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विटामिन – Vitamin in Hindi

Author: EduTzar | On:30th Sep, 2020| Comments: 0

नमस्कार दोस्तों! तो कैसे है आप सभी ? मैं आशा करता हुँ कि आप सभी अच्छे होंगें। तो दोस्तों आज हम विटामिन (Vitamin) के बारे में विस्तार से जानने वाले है। सर्वप्रथम हम विटामिन के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करेंगें और अंत में विटामिन (Vitamin in Hindi) विषय से संबंधित कुछ परीक्षापयोगी प्रश्नों का अध्ययन भी करेंगें। तो चलिए बढ़ते है आज के विषय की ओर।

Table of Content

  • विटामिन (Vitamin in Hindi)
    • विटामिन का वर्गीकरण (Classification of vitamins)
    • Vitamin के नाम (Vitamin in Hindi)
    • विटामिन के रासायनिक नाम (Chemical Names of Vitamins in Hindi)
    • विटामिन की कमी से उत्पन्न रोग (Vitamin Deficiency Disease in Hindi)
    • विटामिन प्राप्ति के स्रोत (Sources of Vitamin Recovery in Hindi)
    • विटामिन का कार्यिकी पर प्रभाव (Effect of Vitamin on Physics in Hindi)
    • जल में घुलनशील विटामिन (Water-Soluble Vitamins)
    • (अ) Vitamin B-काॅम्प्लेक्स
      • (क) Vitamin B1 या थायमीन
      • (ख) Vitamin B2 (Riboflavin)
      • (ग) Vitamin B5 (Nicotinic acid)
      • (घ) Vitamin B6 (Pyridoxine)
      • (च) Vitamin B3 (Pantothenic acid)
      • (छ) Vitamin H
      • (ज) फोलिक अम्ल समूह (Folic acid group)
      • (झ) Vitamin B12
    • (ब) Vitamin C (Ascorbic acid)
    • वसा में घुलनशील विटामिन (Fat-Soluble Vitamin)
      • (क) Vitamin A (Retinol)
      • (ख) Vitamin D (Calciferol Group)
      • (ग) Vitamin E (Tocopherol)
      • (घ) नैफ्थोक्विनोन (Vitamin K)
    • परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर

विटामिन (Vitamin in Hindi)

Definition of vitamin
Definition of vitamin

दोस्तों विटामिन बहुत ही सुक्ष्म मात्रा (मिलिग्रामों या माइक्रोग्रामों) में जन्तु-शरीर के सामान्य मेटाबोलिज्म के लिए अत्यावश्यक होती है। यद्यपि ये उर्जा प्रदान नहीं करते, लेकिन अन्य ईंधन पदार्थों के संश्लेषण एवं सही उपयोग का नियंत्रण करते हैं। अतः इनकी कमी से मेटाबोलिज्म त्रुटिपूर्ण होकर शरीर को रोगीला (बीमार) बना देता है। इसलिए इन्हें वृद्धि तत्व (grow factors) और इनकी कमी से उत्पन्न रोगों को अपूर्णता रोग (deficiency diseases) कहते है।

तो चलिए विटामिन को हम कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं के द्वारा समझते है। जो निम्न प्रकार है :

  • सन् 1881 में लूनिन (N.I. Lunin) ने विटामिन की खोज की और बताया कि स्वस्थ शरीर के लिए भोजन में, अन्य पदार्थों के अतिरिक्त, इन अज्ञात पदार्थों का भी सूक्ष्म मात्रा में होना आवश्यक होता है।

  • इसके बाद सन् 1897 में ईज्कमान (Eijkman) ने लूनिन की खोज का समर्थन किया और पता लगाया कि बेरी-बेरी का रोग आहार में पाॅलिश किये गये चावल की बहुतायत से होता है।

  • इसी सब ज्ञान के आधार पर हाॅप्किन्स एवं फुन्क (Hopkins and Funk, 1912) ने विटामिन मत (Vitamin Theory) प्रस्तुत किया और इनमें बताया कि ऐसा प्रत्येक रोग आहार में किसी न किसी विशेष विटामिन की कमी से होता है।

  • फुन्क ने ही 1912 में पहले-पहल विटामिन नाम का उपयोग किया। तब से इन महत्वपूर्ण पदार्थों का ज्ञान तेजी से बढ़ा।

  • विटामिन अनय पदार्थों से कुछ सरल कार्बनिक यौगिक होते है। जन्तुओं को अधिकांश विटामिन भोजन से ही प्राप्त होते हैं, क्योंकि इनका संश्लेषण पादप करते हैं। पादपों में भी लगभग उन्हीं विटामिनों की आवश्यकता होती है जिनकी कि जन्तुओं में। ये या तो स्वयं सहएन्जाइमों (conenzymes) का काम करते हैं या सहएन्जाइमों के संयोजन में भाग लेते हैं। इस प्रकार, ये उपापचयी प्रतिक्रियाओं में, उत्प्रेरकों का अंश बनकर, इनका नियंत्रण करते हैं।

  • शरीर में विटामिन का संचय बहुत कम होता हैं। इनकी अधिकांश मात्रा मूत्र के साथ उत्सर्जन होता रहता है। इसलिए इन्हें प्रतिदिन भोजन से ग्रहण करना आवश्यक होता है।

  • जीवों में अभी तक लगभग बीस प्रकार के विटामिनों का पता चला हैं इनमें से निम्नलिखित 13 का हमारे भोजन में होना आवश्यक होता है। इन्हें दो प्रमुख श्रेणियों में बाँटा जाता है : (क) जल में घुलनशील तथा (ख) वसा में घुलनशील विटामिन।

  • जल में घुलनशील विटामिनों की आवश्यकता से अधिक मात्रा का मूत्र के साथ उत्सर्जन होता रहता है। अतः शरीर में इनका विशेष संचय नहीं होता और इन्हें प्रतिदिन भोजन से ग्रहण करना आवश्यक होात है। इसके विपरीत, वसा में घुलनशील विटामिनों का मूत्र के साथ उत्सर्जन नहीं होता। अतः वसा ऊतकों में इनका कुछ संचय होता है जिसके कारण इन्हें प्रतिदिन भोजन से ग्रहण करना आवश्यक नहीं होता।

अब तक आपको विटामिन क्या है ? इसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त हो गयी होगी। चलिए अब जानें कि विटामिन का वर्गीकरण किस प्रकार से और किस आधार पर किया गया है ?

विटामिन का वर्गीकरण (Classification of vitamins)

Classification of vitamins
Classification of vitamins

विटामिन को निम्न दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:

  • जल में घुलनशील विटामिन
  • वसा में घुलनशील विटामिन

अगर आपको यह नहीं पता कि वसा युक्त पदार्थ या वसीय पदार्थ क्या होते है। तो आप यह भी जाने लेवें।

साधारण भाषा में कहें तो ‘‘वे पदार्थ जिसमें वसा की मात्रा अधिक पायी जाती है उन्हें वसा युक्त पदार्थ या वसीय पदार्थ कहते है।’’ चलिए इसके कुछ उदाहरण को देखते है।

उदाहरण: घी, तेल इत्यादि।

अब हमारे लिए यह जानना आवश्यक है कि वसा में घुलनशील विटामिन कौनसे है और जल में घुलनशील विटामिन कौनसे है ?

Vitamin के नाम (Vitamin in Hindi)

वसा में घुलनशील विटामिन:

  1. Vitamin A
  2. Vitamin D
  3. Vitamin E
  4. Vitamin K

जल में घुलनशील विटामिन:

  1. Vitamin C
  2. Vitamin B काम्लेक्स
  • Vitamin B1
  • Vitamin B2
  • Vitamin B3
  • Vitamin B5
  • Vitamin B6
  • Vitamin B12
  • Vitamin H

दोस्तों अक्सर परिक्षाओं में विटामिन्स के रासायनिक नाम से संबंधित बहुत सारे प्रश्न आते ही है। तो चलिए अब हम विटामिन के रासायनिक नाम के बारे में जानते है।

विटामिन के रासायनिक नाम (Chemical Names of Vitamins in Hindi)

विटामिनरासायनिक नाम
वसा में घुलनशील विटामिन
Vitamin Aरेटिनाॅल
Vitamin Dकैल्सीफेराॅल
Vitamin Eटोकोफेराॅल
Vitamin Kनैफ्थोक्विनोन
जल में घुलनशील विटामिन
Vitamin Cऐस्काॅर्बिक अम्ल
Vitamin B1थायमीन
Vitamin B2राइबोफ्लैविन
Vitamin B3पैन्टोथीनिक अम्ल
Vitamin B5निकोटिनिक अम्ल
Vitamin B6पाइरीडाॅक्सिन
Vitamin B9फोलिक अम्ल समूह
Vitamin B12सायनोकोबालैमीन
Vitamin Hबायोटिन

विटामिन के रासायनिक नाम के साथ हमारे द्वारा यह भी जानना जरूरी है कि किस विटामिन की कमी से कौनसा रोग होता है। तो चलिए यह भी जान लेते है।

विटामिन की कमी से उत्पन्न रोग (Vitamin Deficiency Disease in Hindi)

विटामिनरोग
वसा में घुलनशील विटामिन
Vitamin Aरतौंधी
Vitamin Dरिकेटस
Vitamin Eबांझपन/नपुंसकता
Vitamin Kहीमोफीलिया
जल में घुलनशील विटामिन
Vitamin Cस्कर्वी
Vitamin B1बेरी-बेरी
Vitamin B2किलोसीस
Vitamin B3बांझपन
Vitamin B5पेलाग्रा
Vitamin B6एनीमिया
Vitamin B9रक्तक्षीणता
Vitamin B12एनीमिया
Vitamin Hत्वचा रोग

अगर हमारे शरीर में किसी भी प्रकार के विटामिन की कमी हुई है तो हमें विटामिन प्राप्ति के स्रोतों के बारे में जनाना चाहिए। तो दोस्तों विटामिन प्राप्ति के कुछ स्रोत निम्न प्रकार है:

विटामिन प्राप्ति के स्रोत (Sources of Vitamin Recovery in Hindi)

विटामिनस्रोत
वसा में घुलनशील विटामिन
Vitamin Aदूध, मक्खन, अण्डा, जिगर, मछली का तेल।
Vitamin Dमक्खन, जिगर, मछली का तेल, गुर्दो, अण्डे, त्वचा और यीस्ट में, सूर्य-प्रकाश में संश्लेषण।
Vitamin Eतेल, गेहूँ, अण्डों की जर्दी, सोयाबीन।
Vitamin Kहरी पत्तियाँ, अण्डा, जिगर, टमाटर, गोभी, सोयाबीन, आँत के बैक्टीरिया।
जल में घुलनशील विटामिन
Vitamin Cनींबू-वंश के फल, टमाटर, सब्जियाँ, आलू, अन्य फल।
Vitamin B1अनाज, फलियाँ, सोयाबीन, अण्डे, मांस।
Vitamin B2पनीर, अण्डे, यीस्ट, हरी पत्तियाँ, दूध, जिगर, मांस।
Vitamin B3अण्डे, जिगर, मांस, दूध, टमाटर, मूँगफली, गन्ना।
Vitamin B5यीस्ट, मांस, जिगर, मछली, अण्डे, दूध, मटर, मेवा, फलियाँ।
Vitamin B6दूध, यीस्ट, अनाज, मांस, जिगर।
Vitamin B9हरी पत्तियाँ, जिगर, सोयाबीन, यीस्ट, गुर्दे, फलियाँ।
Vitamin B12मांस, मछली, जिगर, अण्डा, दूध, आँत के बैक्टीरिया।
Vitamin Hमांस, गेहँू, अण्डा, मूँगफली, चाॅकलेट, सब्जी, फल।

दोस्तो क्या आपको पता है कि विटामिन हमारे शरीर की कार्यिकी पर किस प्रभाव डालते है। तो चलिए यह भी जान लेते है। जो निम्न प्रकार है:

विटामिन का कार्यिकी पर प्रभाव (Effect of Vitamin on Physics in Hindi)

विटामिनकार्यिकी पर प्रभाव
वसा में घुलनशील विटामिन
Vitamin Aकैरोटीन रंगाओं से जिगर व आंत्रीय श्लेष्मा की कोशिकाओं में निर्माण, दृष्टि रंगाओं का संश्लेषण, एपिथीलियमी स्तरों की वृद्धि एवं विकास।
Vitamin Dकैल्शियम व फाॅस्फोरस का उपापचय, हड्डियों और दाँतों की वृद्धि।
Vitamin Eकोशाकला की सुरक्षा, जननिक एपिथीलियम की वृद्धि, पेशियों की क्रियाशीलता।
Vitamin Kजिगर में प्रोथ्राॅम्बिन का संश्लेषण।
जल में घुलनशील विटामिन
Vitamin Cअन्तराकोशीय सीमेंट, कोलैजन तन्तुओं, हड्डियों के मैट्रिक्स, दाँतों के डेन्टीन का निर्माण।
Vitamin B1कार्बोहाइड्रेट एवं वसा उपापची प्रति क्रियाओं के सहएन्जाइम्स का घटक।
Vitamin B2उपापचय में महत्वपूर्ण सहएन्जाइम्स ‘एफएडी’ तथा ‘एफएनएम’ का घटक।
Vitamin B3कैटैबोलिज्म के कोएन्जाइम-‘ए’ का घटक।
Vitamin B5उपापचय में महत्वपूर्ण सहएन्जाइम्स NAD तथा NADP का घटक।
Vitamin B6अमीनों अम्ल अपापचय में सहएन्जाइम।
Vitamin B9वृद्धि रुधिराणुओं का निर्माण, ‘डीएनए’ का संश्लेषण।
Vitamin B12वृद्धि रुधिराणओं का निर्माण, न्यूक्लीक अम्लों का संश्लेषण।
Vitamin Hवसीय एवं अमीनों अम्लों सहित कई अन्य पदार्थों की संश्लेषण प्रतिक्रियाओं में सहएन्जाम।

अब हम जल में घुलनशील विटामिन्स को व्याख्यात्मक रूप से अध्ययन करते है।

जल में घुलनशील विटामिन (Water-Soluble Vitamins)

(अ) Vitamin B-काॅम्प्लेक्स

(ब) Vitamin C

(अ) Vitamin B-काॅम्प्लेक्स

जल में घुलनशील और नाइट्रोजन सर्वप्रथम ज्ञात विटामिन को विटामिन ‘‘बी’’ कहा गया। बाद में लगभग 13 और विटामिन्स  की खोज हुई तथा इन सबको ‘‘B-काॅम्लेक्स’’ का सामूहिक नाम दिया गया। इनमें अधोलिखित समानताएँ पायी जाती हैं। यथा –

  1. इनमें लगभग सभी को-एन्जाइम का निर्माण करती हैं।
  2. लिपोइक अम्ल को छोड़कर सभी जल में विलेय हैं।
  3. इनमें से अधिकांश विटामिन खमीर और यकृत में उपलब्ध होते हैं।
  4. इनमें से अधिकांश का संश्लेषण आन्त्रीय सूक्ष्म जीवों द्वारा हो जाता हैं। यहाँ प्रस्तुत है- परीक्षोपयोगी प्रमुख बी काॅम्प्लेक्स विटामिन्स का वर्णन। यथा-

(क) Vitamin B1 या थायमीन

फुन्क ने सन् 1912 में ही इसे चावल की छीलन से तैयार किया। इसकी आणविक रचना विलियम्स (Williams) ने सन् 1930 में ज्ञात की तथा इसके शुद्ध रवे जैन्सन ने तैयार किये। ध्यातव्य है कि थाइमिन को शोथरोधी (Antineuritic) या एन्यूरिन (Aneurin) की भी संज्ञा प्रदान की गई है।

  • हमें यह अनाज के छिलकों, मांस, मेवा, सोयाबीन, मछली, अण्डों, आदि से मिलता है।

  • हमारा केन्द्रीय तांत्रिक-तंत्र ऊर्जा के लिए लगभग पूरी तरह कार्बोहाइड्रेट मेटाबोलिज्म पर निर्भर करता है। अंतः इस विटामिन की कमी से तंत्रिका-तंत्र और पेशियों का कार्य बिगड़ जाता है। जिससे लकवे (paralysis) तक की आशंका हो सकती है।

  • हृदपेशियों के क्षीण हो जाने से दिल की घड़कन बन्द हो सकती हैं अपच तथा कब्ज हो सकती है। इन्हीं तीन लक्षणों को सामूहिक रूप से बेरी-बेरी (beri-beri) का रोग कहते हैं।

(ख) Vitamin B2 (Riboflavin)

  • यह गहरे पीले रंग का और ऑक्सीकर मेटाबोलिज्म अर्थात् अपचय में भाग लेने वाले सहएन्जाम्स FAD तथा FMN का एक घटक होता है। अतः यह वृद्धि और स्वास्थ्यवर्धक होता है।

  • यह पनीर, अण्डों, यीस्ट, हरी पत्तियों, जिगर, मांस, दूध आदि में मिलता है।

  • इसकी कमी से मुँह के कोण फट जाते हैं (किलोसिस – cheilosis)।

  • कमजोर पाचन-शक्ति, त्वचा व आँखों में जलन, सिरदर्द, दिमागी क्षीणता, रक्तक्षीणता, कमजोर स्मृति तथा होंठों और नासिका पर पपड़ीदार त्वचा इस विटामिन की कमी के अन्य लक्षण होते हैं।

(ग) Vitamin B5 (Nicotinic acid)

  • इसे नियासिन या विटामिन पीपी (Niacin or Vitamin ‘PP’) भी कहते है।

  • यह ऑक्सीकर मेटाबोलिज्म में भाग लेने वाले NAD तथा NADP नामक सहएन्जाइम का एक घटक होता है।

  • यह ताजा मांस, जिगर, मछली, अण्डों, दूध, मटर, मेवा, फलियों आदि में मिलता है।

  • इसकी कमी से चर्मदाह अर्थात् पेलाग्रा (pellagra) रोग हो जाता है जिसमें जीभ और त्वचा पर दाने और पपड़ियाँ पड़ जाती हैं। पाचन शक्ति कमजोर हो जाने से अतिसार (diarrhoea) हो जाता है, तथा तंत्रिका-तंत्र के क्षीण हो जाने से पागलपन (dementia) तक हो सकता है।

(घ) Vitamin B6 (Pyridoxine)

  • यह अमीनों अम्लों के मेटाबोलिज्म में महत्वपूर्ण भाग लेने वाले एन्जाइम्स का सहएन्जाइम होता है।

  • यह दूध, अनाज, मांस, मछली, जिगर, यीस्ट, सब्जियों आदि में मिलता है।

  • इसकी कमी से रक्तक्षीणता (Anemia), चर्म रोग (dermatitis), पेशीय ऐंठन (convulsions), मतली, कै, पथरी (Kidney stones) आदि रोग हो जाते हैं।

  • आँत के बैक्टीरिया भी इसका संश्लेषण करते हैं। अतः इसकी प्रायः कमी नहीं होती।

(च) Vitamin B3 (Pantothenic acid)

  • यह सभी प्रकार के पोषण पदार्थों के ऑक्सीकर मेटाबोलिज्म में भाग लेने वाले महत्वपूर्ण सहएन्जाइम ‘ए’ (coenzyme ‘A’) का घटक होता है।

  • यह सभी प्रकार के खाद्य-पदार्थों में होता है, परन्तु जिगर, गुर्दो, अण्ड़ों मांस, दूध, मूँगफली, गन्ने, अनाज शकरकन्दी आदि में अधिक मिलता है।

  • इसकी कमी शरीर में प्रायः नहीं होती है। फिर भी कमी होने पर चर्म रोग, मन्द बुद्धि, हाथ-पैरों में सुन्नता, थकावट, बाल सफेद तथा जनन क्षमता कम हो जाती है।

(छ) Vitamin H

  • यह ग्लाइकोजन, वसीय अम्लों, अमीनों अम्लों तथा पिरिमिडीन के संश्लेषण में भाग लेने वाले एन्जाइम्स का सहएन्जाइम होता है।

  • यह सब्जी, फलों, गेहूँ, चाॅकलेट, अण्डों, मूँगफली, मांस आदि में होता है।

  • आँत के बैक्टीरिया भी इसका संश्लेषण करते हैं।

  • इसकी कमी से त्वचा-रोग, बालों का झड़ना तथा कमजोरी हो जाती है।

(ज) फोलिक अम्ल समूह (Folic acid group)

ये रुधिराणुओं के निर्माण तथा ‘डीएनए (DNA)’ के संश्लेषण में आवश्यक होते हैं। इसे B9 भी कहा जाता है।

  • ये हरी पत्तियों, सोयाबीन, यीस्ट, गुर्दो, फलियों तथा जिगर आदि में मिलते हैं।

  • इनकी कमी से वृद्धि कम और रक्तक्षीणता (Anemia) हो जाती है।

(झ) Vitamin B12

साइनोकोबालएमीन न्यूक्लीक अम्लों (DNA, RNA) के संश्लेषण तथा रुधिराणुओं के निर्माण में भाग लेने वाले एन्जाइम्स का सहएन्जाइम होता है। अतः यह वृद्धि के लिए आवश्यक होता है। रक्तक्षीणता (Anemia) के उपचार में इसके इन्जेक्शन लगाते हैं। इसकी कमी से तंत्रिका-तंत्र की कार्यिकी भी गड़बड़ा जाती है।

  • यह माँस, मछली, जिगर, अण्डों, दूध, पनीर आदि में मिलता है।

  • आँत के बैक्टीरिया भी इसका संश्लेषण करते हैं।

(ब) Vitamin C (Ascorbic acid)

  • सबसे पहले इसी विटामिन की खोज हुई। इसका प्रमुख कार्य ऊतकों में कोशाओं को परस्पर बाँधें रखने वाले अन्तराकोशीय पदार्थ (intercellular substance) के मैट्रिक्स (matrix) कोलैजन तन्तुओं, हड्डियों के मैट्रिक्स और दाँतों के डेन्टीन के निर्माण को सामान्य अवस्था में बनाये रखने का है। सम्भवतः यह विटामिन इन पदार्थो के संश्लेषण से सम्बंधित प्रतिक्रियाओं के एन्जाइमों का सहएन्जाइम होता है।

  • लौह मेटाबोलिज्म का नियंत्रण करके यह लाल रुधिराणुओं के निर्माण में भी सहायता करता है।

  • स्कर्वी में सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव घावों के न भरने का होता है। कोलैजन तन्तुओं एवं अन्तराकोशीय पदार्थ की कमी से घावों के भरने में महीनों लग जाते हैं।

  • इस रोग के दूसरे प्रभाव में हड्डी एवं दाँतों की वृद्धि रुक जाती है। इससे हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं और टूटी हड्डी का जुड़ना कठिन हो जाता है।

  • तीसरे प्रभाव में रक्तक्षीणता (Anemia) हो जाती है और रुधिर केशिकाओं (blood capillaries) की दीवार के क्षीण हो जाने से ये फटने लगती हैं।

  • इसके अतिरिक्त शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता (immunity) और जनन क्षमता कम हो जाती है। पेशियाँ फटने लगती हैं, मसूड़े फूलने और दाँत गिरने लगते हैं, खून की कै होने लगती है, मल के साथ खून जाने लगता है, जोड़ों में सूजन हो जाती है और तीव्र ज्वर हो जाता है।

  • यह नींबू, सन्तरे, मुसम्मी, टमाटर, हरी मिर्च तथा अन्य हरी सब्जियों, आलू तथा अनेक फलों में मिलता है।

 

वसा में घुलनशील विटामिन (Fat-Soluble Vitamin)

(क) Vitamin A (Retinol)

  • यह अत्यधिक असंतृप्त एल्कोहल है, जो वसा में घुलनशील होता है।

  • पादप के कैरोटीन रंजक से इसका संश्लेषण होता है।

  • जन्तु के यकृत एवं आत्रीय श्लेष्मा की कोशिकाओं में यह संचित रहता है।

  • हम इसे, दूध, मक्खन, अण्डों की जर्दी, जिगर, मछलियों के तेल आदि से भी प्राप्त कर सकते हैं।

  • इसका प्रमुख कार्य दृष्टि-रंगाओं (visual pigments) के संश्लेषण में भाग लेना होता है।

  • इसकी कमी से रतौंधी (night blindness) हो जाती है।

  • त्वचा, काॅर्निया आदि में कोशाएँ सूखने लगती हैं और शल्कीभवन (keratinizati) हो जाता है। काॅर्निया के शल्कीभवन को जीरोफ्थैल्मिया रोग (Xerophthalmia-dry eyes) कहते हैं।

  • इस विटामिन की कमी से शिशुओं में वृद्धि रुक जाती है, ग्रन्थियाँ निष्क्रिय हो जाती हैं, नर सदस्यों में जनन क्षमता कम हो जाती है और गुर्दों में पथरी पड़ जाती है। कमजोर एपिथीलियमी स्तरों पर जीवाणुओं आदि का संक्रमण हो जाता है। इसीलिए, इस विटामिन को ‘‘संक्रमणरोधी विटामिन (anti-infection vitamin)’’ भी कहते है।

(ख) Vitamin D (Calciferol Group)

जन्तुओं में दो सक्रिय ‘डी’ Vitamin D होते हैं – कोलीकैल्सीफेराॅल तथा अर्गोकैल्सीफेराॅल। कोलीकैल्सीफेराॅल का संश्लेषण जन्तु स्वयं अपनी त्वचा-कोशाओं में 7-डीहाइड्रोकोलेस्ट्राॅल नामक पदार्थ से करते हैं। यह क्रिया सूर्य-प्रकाश की पराबैंगनी किरणों के प्रभाव से होती है। इसलिए, इसे ‘‘धूप का विटामिन (Sunshine Vitamin)’’ कहते हैं। मक्खन, जिगर, गुर्दो, अण्डों की जर्दी, मछली के तेल आदि में भी यह मिलता है।

  • अर्गोकैल्सीफेराॅल का संश्लेषण, सूर्य-प्रकाश की पराबैंगनी किरणों के प्रभाव से, अर्गोस्ट्राॅल (ergosterol) नामक पदार्थ से यीस्ट कोशाएँ करती हैं।

  • यह विटामिन आहारनाल में भोजन से फाॅस्फोरस तथा कैल्शियम के अवशोषण और अस्थिनिर्माण के लिए आवश्यक होते हैं। अतः ये दाँतों एवं हड्डियों के स्वरूप और विकास में महत्वपूर्ण होते हैं। इनकी कमी से बच्चों में सूखा रोग (rickets) हो जाता है जिससे हड्डियाँ क्षीण, लचीली और टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती हैं।

  • Vitamin D के अभाव में टिटैनी (Titany) रोग (अर्थात् कैल्शियम का उत्सर्जन बढ़ जाना) हो जाता है। D3 के अभाव में सिलियक रोग हो जाता है, इसमें अस्थियों में विकृतियाँ तथा बौनापन विकसित हो जाता है।

  • वयस्कों में भी इसकी कमी से हड्डियाँ क्षीण और लचीली हो जाती हैं। इस दशा को ओस्टिओमैलैसिया (Osteomalacia) कहते हैं।

(ग) Vitamin E (Tocopherol)

  • यह कोशाकला की सुरक्षा, जननिक एपीथिलियन की वृद्धि तथा पेशियों की क्रियाशीलता में सहायक होता है।

  • ये तेल, गेहूँ, सोयाबीन और अण्डों की जर्दी में मिलते हैं।

  • इसकी कमी से पुरूष एवं स्त्री दोनों में बन्ध्यता उत्प्नन हो जाती हैं पुरुष में शुक्राणु एवं शुक्रजन्न नलिकायें प्रभावित होती है जबकि स्त्री में निषेचन के कुछ समय बाद भ्रूणनष्ट हो जाता है। अतः इन्हें बाॅझपन-रोधी (Antisterility) विटामिन भी कहा जाता है।

(घ) नैफ्थोक्विनोन (Vitamin K)

यह यकृत में प्रोथ्राॅम्बिन नामक पदार्थ के निर्माण में भाग लेता है। अतः यह चोट पर रक्त-थक्के के जमने के लिए आवश्यक होता है। इसे इसीलिए रक्तस्त्राव-रोधी पदार्थ (antihaemorrhagic factor) कहते हैं।

  • हरी पत्तियों, टमाटर, गोभी, सोयाबीन, जिगर, अण्डों की जर्दी तथा पनीर में यह काफी होता है।

  • आँत के बैक्टीरिया भी का संश्लेषण करते हैं।

  • इसकी कमी वाले व्यक्तियों का आॅपरेशन आसानी से नहीं किया जा सकता, क्योंकि अधिक रक्त बह जाने का डर बना रहता है अर्थात् वह हीमोफीलिया रोग का शिकार होता है।

तो दोस्तों अब हम बढ़ते है परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रश्नों की ओर जो अधिकांशतः प्रतियोगी परिक्षाओं में पूछे जाते है।

परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: किस विटामिन को एन्टी कैंसर विटामिन की संख्या दी गई हैं ?
उत्तर: Vitamin B17


प्रश्न 2: किस विटामिन को प्रतिएस्कार्बिटिक कारक की उपमा प्रदान की गई है ?
उत्तर: Vitamin C को


प्रश्न 3: किस विटामिन की कमी से ‘‘Fatty Liver’’ का विकास होता है ?
उत्तर: कोलीन की कमी


प्रश्न 4: किस विटामिन को Anti-alopecia factor की संज्ञा प्रदान की गई है ?
उत्तर: इनोसिटाल


प्रश्न 5: किस विटामिन को ‘Vitamin in another Vitamin’ कहते हैं ?
उत्तर: पैरा-एमीनो बेन्जोइक अम्ल (PABA) को


प्रश्न: 5 Depression, irritibility, Nervousness, Mental Confusion, Convulsions, Demyelination of Neurons, decrease of hemoglobin level, hypocromic microcytic anaemia जैसे लक्षण किस विटामिन की कमी से प्रकट होते हैं ?
उत्तर: पिरिडाक्सिन (Vitamin B6)


प्रश्न 6: किन दो विटामिन का मानव शरीर में संश्लेषण हो जाता है ?
उत्तर: नियासिन तथा Vitamin D


प्रश्न 7: चावल के धोने से कौन-सा विटामिन नष्ट हो जाता है ?
उत्तर: थाइमीन या Vitamin B1


प्रश्न 8: बेरी-बेरी रोग के क्या लक्षण हैं ?
उत्तर: तंत्रिका तंत्र एवं पेशियों का कार्य बिगड़ना, हृदयपेशियों का क्षीण होना और अपच तथा कब्ज।


प्रश्न 9: अनाज के छिलके में मुख्यतः कौन-सा विटामिन पाया जाता है ?
उत्तर: थाइमीन या Vitamin B1


प्रश्न 10: विटामिन-जी किस विटामिनी की एक अन्य संज्ञा है ?
उत्तर: राइबोफ्लैविन या Vitamin B2


प्रश्न 11: नियासिन विटामिन की अन्य अपमायें कौन-साी है ?
उत्तर: निकोटिक अम्ल या विटामिन-पीपी


प्रश्न 12: जीभ व त्वचा पर दाने और पपड़ियाँ पड़ना किस विटामिन की कमी का लक्षण है ?
उत्तर: निकोटिक अम्ल या नियासिन का


प्रश्न 13: Vitamin B6 का रासायनिक नाम क्या है ?
उत्तर: पाइरिडाॅक्सीन


प्रश्न 14: फोलिक अम्ल की कमी से कौन-सा रोग हो जाता है ?
उत्तर: एनीमिया तथा वृद्धि कम होना


प्रश्न 15: मानव के आँत में निवास करने वाले जीवाणु किन-किन विटामिनों का संश्लेषण करते हैं ?
उत्तर: Vitamin B1, Vitamin B6 तथा बायोटिन (Vitamin B7) आदि


प्रश्न 16: किस विटामिन की कमी से घाव नहीं भरते हैं ?
उत्तर: Vitamin C


प्रश्न 17: किस विटामिन की कमी से शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली तथा जनन क्षमता कम हो जाती है ?
उत्तर: ऐस्काॅर्बिक अम्ल


प्रश्न 18: संक्रमणरोधी विटामिन (Anti-Infection Vitamin) किसे कहते हैं ?
उत्तर: Vitamin A को


प्रश्न 19: किस विटामिन की कमी से ओस्टिओमैलेशिया नामक रोग हो जाता है ?
उत्तर: Vitamin D


प्रश्न 20: सूर्य की पैराबैंगनी किरणों के प्रभाव से सर्वप्रथम त्वचा कोशिकाओं में किस प्रोविटामिन का निर्माण होता है ?
उत्तर: 7-डी हाइड्रोकोलेस्ट्राल


प्रश्न 21: Vitamin-K का रासायनिक नाम क्या है ?
उत्तर: नैफ्थोक्विनोन


प्रश्न 22: बाँझपन रोधी विटामिन का रासायनिक नाम क्या है ?
उत्तर: टोकोफेराॅल


प्रश्न 23: अब तक लगभग कितने विटामिन ज्ञात हो चुके हैं ?
उत्तर: 25


प्रश्न 24: Vitamin D3 तथा D2 का रासायनिक नाम क्या है ?
उत्तर: कोलीकैल्सीफेराॅल एवं अर्गोकैल्सीफेराॅल


प्रश्न 25: Vitamin A का पूर्वग (Precursors) क्या है ?
उत्तर: कैरोटीन


प्रश्न 26: जीरोफ्थैल्मिया, किरैटोमलेशिया, रिनोडर्मा तथा निक्टैलोपिया किस विटामिन की कमी से होने वाले प्रमुख रोग हैं ?
उत्तर: Vitamin A


प्रश्न 27: शरीर में कैल्सियम एवं फास्फोरस के अवशोषण एवं उपयोग को कौन-सा विटामिन नियमित करता है ?
उत्तर: Vitamin D


प्रश्न 28: सिलियक रोग (Celiac disease) किस विटामिन की कमी से होता है ?
उत्तर: Vitamin D3

क्या आप जानते है कि हमें दैनिक जीवन में विटामिन्स की कितनी मात्रा की आवश्यकता होती है ? अगर नहीं तो नीचे चार्ट को देखिए-

विटामिनदैनिक आवश्यकता
Vitamin A 3000-4000 I.U.
Vitamin B11.0-2.0 मिलीग्राम
Vitamin B21.5 मिलीग्राम
Vitamin B510.0 मिलीग्राम
Vitamin B121.2 मिलीग्राम
फोलिक अम्ल5.0 मिलीग्राम
Vitamin C50.0 मिलीग्राम
Vitamin D400-800 I.U.
I.U. = International Unit.

तो दोस्तों आज हमने विटामिन (Vitamin in Hindi) के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त की। अगर आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगी। तो आप काॅमेंट बाॅक्स में जरूर बताएँ और इसी प्रकार की बेहतरीन जानकारी के लिए हमारे साथ बने रहें। अगर आपका कोई प्रश्न है तो भी आप काॅमेंट करके पूछ सकतें है। हम आपका उत्तर जरूर देंगे।

धन्यवाद !

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