टोराॅइड क्या है : टोराॅइड की परिभाषा और चुम्बकीय क्षेत्र – Magnetic Field of Toroid in Hindi

Toroid

नमस्कार दोस्तों आज हम टोराॅइड(Toroid) के बारे में विस्तार से चर्चा करने वालें है कि टोराॅइड क्या है(toroid kya hai), टोराॅइड की परिभाषा, टोराॅइड के कारण चुम्बकीय क्षेत्र आदि। तो चलिए बढ़तें है आज के आर्टिकल की ओर…Toroid in Hindi

टोराॅइड क्या है – Toroid in Hindi

Toroid in Hindi
Toroid in Hindi

दोस्तों टोराॅइड(Toroid) एम्पीयर के नियम पर आधारित बंद धारावाही आकृति है जिसे परिनालिका के दोनों छारों को जोड़कर बनाया जाता है।

अब आपके मन में सवाल होगा कि परिनालिका क्या है ? तो चलिए इसे भी आसान भाषा में सर्वप्रथम समझ लेतें है ताकि पूरा टाॅपिक अच्छे से समझ में आ जायें।

परिनालिका क्या है ?

Solenoid
Solenoid

दोस्तों परिनालिका एक बेलनाकार आकृति की नलिका होती है जो चीनी मिट्टी की बनी होती है, जिसकी लम्बाई तो अधिक होती है और त्रिज्या कम होती है। जिस पर ताँबें की तार को पास-पास फेरों में लपेटा जाता है और इसी व्यवस्था को परिनालिका(Solenoid) कहा जाता है।

तो दोस्तों हम आपको पता चल गया होगा कि परिनालिका क्या है ? चलिए अब हम पुनः टोराॅइड को समझतें है और इसकी परिभाषा को समझतें है।

टोराॅइड की परिभाषा क्या है ?

toroid ki paribhasha kya hai
Toroid ki Paribhasha Kya Hai

दोस्तों जब किसी ऐसी परिनालिका जिसकी लम्बाई अधिक हो, को मोड़कर वृत्त के आकार में ढाल दिया जाता है अर्थात् परिनालिका के दोनों हिस्सों को मोड़कर आपस में जोड़ दिया जाता है, तो एक खोखले छल्ले की तरह आकृति का निर्माण होता है, जिसें हम टोराॅइड(Toroid) कहतें है। आसान भाषा में भाषा में कहें तो परिनालिका के दोनों हिस्सों को जोड़ने से बनी बंद धारावाही आकृति का निर्माण होता है, जिसें हम टोरोइड(Toroid in Hindi) कहतें है। इसे हम अन्तहीन या सिराहीन परिनालिका भी कहतें है।

नोट: धारा को भौतिकी में ‘‘. (dot) और क्रोस (✕)’’ से प्रदृशित करतें है। अगर धारा परिपथ के अन्दर की ओर जा रही होती है तो हम उसे क्रोस (✕) से प्रदर्शित करतें है और अगर धारा परिपथ के अन्दर से बाहर की ओर आ रही होती है तो उसे हम . (dot) से प्रदर्शित करतें है।

दोस्तों अब आप सोच रहें होगें कि जब परिनालिका को मोड़कर ही टोराॅइड का निर्माण हो जाता है तो इनमें अन्तर क्या हुआ, तो चलिए परिनालिका और टोराॅइड में अन्तर को समझतें है।

परिनालिका और टोराॅइड में क्या अन्तर है – Difference Between Solenoid and Toroid

परिनालिका

जब किसी परिनालिका में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो परिनालिका के बाहर की ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है।

टोराॅइड

जबकि टोराॅइड में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर टोराॅइड के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है तथा टोराॅइड के अन्तर खाली जगह और टोराॅइड के बाहर चुम्बकीय क्षेत्र का मान शून्य रहता है।

तो दोस्तों अब हम धारावाही टोराॅइड में चुम्बकीय क्षेत्र के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगें। अधिकांश्तः प्रतियोगी परिक्षाओं में इसी विषय को लेकर अधिक प्रश्न पूछें जातें है।

धारावाही टोराॅइड के कारण चुम्बकीय क्षेत्र – Magnetic Field in Toroid

जब हम किसी टोराॅइड में चुम्बकीय क्षेत्र की बात करें तो हम टोराॅइड में तीन जगह पर चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात कर सकतें है। जो निम्न प्रकार है:

  • टोराॅइड के बाहर चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic field outside the toroid)
  • टोराॅइड के अन्दर चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic field inside the toroid)
  • टोराॅइड के अक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic field on the axis of the toroid)

दोस्तों हम टोराॅइड में चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात करने के लिए एक एम्पीयर पथ मानतें है जिसमें हम एम्पीयर के नियम से सिद्ध सुत्र का उपयोग करतें है। तो दोस्तों टोराॅइड में चुम्बकीय क्षेत्र निकालने के लिए यह हमारे शुरूआती आयाम रहेंगें। जिसके बारे में हमने आपको टाॅपिक के पुर्व में ही बता दिया है ताकि आगे चलकर आपको कोई परेशानी ना हो।

एम्पीयर के नियम से

\oint B dl=\mu _{o}\sum i

  • B = चुम्बकीय क्षेत्र
  • dl = अल्पांश
  • μo = चुम्बकशीलता
  • ∑i = एम्पीयर लूप के अन्दर की धारा का बीजगणितीय योग

टोराॅइड के बाहर चुम्बकीय क्षेत्र

Magnetic field outside the toroid
Magnetic Field Outside The Toroid

एम्पीयर नियम से

\oint B dl=\mu _{o}\sum i

चूंकि हम जानतें है कि ∑i = एम्पीयर लूप के अन्दर की धारा का बीजगणितीय योग है।

तो

\oint B dl=\mu _{o}\left ( i_{1}-i_{2} \right )

दोस्तों वह धारा जिसकी दिशा निश्चित है उसे हम गणितिय आंकलन करते वक्त धनात्मक रूप में लेतें है और जो धारा निश्चित धारा के विपरित दिशा में है उसे ऋणात्मक रूप में लेतें है।

  • i1 = निश्चित धारा की दिशा
  • -12 = निश्चित धारा की विपरित दिशा

दोस्तों जैसा कि हमने पूर्व में पढ़ा कि टोराॅइड के चारों ओर ताँबें की तार लपेटी जाती है। जो वृत्ताकार रूप में चीनी मिट्टी की नली पर लपेटी जाती है। जिसमें अगर धारा प्रवाहित करवाई जाती है तो एक बार धारा परिपथ अन्दर की ओर प्रवाहित होती है तो एक बार परिपथ से बाहर की ओर। इसीप्रकार एक बार धारा निश्चित दिशा में प्रवाहित होती है तो एक बार निश्चित धारा की विपरित दिशा में।

ताबें के तार के एक फेरे में धारा अन्दर की ओर जाती है और उसी फेरे से एक बार बाहर निकलती है। इसीप्रकार एक फेरे में एक बार धारा की दिशा निश्चित दिशा में होती है और उसी फेरे में एक बार धारा की दिशा निश्चित धारा की विपरित दिशा में होती है।

अर्थात् तार के फेरों की संख्या चाहें कितनी भी हो, निश्चित धारा की दिशा और निश्चित धारा के विपरित धारा की दिशा दोनों की संख्या समान ही रहेगी। आसान भाषा में कहें तो प्रवेश करने वाली धारा की दिशा निश्चित है और जो धारा प्रवेश करके निकलेगी उसकी दिशा निश्चित नहीं है। अतः यह दोनों परिघटनाएँ एक ही फेरे पर सम्पन्न हो रही है।

अतः

i1 = 12

इसलिए

\oint B dl=\mu _{o}\left ( 0 \right )

चूँकि i1 और 12 की संख्या समान है अतः इनका मान i1 – 12 = 0 हो जाएगा।

अतः

B = 0

अतः टोराॅइड के बाहर चुम्बकीय क्षेत्र का मान शून्य होता है।

टोराॅइड के अन्दर चुम्बकीय क्षेत्र

Magnetic field inside the toroid
Magnetic Field Inside The Toroid

एम्पीयर नियम से

\oint B dl=\mu _{o}\sum i

तो दोस्तों टोराॅइड अन्दर से खोखला होता है अतः टोराॅयड में किसी प्र्रकार की धारा प्रवाहित ही नहीं होगी। इसलिए ∑i का मान शून्य हो जायेगा। चूँकि जब किसी परिपथ में धारा ही नहीं होगी तो न ही धारा की दिशा होगी और न ही धारा की विपरित दिशा होगी। अतः ∑i का मान शून्य हो जायेगा।

\oint B dl=\mu _{o}\left ( 0 \right )

तो जब ∑i का मान ही शून्य हो जायेगा तो चुम्बकीय क्षेत्र का मान भी शून्य हो जाएगा।

B = 0

अतः टोराॅइड के अन्दर चुम्बकीय क्षेत्र का मान शून्य होता है।

टोराॅइड के अक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र

Magnetic field on the axis of the toroid
Magnetic Field on the Axis of the Toroid

यदि टोरोइड में प्रवाहित होने वाली धारा प् हो, तो टोरोइड के अक्ष के अनुदिश त् त्रिज्या के एम्पीयर लूप की कल्पना करन पर –

एम्पीयर लूप नियम से

[/latex]\oint B dl Cos\theta =\mu _{o} I[/latex]

चूंकि Cos\theta =90^{o}

\oint B.dl =\mu _{o} I

B \oint dl =\mu _{o} I

चूंकि \oint dl =2\pi r

B\times 2\pi r=\mu _{o}I

B =\frac{\mu _{o}NI}{2\pi r}

यदि फेरों की संख्या N हो, तो

B=\frac{\mu _{o}NI}{2\pi r}

B=\mu _{o}nI

जहाँ n =\frac {N}{2\pi r} है।

तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने टोराॅइड(Toroid in Hindi) के बारे में जानकारी प्राप्त की। अगर आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें तथा इसीप्रकार की बेहतरीन जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट से जुड़ें रहें।

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