्थिरांक = 1.4 किलोवाट/मीटर2

सौर ऊर्जा को प्रत्यक्ष रूप से प्रयोग करने के लिए अनेक प्रकार की युक्तियों का विकास किया गया है। यह युक्तियाँ – सौर कुकर, सौर-भट्टियाँ, सौर जल ऊष्मक, सौर ऊर्जा संयंत्र तथा सौर-सेल इत्यादि है।

समुद्रो से ऊर्जा कैसे प्राप्त होती है ?

  1. ज्वारीय ऊर्जा
  2. तंरग ऊर्जा
  3. महासागरीय ऊर्जा

ज्वारीय ऊर्जा क्या है ?

समुद्र में जल का स्तर दिन में किस प्रकार परिवर्तित होता है, इस परिघटना को ज्वार भाटा कहते है। ज्वार-भाटे में जल का स्तर के चढ़ने या गिरने से हमें ज्वारीय ऊर्जा प्राप्त होती है। ज्वार ऊर्जा का दोहन सागर के किसी संकीर्ण क्षेत्र पर बांध का निर्माण करके किया जाता है। बाँध के द्वार पर स्थापित टरबाईन ज्वारीय ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलती है।

तंरग ऊर्जा क्या है ?

समुद्र तट के निकट विशाल तरंगों की गतिज ऊर्जा को भी विद्युत उत्पन्न करने के लिए ट्रेप किया जा सकता है। महासागरों के पृष्ठ पर आर-पार बहने वाली प्रबल पवन, तंरगें, उत्पन्न करती है। तरंग ऊर्जा का वही पर व्यवहारिक उपयोग हो सकता है, जहाँ पर तरंगे अत्यन्त प्रबल हो। तरंगे ऊर्जा को ट्रैप करने के लिए विविध युक्तियाँ विकसित की गई है। ताकि टरबाईन को घूमाकर विद्युत उत्पन्न करने के लिए इसका उपयोग किया जा सके।

महासागरीय तापीय ऊर्जा क्या है ?

समुद्रों या महासागरों के पृष्ठ का जल सूर्य द्वारा तप्त हो जाता है, इस तप्त जल का उपयोग समुद्र या महासागर की गहराई में लगे विद्युत संयंत्रों के द्वारा ऊर्जा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। विद्युत संयंत्र केवल तभी प्रचलित होते हैं जब महासागर के पृष्ठ पर जल का ताप तथा 2 किलोमीटर तक की गहराई पर जल के ताप में 20 डिग्री सेल्सियस का अन्तर है।

उपयोग

पृष्ठ के तप्त जल का उपयोग अमोनिया जैसे वाष्पशील द्रवों को उबालने में किया जाता है। इस प्रकार बनी द्रवों की वाष्प फिर जनित्र के टरबाइन को घुमाती है।

भू-तापीय ऊर्जा क्या है ?

पृथ्वी के क्रस्ट के गर्म स्थलों में संग्रहित ऊष्मा ऊर्जा को भू-तापीय ऊर्जा कहते है। यह ऊर्जा भू-गर्भीय जल को गर्म करती है। गर्म जल स्वतः ऊपर की ओर उठता है और ऊपर उठकर पृथ्वी तल से उन स्थानों पर बाहर निकल आता है। जहाँ पृथ्वी का क्रस्ट कमजोर है। यह जल फव्वारे के रूप में पृथ्वी तल से बाहर आता है। इन्हें गर्म पानी के चश्में या गीजर कहते है। भूमिगत जल की भाप को पृथ्वी के क्रस्ट पर पाइप गाडकर बाहर निकाला जाता है। उच्च दाब पर निकली यह भाप विद्युत जनित्र की टरबाईन को घूमाती है, जिससे विद्युत उत्पादन करते है। इसके द्वारा विद्युत उत्पादन की लागत अधिक नहीं है। परन्तु ऐसे बहुत कम क्षेत्र हैं। जहाँ व्यापारिक दृष्टिकोण से इस ऊर्जा का दोहन करना व्यवहारिक है।

नाभिकीय ऊर्जा किसे कहते है ?

जब कोई रेडियों-सक्रिय पदार्थ विकिरण उत्सर्जित करता है। तब उसका द्रव्यमान घटता है। द्रव्यमानों का अन्तर डेल्टता एम ऊर्जा ई में परिवर्तित हो जाता है।

नाभिकीय संलयन किसे कहते है ?

नाभिकीय ऊर्जा, भारी नाभिक के छोटे-छोटे नाभिकों में विखण्डन से प्राप्त होती है। छोटी-छोटी नाभिकों के मिलने पर जब बड़ी नाभि बनती है, तब भी नाभिकीय ऊर्जा प्राप्त होती है। इसी छोटी-छोटी नाभियों के संयोग से बड़ी नाभि बनाने को नाभिकीय संलयन कहते हैं।

तो दोस्तों आज हमने उर्जा के विभिन्न स्रोतों (Sources of Energy in Hindi) के बारे में जानकारी प्राप्त की l अगर आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगी तो  इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें l और हमारे साथ बने रहें l

धन्यवाद !

अन्य पाठ्य सामग्री :

  • Brain in Hindi – मानव मस्तिष्क | mstsc | Parts of Brain in Hindi | मस्तिष्क के भाग

 

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Topics :

  • Sources of Energy in Hindi
  • ऊर्जा के स्रोत
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