हैल्लो दोस्तों, आज हम ऊर्जा और ऊर्जा के प्रकारों के बारे में जानकारी प्राप्त करने वाले है जिसमें हम ऊर्जा किसे कहते है (What is Energy in Hindi) प्रश्न को अच्छे से समझेंगें और ऊर्जा के विभिन्न प्रकारों के बारे में चर्चा करेंगें। दोस्तों गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जा से संबंधित प्रश्न भी परीक्षा में अधिकतर पूछा जाता है, तो हम इन्हें भी अच्छे से समझेंगें। तो चलिए बढ़ते है आज के आर्टिकल की ओर।
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ऊर्जा किसे कहते है ? (What is Energy in Hindi)

Urja Kise Kahate Hain – परिभाषा : ‘‘किसी वस्तु में उसकी विशेष स्थिति अथवा गति के कारण कार्य करने की क्षमता पाई जाती है। वस्तु द्वारा कार्य करने की कुल क्षमता को ऊर्जा कहते है।’’
किसी वस्तु में विद्यमान ऊर्जा का मापन उस कार्य से किया जाता है, जितना कि वह कर सकती है, जबकि वह कार्य करने के योग्य न रहे। अर्थात् ऊर्जा कार्य के कुल परिमाण को बताती है।
- Energy in Hindi : ऊर्जा
- Urja in Hindi : Energy
ऊर्जा का मात्रक क्या है ?
चूँकि ऊर्जा कार्य के कुल परिमाण को बताती है इसलिए ऊर्जा के भी वही मात्रक होते है जो कार्य के है। अन्तर्राष्ट्रीय पद्धति में ऊर्जा का मात्रक जूल है। जिसे J (Capital) से प्रदर्शित किया जाता है।
नोट : ऊर्जा के अन्य मात्रक किलोवाट घण्टा (kWh) तथा इलेक्ट्राॅन वोल्ट (eV) भी होते है।
तो दोस्तों अब हम एक ऐसे प्रश्न के बारे में विस्तार से समझेंगें जो अधिकतर प्रतियोगी परिक्षाओं में पूछा जाता है। जो निम्न प्रकार है :
1 किलोवाट घंटा में कितने जूल होते है ?
1 किलोवाट घंटा में जूल होते है।
1 इलेक्ट्राॅन वोल्ट में कितने जूल होते है ?
1eV = 1 इलेक्ट्राॅन आवेश ×1 वोल्ट विभवान्तर
ऊर्जा का विमीय सूत्र क्या है ?
ऊर्जा = बल × विस्थापन
बल की विमा =
विस्थापन की विमा =
ऊर्जा =
अतः ऊर्जा का विमीय सूत्र = है।
ऊर्जा के प्रकार (Types of Energy)
ऊर्जा के कई रूप (Types of Energy) होते है जैसे यांत्रिक ऊर्जा, आन्तरिक ऊर्जा, वैद्युत ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा, ध्वनि ऊर्जा, प्रकाश ऊर्जा, सौर ऊर्जा, ऊष्मीय एवं नाभिकीय ऊर्जा इत्यादि। प्रकृति में होने वाली विभिन्न घटनाओं में ऊर्जा एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरित होती रहती है।
- ध्वनि ऊर्जा
- रासायनिक ऊर्जा
- प्रकाश ऊर्जा
- सौर ऊर्जा
- नाभिकीय ऊर्जा
- यांत्रिक ऊर्जा
- आन्तरिक ऊर्जा
- गतिज ऊर्जा
- स्थितिज ऊर्जा
ध्वनि ऊर्जा
यह ऊर्जा का ऐसा रूप है जिससे हमारे कानों में संवेदना उत्पन्न होती है। वास्तव में ध्वनि ऊर्जा, ध्वनि संचरण में प्रयुक्त माध्यम के कणों की कम्पन ऊर्जा है।
रासायनिक ऊर्जा
रासायनिक क्रियाओं से मिलने वाली ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा कहते है।
प्रकाश ऊर्जा
विकिरण ऊर्जा के दृश्य भाग को प्रकाश ऊर्जा कहते है। यह आँख के रेटीना पर संवेदना उत्पन्न करती है।
सौर ऊर्जा
गैलेक्सीज तथा सूर्य से मिलने वाली ऊर्जा, सौर ऊर्जा कहलाती है। सौर ऊर्जा मूलतः नाभिकीय संलयन से प्राप्त होती है।
नाभिकीय ऊर्जा
नाभिक में नाभिकीय कणों के मध्य कार्यरत नाभिकीय बलों के कारण ऊर्जा को नाभिकीय ऊर्जा कहते हैं। नाभिकीय ऊर्जा दो प्रकार की होती है।
- नाभिकीय विखण्डन ऊर्जा
- नाभिकीय संलयन ऊर्जा
नाभिकीय विखण्डन ऊर्जा
दोस्तों नाभिकीय विखण्डन में जब U235 पर मन्दगामी न्यूट्राॅन से संघात कराया जाता है तो नाभिक का हल्के नाभिकों में विखण्डन हो जाता हैं इस प्रक्रिया में द्रव्यमान की क्षति होती है। द्रव्यमान की यह क्षति ही नाभिकीय ऊर्जा के रूप में रूपान्तरित होकर उत्सर्जित होती है।
नाभिकीय संलयन ऊर्जा
दोस्तों नाभिकीय संलयन में छोटे नाभिकों के संलयन से बड़ा नाभिक बनता है, इस प्रक्रिया में भी द्रव्यमान की क्षति होती है जो नाभिकीय ऊर्जा के रूप में रूपान्तरित होकर उत्सर्जित होती है।
यांत्रिक ऊर्जा
किसी वस्तु में ऊर्जा, वस्तु की गति के कारण अथवा किसी बल क्षेत्र में उसकी स्थिति या उसके अभिविन्यास के कारण हो सकती है। इन अवस्थाओं के कारण वस्तु में उत्पन्न ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा कहते है।
उदाहरण: घर की छत पर स्थित पानी के टैंक में पानी की ऊर्जा, गतिशील गोली की ऊर्जा, बाल पेन में लगी छोटी स्प्रिंग की ऊर्जा, गतिशील वायु की ऊर्जा इत्यादि यांत्रिक ऊर्जा के ही रूप हैं।
आन्तरिक ऊर्जा
प्रत्येक पदार्थ छोट-छोटे अणुओं से मिलकर बना होता है। द्रव या गैस में अणुओं की अनियमित गति के कारण तथा ठोस में अणुओं की अनियमित गति के कारण तथा ठोस में अणुओं की कम्पनिक गति के कारण इनमें गतिज ऊर्जा होती है। इसे पदार्थ की आन्तरिक गतिज ऊर्जा कहते है। अणुओं के मध्य आकर्षण बल के कारण इनमें आन्तरिक स्थितिज ऊर्जा भी होती है।
इस प्रकार की किसी पदार्थ की कुल आन्तरिक ऊर्जा, उस पदार्थ की आन्तरिक गतिज ऊर्जा तथा आन्तरिक स्थितिज ऊर्जा के योग के बराबर होती है। आन्तरिक गतिज ऊर्जा तथा आन्तरिक गतिज ऊर्जा का मान पदार्थ के ताप पर निर्भर करता है जबकि आन्तरिक स्थितिज ऊर्जा, अणुओं के बीच की दूरी पर निर्भर करती है।
तो दोस्तों अब हम गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जा के बारे में जानकारी प्राप्त करने वाले है। जिनके बारे में हमें ज्ञात होना आवश्यक है।
गतिज ऊर्जा किसे कहते है ?
किसी वस्तु में गति के कारण जो निहित ऊर्जा होती है उसे गतिज ऊर्जा कहते है। गतिशील वाहन, गिरते हुए पत्थर आदि में विद्यमान ऊर्जा, गतिज ऊर्जा के उदाहरण है।
गतिज ऊर्जा का माप, कार्य की उस मात्रा से करते हैं जो वह वस्तु अपनी वर्तमान स्थिति से विराम अवस्था में आने तक करती है या कार्य की वह मात्रा जो इस वस्तु को विराम अवस्था से इस अवस्था तक लाने में करनी पड़ती है, यही वस्तु की गतिज ऊर्जा होती है।
गतिज ऊर्जा का सूत्र (K) :
स्थितिज ऊर्जा किसे कहते है ?
किसी संरक्षी बल क्षेत्र में स्थित वस्तु के लिए उसकी स्थिति अथवा अभिविन्यास के कारण निहित ऊर्जा को उस वस्तु की स्थितिज ऊर्जा कहते है।
वस्तुतः स्थितिज ऊर्जा बल क्षेत्र प्रदायक एवं वस्तु से बने निकाय की स्थितिज ऊर्जा होती है। किसी वस्तु में संचित स्थितिज ऊर्जा उसे किसी बल के अन्तर्गत एक अवस्था से दूसरी अवस्था तक ले जाने में किये गये कार्य द्वारा मापित की जाती है। वस्तु के विस्थापन की अवस्था के अन्तर्गत कार्यरत बल एक आन्तरिक संरक्षी बल होता है जिससे विस्थापन अवधि में किये गये इस कार्य का घर्षण इत्यादि के विरूद्ध क्षय न हो। वास्तविक रूप से किसी वस्तु को इसकी एक अवस्था से दूसरी अवस्था तक विस्थापित करने में आन्तरिक संरक्षी बलों द्वारा किये गये कार्य का ऋणात्मक मान, इसकी स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तन के तुल्य होता है।
बल क्षेत्र की प्रकृति के आधार पर स्थितिज ऊर्जा अनेक प्रकार की हो सकती है जैसे गुरूत्वीय स्थितिज ऊर्जा, प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा, वैद्युत स्थितिज ऊर्जा, चुम्बकीय स्थितिज ऊर्जा, रासायनिक स्थितिज ऊर्जा इत्यादि।
तो दोस्तो आज के आर्टिकल में हमने ऊर्जा (Energy in Hindi) और ऊर्जा के प्रकार के बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त की। मुझे आशा है कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी पंसद आयी होगी। अगर आपका कोई प्रश्न है तो आप नीचे काॅमेन्ट करके पूछ सकते है। हम आपके प्रश्न का उत्तर अवश्यक देंगें।
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धन्यवाद !
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