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पोषण किसे कहते हैं : पोषण की परिभाषा क्या है, पोषण के प्रकार और वर्गीकरण – What is Nutrition in Hindi

Author: EduTzar | On:26th May, 2021| Comments: 0

नमस्कार दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में हम पोषण(Nutrition) के बारे में जानकारी प्राप्त करने वालें है। जिसमें हम पोषण क्या है(poshan kya hai), पोषण किसे कहतें है(poshan kise kahate hain), पोषण की परिभाषा क्या है(poshan ki paribhasha), पोषक तत्व क्या है(poshak tatva kya hai), पोषक तत्व किसे कहते हैं(poshak tatva kise kahate hain), पोषक तत्व की परिभाषा(poshak tatva ki paribhasha), पोषक तत्व के प्रकार(poshak tatva ke prakar), पोषक तत्व के कार्य(poshak tatva ke karya), पोषण के कितने प्रकार है(poshan ke prakar), पोषण और पोषक तत्वों का वर्गीकरण(poshak tatvon ka vargikaran) आदि बातों के बारे में हम विस्तार से चर्चा करने वालें है। तो चलिए बढ़तें है आज के आर्टिकल की ओर…Nutrition in Hindi

Table of Content

  • पोषण क्या है – Poshan kya hai
    • पोषण किसे कहते हैं – Poshan kise kahate hain
  • पोषक तत्व क्या है – Poshak tatva kya hai
    • पोषक तत्व किसे कहते हैं – Poshak tatva kise kahate hain
    • पोषक तत्त्वों के प्रकार – Poshak tatva ke prakar
  • पोषक तत्व व उनके कार्य – Poshak tatva ke karya
    • कार्बोहाइड्रेट क्या है ?
      • कार्बोहाइड्रेट के गुण
    • कार्बोहाइड्रेट के प्रकार
      • मोनोसैकेराइड किसे कहते हैं ?
      • डाईसेकेराइड किसे कहते हैं ?
      • पॉलीसेकेराइड किसे कहते हैं ?
      • कार्बोहाइड्रेट का पाचन कैसे होता है ?
        • अस्पताल में मरीज को ग्लूकोज क्यों दिया जाता है ?
    • वसा क्या है ?
    • प्रोटीन क्या है ?
      • प्रोटीन के गुण
        • पोषण में ऊर्जा प्रदान करने वाले पदार्थ
      • श्वसनीय पदार्थों में ऊर्जा ?
    • विटामिन क्या है ?
    • विटामिन के प्रकार
      • वसा में घुलनशील
      • जल में घुलनशील
    • जल क्या है ?
    • खनिज व लवण क्या है ?
    • रेशे क्या है ?
  • पोषण के प्रकार – Poshan Ke Prakar
    • जंतुओं में पोषण
      • स्वपोषी पोषण/स्वपोषण किसे कहतें हैं ?
      • स्वपोषी पोषण के प्रकार
        • प्रकाशसंश्लेषी पोषण किसे कहतें हैं ?
        • रसायनसंश्लेषी पोषण किसे कहतें हैं ?
      • परपोषी पोषण या विषमपोषी किसे कहतें हैं ?
      • परपोषी या विषमपोषी पोषण के प्रकार
        • परजीवी किसे कहते हैं ?
        • परजीवी के प्रकार
          • बाह्य परजीवी किसे कहते हैं ?
          • अन्तः परजीवी किसे कहते हैं ?
        • मृतोपजीवी किसे कहते हैं ?
        • शाकाहारी किसे कहते हैं ?
        • मांसाहारी किसे कहते हैं ?
        • सर्वाहारी किसे कहते हैं ?
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पोषण क्या है – Poshan kya hai

Nutrition in Hindi
What is Nutrition in Hindi

Nutrition in Hindi : वह अध्ययन जिससे हमें यह ज्ञात होता है कि हमारे भोजन में कौन-कौनसे पोषक तत्त्व है, हमारे शरीर को कौन-कौनसे तत्त्व मिल रहें है, हम जो भोजन ग्रहण कर रहें है उससे हमारा शरीर स्वस्थ है या नहीं और हमारे शरीर में वृद्धि हो रहीं है या नहीं, हमारे भोजन में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व जैसे कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, खनिज, लवण और जल है या नहीं आदि का पता चलता है। उसे हम पोषण(Nutrition) कहतें है। पोषण ही वह है जिससे हमारे शरीर को ऊर्जा मिलती है। यह हमारे शरीर में महत्त्वपूर्ण पोषक तत्वों को ले जाने वाला कारक है। आसान भाषा में कहें तो “विभिन्न पोषक तत्वों को अपने भोजन के द्वारा ग्रहण करना ही पोषण(Poshan) कहलाता है।” इसे हम संतुलित आहार भी कहतें है।

पोषण किसे कहते हैं – Poshan kise kahate hain

Poshan kise kahate hain
Poshan kise kahate hain

Poshan ki Paribhasha : दोस्तों पोषण एक प्रक्रिया है जिसमें जीवों के द्वारा अपना भोजन ग्रहण किया जाता है तथा दैनिक जीवन में उस भोजन द्वारा प्राप्त की गई ऊर्जा का उपयोग किया जाता है। आसान भाषा में कहें तो “वह प्रक्रिया जिससे जीव-जंतु भोजन प्राप्त करतें है जिसमें विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व मौजूद हो तथा इस भोजन का उपयोग अपने दैनिक जीवन में करतें है, उसे ही पोषण(Nutrition in Hindi) कहतें है। पोषण ही किसी जीव की वृद्धि और विकास का मुख्य कारक है।

जैसा कि हमने पढ़ा कि पोषण के लिए हमें विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों की जरूर होती है तो चलिए ये भी जानें कि पोषक तत्व क्या है(Nutrients in Hindi) और पोषक तत्व किसे कहतें है, हमारे शरीर के लिए कौन-कौनसे पोषक तत्व(Nutrients) आवश्यक है और उनके कार्य(Work) को समझतें है।

पोषक तत्व क्या है – Poshak tatva kya hai

Nutrients in Hindi : दोस्तों हम भोजन करतें है तो उसका उद्देश्य यह होता है कि यह हमारे शरीर की वृद्धि और विकास मे सहायता करें। जब हम किसी भी प्रकार का भोजन ग्रहण करतें है तो उससे हमें पोषण प्राप्त होता है, जो पोषक तत्वों का ही समिश्रण होता है। संतुलित भोजन में यह पोषक तत्व रासायनिक पदार्थों के रूप में रहतें है। जिनकी लगभग संख्या 50 तक होती है, जिन्हें हम पोषक तत्व(Nutrients) कहतें है। आसान भाषा में कहें तो “संतुलित भोजन में पाए जाने वाले आवश्यक रसायनिक पदार्थ जो हमारे शरीर की वृद्धि में सहायक होतें है, वे ही पोषक तत्व है।”

पोषक तत्व किसे कहते हैं – Poshak tatva kise kahate hain

Poshak Tatva Ki Paribhasha : एक संतुलित आहार में उपब्लध विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थ जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, खनिज, लवण, जल, विटामिन और रेशे आदि सभी भोजन के अंग है, जिन्हें पोषक तत्व(poshak tatva) कहा जाता है। इन्हीं पोषक तत्वों से हमारे शरीर को ऊर्जा मिलती है और शरीर के अन्दर होने वाली सभी उपापचयी क्रियाएँ हो पाती है। परिभाषिक रूप में कहें तो “भोजन मे उपलब्ध वे तत्व जो हमारे शरीर की वृद्धि और विकास में सहायता करतें है, उन्हें पोषक तत्व कहतें है।”

पोषक तत्त्वों के प्रकार – Poshak tatva ke prakar

  • कार्बोहाइड्रेट/शर्करा(Carbohydrate/Sugars)
  • वसा(Fat)
  • प्रोटीन(Protein)
  • खनिज(Minerals)
  • लवण(Salt)
  • जल(Water)
  • विटामिन(Vitamin)
  • रूक्षांश(Rookage)
  • रेशे(Fibers)

पोषक तत्व व उनके कार्य – Poshak tatva ke karya

कार्बोहाइड्रेट क्या है ?

दोस्तों कार्बोहाइड्रेट(Carbohydrate) को हम शर्करा भी कहतें है। ये स्वाद में मीठे होतें है। कार्बोहाइड्रेट से हमें तुरन्त ऊर्जा मिलती है और ये हमारे शरीर के लिए जरूरी भी है।

  1. ग्लूकोज(Glucose)
  2. फ्रूक्टोज(Fructose)
  3. स्टार्च/मण्ड(Starch)
  4. सेल्युलोज(Cellulose)
  5. काइटीन(Kaitin)

उपरोक्त में कार्बोहाइड्रेटस के ही भाग है जो कार्बोहाइड्रेटस के अन्तर्गत ही आतें है।

  • सबसे मीठी शर्करा या कार्बोहाइड्रेट फ्रूक्टोज है।
  • फ्रूक्टोज फल से बनता है औैर फल से शहद बनता है।
  • गन्ने और चुकन्दर में सुक्रोज पाया जाता है और गन्ने से ही चीनी बनती है।
  • स्टार्च/मण्ड अनाज के बाहरी छिलके में पाया जाता है जिसे हम चोकर कहतें है। दवाओं के कैप्स्यूल चोकर का ही बना होता है।
  • सेल्युलोज पेड़-पौधों में पाया जाता है। पेड़-पोधों की छाल में सेल्युलोज पाया जाता है जिसे मानव द्वारा पचाना संभव नहीं है। पेड़-पोधों से ही कागज, नोट और वस्त्र बनता है।
  • मच्छी की बहारी भित्ति और तिलचट्टे का बहारी खोल काइटीन का बना होता है। सेल्युलोज की तरह ही काइटीन को भी मानव द्वारा पचा पाना संभव नहीं है।

कार्बोहाइड्रेट के गुण

  • दोस्तों कार्बोहाइड्रेट, कार्बन, ऑक्सीजन और हाइड्रोजन तीन चीजों से मिलकर बना होता है।
  • ग्लूकोज भी कार्बोहाइड्रेट ही होता है जिसका सूत्र C6H12O6 होता है।
  • कार्बोहाइड्रेट से ही हमें ऊर्जा मिलती है। 1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट से हमें 4.2 किलो कैलोरी ऊर्जा मिलती है।
  • हमारे द्वारा एक दिन जीवित रहने के लिए हमें 2500 किलो कैलोरी ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
  • धवक को अधिक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए 1 मुट्ठी चना खाना चाहिए। चूँकि चने में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन दोनों होतें हैै। मात्र एक मुट्ठी चनें में 200-250 किलो कैलोरी ऊर्जा होती है।

कार्बोहाइड्रेट के प्रकार

दोस्तों कार्बोहाइड्रेट को उनके अणुओं की संख्या तथा अणु संगठन के आधार पर निम्न तीन भागों में बाँटा गया है:

  • मोनोसैकेराइड(Monosaccharide)
  • डाईसेकेराइड(Disaccharide)
  • पॉलीसेकेराइड(Polysaccharide)

मोनोसैकेराइड किसे कहते हैं ?

“वे कार्बोहाइड्रेट जिन्हें मानव के द्वारा आसानी से पचाया जा सकता है, उन्हें मोनोसैकेराइड(Monosaccharide) कहा जाता है।” चूँकि मोनोसैकेराइड कार्बोहाइड्रेट एक ही अणु से मिलकर बने होते है इसलिए इन्हें पचाना आसान होता है। ग्लूकोज एक मोनोसैकेराइड कार्बोहाइड्रेट/शर्करा होता है।

डाईसेकेराइड किसे कहते हैं ?

“वे कार्बोहाइड्रेट जो कार्बोहाइड्रेट के दो अणु या दो अणुओं के जोड़े से मिलकर बनें होते है उन्हें डाईसेकेराइड(Disaccharide) कहा जाता है।” चूँकि डाईसेकेराइड कार्बोहाइड्रेट दो अणुओं के जोड़े से मिलकर बना होता है इसलिए मोनोसेकराइड की तुलना में इसे पचाना आसान नहीं होता है। फ्रूक्टोज और सुक्रोज डाईसेकेराइड की श्रेणी में आतें है।

पॉलीसेकेराइड किसे कहते हैं ?

“वे कार्बोहाइड्रेट जो कार्बोहाइड्रेट के दो अणुओं से अधिक जोड़ों से मिलकर बनें होते है उन्हें पॉलीसेकेराइड(Polysaccharide) कहा जाता है।” चूँकि हमारा शरीर केवल मोनोसैकेराइड को आसानी से और डाईसेकेराइड को थोड़ा जटिलता से पचा पाता है। इसलिए पॉलीसेकेराइड को पचा पाना हमारे शरीर के लिए संभव नहीं है। स्टार्च/मण्ड, सेल्युलोज और काइटीन पॉलीसेकेराइड की श्रेणी में आतें है। कार्बोहाइड्रेट की सबसे जटिल संरचना पॉलीसेकेराइड है जिसे पचाना बहुत जटिल है।

कार्बोहाइड्रेट का पाचन कैसे होता है ?

दोस्तों जैसा कि हमने पूर्व में पढ़ा कार्बोहाइड्रेट की सबसे जटिल संरचना पॉलीसेकेराइड है। जिसे पचा पाना आसान नहीं है। इसके बाद डाईसेकेराइड है जिसे पचा पाना थोड़ा जटिल है और उसके बाद अंत में आता है मोनोसैकेराइड से पचा पाना आसान है।

अगर हम पोली सेकेराइड की कोई खाद्य सामग्री खा भी लेतें है तो वह हमारे शरीर में जाने के बाद में पोली सेकेराइड से डाई सेकेराइड में बदलती है और फिर डाई सेकेराइड से मोनो सेकेराइड में बदलती है। इसके बाद मोनो सेकेराइड से हमें ग्लूकोज प्राप्त होता है। इस प्रकार अंत में हमारे शरीर को मोनो सेकेराइड की ही आवश्यकता होती है जिसे हमारा शरीर आसानी से पचा पाता है।

अस्पताल में मरीज को ग्लूकोज क्यों दिया जाता है ?

दोस्तों जब कोई ऐसा रोगी अस्पताल में लाया जाता है जिसकी शरीरिक स्थिति बहुत कमजोर हो तो उसे ग्लूकोज दिया जाता है। जो कार्बोहाइड्रेट जिससे हमें ऊर्जा प्राप्त होती है, का सरलतम रूप होता है। जिससे रोगी को तुरन्त ऊर्जा मिल जाती है और रोगी के जल्द ठीक होने के आसार बढ़ जातें है। इसके बजाय अगर रोगी को डाई सेकेराइड कार्बोहाइड्रेट अर्थात् फल आदि खिला दिए जाए तो वह उसे पचा नहीं पाएगा। क्योंकि रोगी में इतनी ऊर्जा ही नहीं है जो कि डाई सेकेराइड को पचा सकें। इसलिए रोगी में तुरन्त ऊर्जा का वहन करने के लिए ग्लूकोज दिया जाता है।

वसा क्या है ?

दोस्तों जब हम कार्बोहाइड्रेट से ऊर्जा प्राप्त करके उसे व्यय नहीं करतें है तो उसे हमारे शरीर में वसा(Fat) अर्थात् चर्बी उत्पन्न हो जाती है। क्योंकि जब हम ऊर्जा का व्यय नहीं करतें है तो कार्बोहाइड्रेट परत दर परत हमारे शरीर में जमा होता जाता है जिसे वसा या चर्बी कहतें है।

  • ऊँट और बैल के शरीर पर उपस्थित कूबड़ वसा अर्थात् चर्बी का ही बना होता है। इसी तरह मोटे आदमी के पेट में भी चर्बी इक्ट्ठा हो जाता है जिसे हम अंग्रेजी में Fat कहतें है।
  • कार्बोहाइड्रेट तथा वसा का सूत्र समान ही होता है। चूँकि कार्बोहाइड्रेट से ही वसा का निर्माण होता है।
  • वसा के द्वारा भी हमें ऊर्जा प्राप्त होती है। 1 ग्राम वसा से हमें 9.3 किलो कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है।
  • वसा से हमारे शरीर को सबसे ज्यादा ऊर्जा मिलती है।
  • खाद्य पदार्थों में चिकनाहट वाले पदार्थों जैसे दूध, घी, मक्खन, तेल आदि में सर्वाधिक वसा पाई जाती है।
  • जब वसा हमारे शरीर में अधिक उत्पन्न हो जाती है तो वह केलेस्ट्रोल बन जाता है। जो लिवर में इक्ट्ठा होता रहता है।
  • जब केलेस्ट्रोल पर नियंत्रण नहीं किया जाता है तो वह आगे चलकर हृदय घात अर्थात् हार्ट अटैक का कारण बनता है।

प्रोटीन क्या है ?

  • दोस्तों प्रोटीन(Protein) शरीर को अधिक ऊर्जा प्रदान नहीं करता है। चूँकि प्रोटीन का मुख्य कार्य शरीर को अधिक ऊर्जा न देकर शरीर में वृद्धि करना है।
  • शरीर में कोशिकाओं के निर्माण में प्रोटीन महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
  • वृद्धि की आवश्यकता अधिकतर बच्चों और बूढ़ें लोगों को होती है।
  • बच्चों में प्रोटीन लगातार बनतें रहें, जिससे उसके शरीर में वृद्धि होती रहे, इसके शरीर बच्चों के शरीर में एक ग्लेंड बना रहता है। जिससे बच्चों में 15 साल की उम्र तक उस ग्लेंड से लगातार प्रोटीन मिलता रहता है।
  • बच्चों में प्रोटीन की कमी पूर्ति करने वालें ग्लेंड का नाम थाइमस है। जो वक्ष गुहा में पाया जाता है।
  • मशरूम, सोयाबीन और दालों में सबसे ज्यादा प्रोटीन पाया जाता है।

प्रोटीन के गुण

  • प्रोटीन बहुत ही जटिल होतें है। इसलिए इन्हें पचा पाना भी जटिल होता है।
  • यह कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन और नाइट्राॅन चार चीजों से मिलकर बना होता है। इसलिए यह सबसे जटिल होतें है।
  • 1 ग्राम प्रोटीन से हमें 4.3 किलो कैलोरी प्राप्त होती है।
  • प्रोटीन का निर्माण 20 एमिनों अम्लों से मिलकर होता है। जिसमें से 10 हमारे शरीर में पहले से उपस्थित रहतें है तथा 10 को हमें भोजन के रूप में लेना होता है। तभी ये दोनों 10+10 मिलकर 20 एमिनों अम्ल होतें है जो शरीर में प्रोटीन का निर्माण करतें है।
  • जब हमारे द्वारा भोजन ग्रहण किया जाता है तो उसमें 20 प्रकार के एमिनों अम्ल होतें है। जिसमें से 10 पहले से ही हमारे शरीर में होतें है। इसलिए मेसेन्जर आर.एन.ए के द्वारा भोजन में से उन 10 एमिनों अम्लों को छोड़ दिया जाता है जो पहले से ही हमारे शरीर में उपस्थित है और उनके अतिरिक्त एमिनों अम्लों की पहचान करता है। फिर शरीर में उपस्थित 10 एमिनों अम्ल के साथ भोजन से पहचान किए गए 10 एमिनों अम्ल मिलकर प्रोटीन का निर्माण करते है।
  • प्रोटीन का निर्माण एक उपचय प्रक्रिया है। जिसमें 20 एमिनों अम्लों के जुड़ने से ही प्रोटीन का निर्माण होता है।

नोट:

  • शरीर में उपापचय की क्रिया का नियंत्रण एंजाइम और हार्मोन के द्वारा किया जाता है।
  • हमारे शरीर का जैव उत्प्रेरक एंजाइमस और हार्मोन को कहा जाता है।
  • सभी एन्जाइम प्रोटीन होते है। परन्तु सभी प्रोटीन एन्जाइम नहीं होते।
  • सभी हार्मोन प्रोटीन होते है। परन्तु सभी प्रोटीन हार्मोन नहीं होते।
पोषण में ऊर्जा प्रदान करने वाले पदार्थ

Fat > Protien > Carbohydrate

श्वसनीय पदार्थों में ऊर्जा ?

“वे पदार्थ जो आसानी से ऊर्जा देतें है, उन्हें श्वसनीय पदार्थ कहतें है।”

Carbohydrate > Fat > Protien

  • कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन की तुलना में आसानी से पच जाता है। वसा प्रोटीन की तुलना में आसानी से पच जाती है और प्रोटीन के पाचन में समय लगता है क्योंकि यह जटिल होता है। इसलिए प्रोटीन से हमें ऊर्जा कठिनाई से मिलती है।

विटामिन क्या है ?

  • हमारे शरीर में होने वाली सभी उपचयी, अपचयी और उपापचयी क्रियाओं को सही से कार्यन्वित करने का काम विटामिन्स(Vitamin) का होता है।
  • अगर हम चाहते है कि ये सभी क्रियाएँ सही से हमारे शरीर में होती रहे, इसके लिए हमारे शरीर में आवश्यक विटामिन्स होना आवश्यक है।
  • जब हमारे शरीर में विटामिन की कमी हो जाती है तो उससे अपूर्णता रोग हो जाता है।
  • विटामिन की खोज लूनिन(Lunin) नामक वैज्ञानिक ने की थी।
  • होपकिंस(Hopkins) और फुंक(Funk) नामक दो वैज्ञानिको ने विटामिन सिद्धान्त दिया।
  • विटामिन शब्द का प्रयोग फुंक(Funk) नामक वैज्ञानिक ने सबसे पहले किया।
  • वैज्ञानिक इजेक्मान(Eijkman) ने यह बताया कि जब हमारे शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है तो उससे हमें बेरी-बेरी नामक रोग हो जाता है। यह असंतुलित भोजन करने से होता है।
  • विटामिन सिद्धान्त के अनुसार “यदि हमारे शरीर में किसी न किसी प्रकार की बीमारी उत्पन्न हो रही है तो वह किसी न किसी विटामिन की वजह से हो रही है। इसे ही विटामिन सिद्धान्त(Vitamin theory) कहा गया।”

विटामिन के प्रकार

घुलनशीलता के आधार पर विटामिन के दो प्रकार है जो निम्न प्रकार है:

  • वसा में घुलनशील(Fat soluble)
  • जल में घुलनशील(Water soluble)

वसा में घुलनशील

“वे विटामिन जो वसीय पदार्थों जैसे तेल, मक्खन, घी आदि में घुल जाते है, उन्हें वसा में घुलनशील या वसीय विटामिन(Fat soluble vitamin) कहतें है।” विटामिन A, विटामिन D, विटामिन E और विटामिन K वसा में घुलनशील विटामिन के उदाहरण है।

जल में घुलनशील

“वे विटामिन जो जलीय या जल में आसानी से घुल जाते है, उन्हें जल में घुलनशील या जलीय विटामिन(Water soluble vitamin) कहतें है।” विटामिन B और विटामिन C जल में घुलनशील विटामिन है।

जल क्या है ?

  • हमारे शरीर में 65-70 प्रतिशत तक जल(Water) पाया जाता है।
  • जल एक अकार्बनिक पदार्थ है।
  • यह हमारे शरीर के आन्तरिक वातावरण में संतुलन का कार्य करता है।
  • हमें प्रतिदिन आठ गिलास अर्थात् 2-3 लीटर पानी पीना चाहिए।

खनिज व लवण क्या है ?

  • दोस्तों हमारे शरीर को अधिक लवणों की आवश्यकता नहीं होती है।
  • कैल्शियम, फोस्फोरस, सल्फर, क्लोरीन, सोडियम, मैग्नेशियम आदि खनिजों की हमारे शरीर को ज्यादा जरूरत होती है।
  • आयरन, फ्लोरीन, जिंक, ताँबा, मैग्नीज, आयोडीन, कोबाल्ट, क्रोमियम आदि की बहुत कम मात्रा हमारे शरीर को जरूरत होती है।

रेशे क्या है ?

  • दोस्तों डाॅक्टर द्वारा अक्सर हमें रेशेदार सब्जियाँ या भोजन करने की सलाह दी जाती है।
  • सेम की फलियाँ भी एक रेशेदान खाद्य पदार्थ है जो हमारे शरीर की छोटी-बड़ी आन्तड़ियों को साफ करने का कार्य भी करती है।
  • कब्ज के मरीज को रेशेदार(Fiber) भोजन करना चाहिए। ताकि खाना जल्द पच पाए और पेट की सफाई भी अच्छे से हो जाए।

तो दोस्तों अब तक हमने पोषक तत्वों के बारे में अच्छे से जानकारी प्राप्त कर ली है। अब हम पोषण के प्रकार के बारे में अच्छे से समझनें वालें है। तो चलिए बढ़तें है पोषण के कितने प्रकार होतें है(Poshan Kitne Parkar Ka Hota Hain), की ओर…

पोषण के प्रकार – Poshan Ke Prakar

दोस्तों पोषण को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है जिसमें जन्तु और पेड़-पौधों को रखा गया है इस आधार पर पोषण दो प्रकार का होता है:

  • जंतुओं में पोषण
  • पादपों में पोषण

दोस्तों सर्वप्रथम हम जंतुओं में पोषण का समझने वालें है कि जंतुओं में पोषण कितने प्रकार का होता है।

जंतुओं में पोषण

दोस्तों जंतु अधिकतर अपने आस-पास के वातावरण और पर्यावरण के अनुरूप ही अपने भोजन का चुनाव करतें है। जिनमें कुछ जंतु अपना भोजन खुद बनाते है तो कुछ जन्तु अपने भोजन के लिए दूसरों पर आश्रित रहतें है। इस प्रकार जंतुओं में पोषण निम्न दो प्रकार का होता है:

  • स्वपोषी पोषण या स्वपोषण(Autotrophic Nutrition)
  • परपोषी पोषण विषमपोषी(Heterotrophic Nutrition)

स्वपोषी पोषण/स्वपोषण किसे कहतें हैं ?

“ऐसे जीव जो अकार्बनिक यौगिकों, कार्बन डाइऑक्साइड, जल और प्रकाश के माध्यम से स्वयं अपना भोजन बनातें है। उन्हें स्वपोषी(Autotrophic Nutrition) कहतें है।” तथा यह क्रिया स्वपोषण कहलाती है। साधारण भाषा में कहें तो “वे जीव जो अपना भोजन स्वयं बनाते है उन्हें स्वपोषी कहते है, तथा इनकी यह क्रिया स्वपोषी पोषण कहलाती है। जैसे : पादप व कुछ जीवाणु।

हरे पेड़-पौधें स्वपोषण क्रिया द्वारा अपना भोजन स्वयं बनातें है। “पेड़-पौधों के द्वारा अपना भोजन बनाने की क्रिया प्रकाश संश्लेषण(Photosynthesis) कहलाती है।” चूँकि ये क्लोरोफिल और प्रकाश की उपस्थिति में जल तथा कार्बन डाइऑक्साइड से भोजन बनातें है। और भोजन में कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करतें है। इस पूरी प्रक्रिया में ऑक्सीजन मुक्त होती रहती है।

स्वपोषी पोषण के प्रकार

दोस्तों स्वपोषण अर्थात् स्वपोषी पोषण को पुनः दो भागोें में विभाजित किया गया है जो निम्न प्रकार है:

  • प्रकाशसंश्लेषी पोषण(Photosynthetic Nutrition)
  • रसायनसंश्लेषी पोषण(Chemosynthetic Nutrition)
प्रकाशसंश्लेषी पोषण किसे कहतें हैं ?

प्रकाशसंश्लेषी पोषण के अन्तर्गत हरे पौधे, अधिकतर शैवाल और कुछ जीवाणु आते हैं। “जो सूर्य के प्रकाश व क्लोरोफिल की उपस्थिति में सरल अकार्बनिक पदार्थों, कार्बन डाइऑक्साइड व जल से अपना भोजन कार्बोहाइड्रेट के रूप में स्वयं बनातें है। ऐसे सभी जीव प्रकाशसंश्लेषी स्वपोषी(Photosynthetic Nutrition) कहलातें है।” इस प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में सूर्य के प्रकाश की सौर ऊर्जा, स्थितिज ऊर्जा में बदलकर भोज्य पदार्थों में संचित हो जाती है। और प्रकाश संश्लेषण के द्वारा भोजन पौधों के सभी भागों में पहुँच जाता है।

नोट: यूग्लीना एक स्वपोषी जीव है जो संघ प्रोटोजोआ का जीव है। इसमें पर्णहरिम पाया जाता है जिसके कारण यह सूर्य के प्रकाश में अपना भोजन स्वयं ही बना लेता है। इसलिए इसे पौधों और जंतुओं के बीच की कड़ी माना जाता है।

रसायनसंश्लेषी पोषण किसे कहतें हैं ?

“रसायनसंश्लेषी पोषण में कुछ जीवाणु सरल कार्बनिक यौगिकों में ऑक्सीकरण से उत्पन्न ऊर्जा का उपयोग करके अकार्बनिक पदार्थों से अपना कार्बनिक भोजन बनातें है। ऐसे जीव रसायनसंश्लेषी स्वपोषी(Chemosynthetic Nutrition) कहलातें है।” कुछ रसायनसंश्लेषी जीवाणुओं में क्लोरोफिल नहीं पाया जाता है। इसलिए ये रसायनिक ऊर्जा का उपयोग करके हाइड्राॅजन सल्फाइड और कार्बन डाइऑक्साइड से कार्बोहाइड्रेट बनातें है। जैसे: सल्फर जीवाणु, लौह जीवाणु, हाइड्रोजन जीवाणु, नाइट्रो मोनासा आदि।

परपोषी पोषण या विषमपोषी किसे कहतें हैं ?

“ऐसे जीव जो अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकते और अपने भोजन के लिए अन्य जीवों पर निर्भर रहते है। उन्हें परपोषी या विषमपोषी(Heterotrophic) जीव कहतें है।” यह क्रिया परपोषी पोषण या विषमपोषण(Heterotrophic Nutrition) कहलाती है। साधारण भाषा में कहें तो “वे जीव जो अपना भोजन दूसरों से प्राप्त करते है, स्वयं भोजन नहीं बनाते, परपोषी या विषमपोषी कहलाते है और पोषण की यह क्रिया परपोषी पोषण या विषमपोषी पोषण कहलाती है।” इस प्रकार के जीव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दूसरे जीवों पर ही निर्भर करतें है। जैसे: सभी जंतु और कवक आदि।

परपोषी या विषमपोषी पोषण के प्रकार

दोस्तों परपोषी या विषमपोषी पोषण को भी पुनः पाँच भागों में विभाजित किया गया है जो निम्न प्रकार है:

  • परजीवी(Parasites)
  • मृतोपजीवी(Saprozoic)
  • शाकाहारी(Herbivores)
  • मांसाहारी(Carnivores)
  • सर्वाहारी(Omnivores)
परजीवी किसे कहते हैं ?

“वे जीव जो दूसरे जन्तुओं से अपना भोजन जीवित अवस्था में ही प्राप्त करतें हैं। परजीवी जीव(Parasites) कहलातें है।” आसान भाषा में कहें तो “ऐसे जीव जो किसी अन्य जीवित जीव के शरीर के अन्दर या बाहर रहकर अपना भोजन प्राप्त करतें है उन्हें परजीवी कहतें है।” इस प्रकार के पोषण को परजीवी पोषण कहतें है। जैसे: अमरबेल, फीताकृमि, फैशियोला, टीनिया, ऐस्केरिस, रेफ्लेशिया, विस्कम आदि।

परजीवी के प्रकार

दोस्तों परजीवी के भी दो प्रकार है जो निम्न है:

  • बाह्य परजीवी(Ectoparasites)
  • अन्तः परजीवी(Endoparasites)
बाह्य परजीवी किसे कहते हैं ?

दोस्तों जैसा कि नाम से ही पता लगाया जा सकता है, ये वे जीव होते है जो किसी दूसरे जीवित जीव के शरीर से बाहर रहकर भोजन प्राप्त करतें है। अर्थात् “वे जीव जो किसी अन्य जीवित जीव के शरीर के बाहर रहकर पोषण प्राप्त करतें है, उन्हें बाह्य परजीवी(Ectoparasites) कहतें है।” जैसे: मच्छर, खटमल, जोंक, जूं आदि।

अन्तः परजीवी किसे कहते हैं ?

दोस्तों यह जीव किसी दूसरे जीवित शरीर के अन्दर रहकर उनसे भोजन प्राप्त करतें है और उन्हीं से पोषण प्राप्त करतें है। अर्थात् “वे जीव जो किसी अन्य जीवित जीव के शरीर के भीतर रहकर पोषण प्राप्त करतें है, उन्हें अन्तः परजीवी(Endoparasites) कहतें है।” जैसे: फीताकृमि, ऐस्कारिस, लीवरफ्लूक, फाइलेरिया परजीवी आदि।

मृतोपजीवी किसे कहते हैं ?

ये वे जीव होतें है जो सड़ी-गली वस्तुओं या अपशिष्ट से अपना भोजन प्राप्त करतें है। अर्थात् “ऐसे जीव जो सड़े-गले कार्बनिक पदार्थों या मृत जंतुओं से अपना भोजन प्राप्त करके उनसे पोषण प्राप्त करतें हैं, उन्हें मृतोपजीवी(Saprozoic) जीव कहतें है।” इस प्रकार के पोषण को मृतोपजीवी पोषण कहतें है। जैसे: विभिन्न प्रकार के जीवाणु, कवक, ऐगेरिकस, मोनोट्रोपा आदि मृतोपजीवी के उदाहरण है। इसी के साथ ऐसे अधिकतर जीव पर्यावरण हितैषी भी होतें है। जो सड़ी-गली पदार्थ सामग्री को भोजन के रूप में ग्रहण करके नष्ट कर देते है और पर्यावरण की स्वच्छता को बनाए रखतें है।

शाकाहारी किसे कहते हैं ?

दोस्तों “कुछ जीव ऐसे होतें है जो केवल पेड़-पौधों से प्राप्त होने वाले खाद्य पदार्थों का ही सेवन करतें है, उन्हें शाकाहारी(Herbivores) कहतें है।” अर्थात् “ऐसे जीव जो वनस्पति जैसे – फल, फूल, पत्ती आदि का सेवन करते हैं, शाकाहारी जंतु कहलातें है।” गाय, घोड़ा, हिरण आदि शाकाहारी जंतुओं के उदाहरण है।

मांसाहारी किसे कहते हैं ?

दोस्तों “कुछ जंतु ऐसे भी होतें है जो दूसरे कमजोर जीवों को मारकर खाते हैं, उन्हें हम मांसाहारी(Carnivores) कहतें है।” अर्थात् “ऐसे जीव जो अन्य जन्तुओं या जीवित जीवों का भक्षण करते हैं या उन्हें मारकर खा जाते हैं। उन्हें मांसाहारी जीव कहतें है।” जैसे: शेर, बाघ, सर्प, भेड़िया आदि।

सर्वाहारी किसे कहते हैं ?

दोस्तों “कुछ जीव ऐसे भी होतें है जो पेड़-पौधों से भी अपना भोजन प्राप्त करते हैं और दूसरे जीवों से भी भोजन प्राप्त करतें है। इस प्रकार ये पेड़-पौधों और जन्तुओं दोनों पर आश्रित रहतें है। जिन्हें हम सर्वाहारी(Omnivores) कहतें है।” अर्थात् ये सब कुछ खा लेतें है। आसान भाषा में कहें तो “वे जीव जो जन्तुओं एवं पौधों दोनों को अपने भोजन के रूप में ग्रहण कर लेतें है उन्हें सर्वाहारी कहा जाता है।” जैसे: मानव आदि।

तो दोस्तों आज के आर्टिकल में हमने पोषण(Nutrition in Hindi) और पोषक तत्वों(Nutrient in Hindi) के बारे में अच्छे से जानकारी प्राप्त की। मुझे आशा कि आपको यह जानकारी जरूर अच्छी लगी होगी। अगर आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें तथा इसी प्रकार की बेहतरीन जानकारी के लिए हमारे साथ बने रहें।

धन्यवाद!

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